अक्सर बच्चो का मन बहलाने के लिए हाथी खरगोश चूहे, बिल्ली, मेंढक, शेर, बन्दर आदि की कहानियाँ सुनाई जाती है मगर अब समय के अनुसार कहानियों का रूख भी
बदल रहा है। इसी प्रकार बदलते समय व बच्चों के शारीरिक विकास को ध्यान मे रखते हुए
bacchon ki kahaniyan acchi acchi में बच्चो के लिए एक प्रेरणादायक कहानी
लेकर आये है।
बच्चों की कहानियाँ अच्छी अच्छी । Bacchon ki kahaniyan acchi acchi
नानी की
सीख: शहर मे एक
छोटा सा परिवार रहता था उस परिवार मे गुनू और उसके माँ संगीता और पिता रमेश रहा करते
थे उनके पास धन धान्य की भगवान की दया से कोई
कमी नही थी। उनका इकलौता बेटा होने को कारण गुनू माता पिता का लाडला था। गुनू की उम्र
महज 12 वर्ष की थी। गुनू अच्छी स्कूल मे पढता था मगर स्कूल मे कुछ
दोस्तो की संगति मे रहकर उसे बाहर का फास्ट फूड वगैरह खाने की आदत पड गयी थी।
गुनू की माँ
बडे ही प्यार से उसके लिए टिफिन बनाती कभी पुलाव कभी परांठे कभी आचार पुरी। मगर गुनू
माँ के हाथ का बनाया भोजन अपने दोस्तो को खिला देता कभी कभी तो टिफिन वापस घर ले जाता
वह अपने दोस्तो के साथ चिप्स, कोल्डड्रिंक व पैटीज खाना पसन्द करता था। जब वह घर पर आता
तो माँ उसके लिए आलू गोभी कभी मटर कभी भिण्डी व हरि ताजी सब्जियाँ बनाती मगर उसे वह
सब पसंद नही आता था वह आधा अधूरा भोजन करके ही उठ जाता था। वह अक्सर माँ से पैसे लेकर
बाहर का खाना आर्डर कर दिया करता था उसे बाहर का फास्ट फूड ही स्वादिष्ट लगने लगा था
वह नही जानता था वह जो कुछ भी बाहर का खा रहा है वह सेहत मन्द नही है वह उसके सेहत
को खराब कर सकता है उसके माता पिता उसे रोज
समझाते कि घर का भोजन पौष्टिक व सेहत के लिए गुणकारी होता है। मगर वह कुछ समझने को
तैयार नही था।
गुनू अक्सर
खाने के समय माँ के हाथो का स्वादिष्ट भोजन आधा अधूरा खाकर चुपके से खिडकी से बाहर
फेंक दिया करता ताकि माता पिता यह समझे की गुनू ने पूरा भोजन कर लिया है उसे दूध पीने
को बोलते तो माँ से कहता मुझे दूध नही कोल्डडिंक चाहिए और मुँह फूला कर बैठ जाता उसके
पिता जब सामने होते तो वह मुश्किल से थोडा बहुत दूध पीकर चुपके से गमले मे डाल देता
धीरे धीरे उसकी यह हरकते माता पिता के सामने आने लगी उन्होने उसे कई बार डाँटा और कई
बार प्यार से भी समझाया मगर उसके समझ मे कुछ भी आने वाला नही था।
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एक दिन गुनू
की स्कूल टीचर ने उसके माता पिता को स्कूल बुलाया और उसने बताया कि आजकल गुनू का पढाई
मे बिल्कुल भी मन नही है और स्पोर्टस मे भी वह सबसे पीछे रहता है जल्दी ही
थक है। स्कूल टीचर की बात सुनकर गुनू के माता पिता काफी परेशान हो गये वह समझ गये कि
यह सब गलत खाने पीने की वजह से हो रहा है। उन्हे गुनू के भविष्य की चिन्ता हो रही थी।
