SHORT MOTIVATIONAL STORY IN HINDI For LIFE में हमने आपके लिए तीन बेहतरीन कहानियाँ पेश करने की कोशिश की है जो की आपके जीवन में सही दिशा प्रदान करने में लाभदायक सिद्ध होगी !
एक मोटिवेशनल कहानी छोटी सी ! SHORT MOTIVATIONAL STORY IN HINDI For LIFE !
दूध का दूध पानी का पानी (SHORT
MOTIVATIONAL STORY IN HINDI For
LIFE)
एक छोटे गाँव मे एक गूजरी रहती थी। उसके दो भैंस
थी। वह प्रतिदिन शहर में दूध बेचने के लिए जाती थी। एक दिन उसने सोचा मार्ग में
तालाब तो पड़ता ही है यदि मै पांच सेर दूध में पांच सेर पानी मिला दूं तो मुझे दस
सेर के पैसे मिलते रहेंगे और मेरी चालाकी को कोई पकड़ भी नही सकेगा क्योंकि दूध और
पानी एक हो जायेंगे। उसने वैसा ही किया।
शहर के लोगों को गूजरी के प्रति विश्वास था कि वह बिल्कुल शुद्ध दूध लाती है तनिक भी मिलावट नही करती है।
इससे किसी ने भी ध्यान नही दिया। गूजरी का काम बनता रहा। उसको अपनी निपुणता पर
अपूर्व गर्व था कि संसार मे मेरे जैसी होशियार महिला कोई नही है। मै बड़े-बड़े
आदमियों की आँखो मे धूल झोंक सकती हूँ। मगर शायद वह भूल गयी थी कि कोई कितना भी
कपटाई करे किन्तु एक दिन उसका भंडाफोड़ हुए बिना नही रहता। पाप का घडा अवश्य फूटता है। सौ सुनार की एक लुहार की भी चरितार्थ होकर रहती है। महीना
समाप्त होते ही गूजरी ने दूध का सारा हिसाब किया। जितने भी रूपये इक्कट्ठे हुए उन
सबको कपड़े में बाँध टोकरी मे रख अपने गाँव ओर रवाना हो गयी। दुगूनी कमाई को देख
गूजरी मन ही मन में फूल रही थी और भविष्य में भी ऐसा क्रम रखने की सोच रही थी।
मार्ग में वही तालाब आया। टोकरी को एक वुक्ष के नीचे रख कर गूजरी पानी पीने के लिए
तालाब में गई।
अचानक एक बन्दर आया। उसने रूपयों की थैली को खाद्ध वस्तु समझकर उठा लिया और वुक्ष के ऊपर जाकर बैठ
गया। गूजरी वापस आई। रूपयों की थैली न दिखने के कारण अवाक् रह गई। चेहरे पर उदासी
छा गई। इधर-उधर अन्वेषण करने पर उसकी नजर बन्दर पर जा पड़ी। करूण् आक्रन्दपूर्वक
जोर-जोर से वह पुकारने लगी- उरे वानर भाई यह थैली तेरे क्या काम आयेगी इसमें तनिक भी खाद्ध वस्तु नही है मुझ पर कुपा कर ये
थैली मुझे वापस दे दें। मै तेरा उपकार कभी नही भुलूंगी।
बन्दर स्वभावत चंचल होता ही है। उसने अपने नाखूनों से थैली को फाड़ा और एक
रूपया टोकरी में और एक तालाब में डालना प्रारम्भ कर दिया। रूपया ज्योंहि पानी में
गिरता त्योंहि गूजरी का कलेजा कराह उठता। वह हाय-हाय करती पर उपाय क्या आखिर आधे रूपये टोकरी में आये और आधे तालाब मे चले
गये। आधे टोकरी वाले रूपये उसने गूजरी को दे दियें। वह गूजरी विलाप कर रही थी।
इतने में एक कवि वहाँ पर आ गया। उसने पूछा-बहिन। क्यों रो रही हो
गूजरी ने कहा-अरे भाई इस दुष्ट बन्दर ने मेरे आधे रूपये पानी में ड़ाल दिये।
इसी दुख मे रो रही हूँ। कवि बड़़ा अनुभवी था। उसने कहा-बहिन। तुमने कभी दूध मे पानी
तो नही मिलाया सच-सच बोल। गूजरी- मैने अधिक तो
पानी नही मिलाया किन्तु पाँच सेर दूध में पाँच सेर पानी अवश्य मिलाया। कवि-तो फिर
दुखी क्यों हो रही हो बन्दर ने यथोचित न्याय कर दिया।
दूध का दूध पानी का पानी। दूध के पैसे तुझे मिल गये और पानी के
पैसे तालाब को मिल गये। जानती हो भगवान् के घर देर है अन्धेर नही। गूजरी हाथ मलती
हुई अपने घर को चल पड़ी और कभी भी दूध में पानी ना मिलाने का निश्चय किया।
कई व्यक्ति अनैतिक कृत्यों दवारा अर्थार्जन करते है। एक बार तो वे अवश्य