अब धीरे धीरे गुनू का स्वास्थ भी गिरने लगा था।
अब एक दिन
गुनू की नानी उसके घर पर आयी। गुनू अपनी नानी का बहुत लाडला था।नानी उसे बच्चों की कहानियाँ अच्छी अच्छी सुनाया करती थी गुनू के माता पिता
ने स्कूल टीचर की सारी बात उन्हे बताई और उसके गलत खान पान के बारे मे भी बताया। नानी
सारी बात समझ गयी उसने कहा मै अब कुछ दिनो के लिए आ गयी हूँ ना। मै गुनू को समझाऊंगी।
गुनू की माँ ने कहा कि गुनू बहुत जिद्दी हो गया है हम सब ने उसे कई बार समझाया मगर
उसके कुछ समझ मे ही नही आता। नानी बोली- बेटी मै तुम्हारी माँ हूँ तो मेरा समझाने का
तरीका भी तुमसे अलग ही होगा। तुम लोग चिन्ता मत करे मै सब ठीक कर दूंगी।
दो दिन बाद
ही गुनू का जन्म दिवस आया सभी ने खशी खुशी नाच गाने के साथ उसका जन्म दिवस मनाया और
केक भी मंगवाया गया। सभी ने गुनू को कुछ ना कुछ तोहफा दिया नानी गुनू के लिए एक
छोटा सा गमला लाई जिसमे एक नन्हा सा पौधा लगा हुआ था। नानी ने वही गुनू को तोहफे मे
दिया और गुनू से कहा यह बहुत खास पौधा है इसे बडे ही सम्भाल कर रखना इसकी देखभाल तुम
स्वयं ही करना। गुनू के माता पिता को समझ नही आया कि आखिर उसकी नानी यह पौधा गुनू के
लिए क्यों लाई है गुनू छोटा सा बच्चा है वह इसका क्या करेगा। मगर जब नानी से इसके बारे
मे पूछा तो उसने कहा कि तुम्हारी बात का जवाब
कुछ दिन बाद दूंगी।
अगले ही दिन
बाद गुनू नानी के पास आया और बोला कि नानी पौधे को खाने पीने के लिए क्या डालना है नानी बोली- वैसे तो पौधो को सुबह पानी दिया जाता है मगर यह तुम्हारा पौधा है तो तुम जो भी खाते
पीते हो उसे डाल दो उसके हाथ मे कोल्डडिंक की गिलास थी जो वह पी रहा था वह बोला नानी
यह कोल्डडिंक इसमे डाल सकता हूँ नानी ने कहा हाँ बिल्कुल, क्यों नही जब यह तुम्हारे
लिए उत्तम है तो पौधे के लिए क्यों नही। गुनू ने उसमे कोल्डडिंक डाल दी। दो चार दिन नियमित ऐसा करने पर पौधा सूखने लगा वह फिर
नानी के पास आया और बोला कि मेरा पौधा तो सूख रहा है इसमे क्या खाध दे सकते है। नानी
ने कहा खाध क्यों जो तुम्हे खाना पसन्द है वही तुम पौधे को भी खिला सकते हो। वह बोला-
क्या नानी पौधो को भी मेरी तरह चिप्स और पेटीज पसन्द है। नानी बोला क्यों नही अगर यह
खाध से गुणकारी है तो पौधे को जरूर पसन्द आयेंगे। उसने चिप्स और पेटीज का बुरादा पौधे
मे डाल दिया।
अब दो चार
दिन लगातार ऐसा करने के बाद पौधा एक दम सुख गया उसमे नाम मात्र् ही जान बची थी। गुनू
फिर नानी के पास आया और नानी को पौधे की हालत बताई। नानी बोली- बेटा, यह तो एक दम
सूख गया है मानो अब समाप्त होने वाला हो। नानी ने पौधे मे उचित मात्रा मे पानी और पोषक
खाध डाली। तकरीबन चार पाँच दिन लगातार समय पर पानी डालने से वह धीरे धीरे वापस हरा
भरा होने लगा और कुछ ही दिन मे उसमे कलियाँ निकलने लग गई। गुनू ने नानी से कहा कि नानी
यह सब मैजिक कैसे हुआ मैने तो पानी और खाध से भी उत्तम और बढिया चीज पौधे मे डाली थी
तब तो वह बेजान हो गया, क्या पानी और खाध उन सब चीजो से उत्तम है जो मैने इसमे डाली
थी।
नानी ने गुनू
को अपने पास बिठाया और उसे कहा कि बेटा मै तुम्हे यही तो समझाना चाहती थी कि हमारा
शरीर भी एक पौधे जैसा ही है उसमे सही भोजन ग्रहण किया जाये तो शरीर का विकास होता और
शरीर मजबूत बनता है और गलत भोजन जैसा कि तुम करते हो यह शरीर का बेहद नुकसान पँहुचाता
है उससे शरीर कमजोर व बीमारीग्रस्त हो जाता है इससे इन्सान का पढाई मे दिमाग नही लगता
वह चिडचिडा सा हो जाता है खेलकूद और दौड भाग मे भी वह जल्दी थक जाता है। अब गुनू समझ
गया कि यह सभी कमजोरियाँ तो काफी समय से उसमे मौजूद है वह बोला- तो नानी क्या बाहर
का खाना पीना गलत होता है। नानी ने कहा- बेटा कभी-कभी स्वाद के लिए खाया जाये तो बुरा
नही है। मगर रोजाना घर का भोजन छोडकर खाया जाये तो बेहद नुकसान दायक है।
नानी ने कहा
यह सब तो तम्हारी किताबों मे लिखा है ना, कि इन्सान को खाने पीने मे किन चीजो का सेवन
करना चाहिए। नानी ने गुनू के विज्ञान की किताब का एक अध्याय खुलवाया और उसमे पढ कर
बताया कि मनुष्य को हमेशा ताजा भोजन ही ग्रहण करना चाहिए। उसे खाने मे ताजे फल, हरि सब्जियाँ, दूध, घी, अण्डे, चावल, गेंहू और भी
कई प्रकार की खाध सामग्री का सेवन करना चाहिए। गनू बोला हाँ नानी यह तो मेरी टीचर ने
मुझे कई बार पढाया। नानी बोली- अगर तुम्हारी टीचर ने तुम्हे कई बार पढाया तो तुमने
समझा क्यों नही किताबों मे जो कुछ भी लिखा होता है हमे उससे अच्छी प्रेरणा लेनी चाहिए
और अपने जीवन मे धारण कर लेना चाहिए।
गुनू सब कुछ
समझ गया था और उसने नानी से वादा किया कि वह अब घर का ताजा व पौष्टिक भोजन ही करेगा
जो कि उसके शरीर के लिए उत्तम व सेहतमन्द है। गुनू के माता पिता नानी की तरफ देखते
ही रह गये। नानी उनसे बोली- मैने तुमसे उस दिन कहा था ना, कि मै तुम्हारी
बात का जवाब कुछ दिन बाद दूंगी, बस यही है मेरी बात का जवाब और यही वजह थी गुनू को
जन्म दिवस पर यह पौधा तोहफे में देने की.......कुछ समझे या नही। दोनो मुस्कूराते हुए
बोले- बिल्कुल समझ गये माताजी। आपने तो वाक्य मे कमाल कर दिया।
सीख- बाहर
का खाने से अच्छा भोजन तो हमारे घर मे ही बनता है मगर आजकल के बच्चे घर का स्वादिष्ट
व ताजा भोजन छोडकर बाहर के स्वाद की ओर भागते है जो कि हमारे स्वास्थ को हानि भी पँहुचा
सकता है। घर का ताजा भोजन ही स्वास्थ के लिए लाभदायक होता है अर्थात हमे घर का ताजा भोजन
ही ग्रहण करना चाहिए।
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