प्रसन्न होते है किन्तु आखिर दूध का दूध पानी का पानी होकर ही रहता है इसीलिए हर
क्षेत्र में नैतिकता का व्यवहार होना चाहिए।
स्वार्थ के सबही सगे SHORT MOTIVATIONAL STORY IN HINDI For LIFE
एक समय की बात है एक पति को अपनी पत्नी पर बहुत अधिक विश्वास था। वह मानता कि
उसकी था कि उसकी औरत उसे खूब चाहती है। वह सुबह योग केन्द्र जाया करता था मगर
घरग्रहस्थी में फंस कर अब उसका वहाँ भी जाना छूट सा गया था।
उसके सारे मित्र और योग गुरू उसे बुलाते थे मगर बहुत ज्यादा बुलाने पर वह कभी
कभार चला जाता था। अपने दोस्तों और गुरू के योग ना करने तथा वहाँ ना आने का कारण
पूछने पर कहता अब शादी के बाद उसका जीवन बदल गया है अब उसे समय नही मिल पाता तथा
घर की जिम्मेदारी भी आ गयी है। गुरू जी ने उससे ज्यादा आग्रह नही किया और सदा खुश
रहने का आर्शीवाद देकर वहाँ से चले गये। वह अपने दोस्तों के साथ काफी समय तक बैठता था। एक दिन शाम को वह
अपने मित्रो के साथ बैठा था और वह अपने मित्रों के बीच अपनी पत्नी की खूब तारीफ कर
रहा था।
एक दिन उसके एक मित्र ने उसे सलाह दी कि कभी किसी भी इतना विश्वास नही करना
चाहिए मगर वह मानने को तैयार नही था पत्नी पर बहुत ज्यादा विश्वास करता था उसके
मित्रो ने कहा कि वह कभी अपनी पत्नी की परीक्षा ले कर देख ले। वह पास हो जाय तो
उसका प्यार सच्चा है नही तो नही। फिर उसने परीक्षा का एक तरीका भी बता
दिया। वह योग की सभी मुद्राओं मे माहिर था।
एक दिन सलाह के अनुसार पति साँस रोक कर मुर्दे की तरह पड़ा रहा। पत्नी के लाख
उठाने पर भी वह उठा नही और उसने देखा कि उसकी साँसे भी नही चल रही। यह देखकर पत्नी
ने सोचा कि पति की मृत्यु हो गयी है इसीलिए रोना धोना शुरू करने पर भूखे रहने की
नौबत आ जायेगी इसीलिए पहले भोजन कर लेना अच्छा है। यह सोचकर उसने
चूरमा-बाटी का भोजन बनाकर दही के साथ खा लिया। फिर पत्नी ने देखा कि उसके पति ने सोने के का एक दाँत जड़ा
रखा था उसने सोचा पहले इसे निकाल लेती हूँ। पत्नी का दाँत
निकालने के लिए उसने एक पत्थर उठाया और तोडने की तैयारी कर ही रही थी। यह देख पति
उठा और बोला-
चक्क चूरमो मीठो दही
थें खादो मैं देख्यो सही।
वह वा। ए नखरारी नार।
भाटो मार दाँत मत पार।।
पति को जिंदा देखकर और उसके शब्द सुनकर वह औरत लज्जा से पानी-पानी हो गयी।
जैसे को तैसा (SHORT MOTIVATIONAL STORY IN HINDI FOR LIFE)
एक आदमी जंगल मे होकर गुजर रहा था। रास्ते मे उसे आम का वन दिखाई दिया। आम
देखते ही उसके मुँह मे पानी भर आया। उसको आम खाने की तीव्र इच्छा हुई। उसने सोचा
कि आम खाने से भूख भी मिट जायेगी।
यह आदमी कुछ सभ्य था इसीलिए उसकी चोरी करने की हिम्मत नही हुई। उसे आम तो खाने
ही थे इसीलिए उसने आम से पूछने की नाटक किया। उसने आम से पूछा-
अंबसार। अंबसार। ले लू दो चार
आम का पेड तो उत्तर दे नही सकता था इसीलिए उसने स्वयं ही आम की ओर से उत्तर दिया-
ले ले। दस आम।
और उसने पेड़ पर चढ़़कर कुछ आम तोड़कर अपनी झोली मे भर लिया। दूर बैठा रक्षक उस
आदमी का सारा नाटक देख रहा था। वह हाथ मे डंडा लिए हुए आया और उसने उस आदमी को पेड़
से उतरते ही पकड़़ लिया।
उस आदमी की सारी चालाकी रक्षक जान गया था। उसी की नकल करते हुए उसने अपने डंडे
से पूछा-
दंडसार। दंडसार। मेलूँ दो चार
फिर डंडे की ओर से उसी ने उत्तर दिया-
मेल। मेल। दस बार।
और फिर उसने उस आदमी को डंडे से पीटना शुरू किया। बेचारे उस आदमी को आम वहीं
छोड़कर भागना पड़ा।
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