Best motivational story in hindi & best inspirational story in hindi for success….
नमस्कार दोस्तों- मै आपके समक्ष कुछ प्रेरणादायक कहानियाँ पेश करना चाहता हूँ। आप
चाहे स्टूडेंट हो या किसी अन्य क्षेत्र में हो आपको मेरी कहानियाँ जरूर
अच्छी लगेगी। आपको मेरी कहानियों से जरूर कुछ सीखने को मिलेगा।
जीवन का सूत्र (
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एक समय की बात है बहुत दूर एक खुशहाल राज्य था वहाँ की जनता काफी खुशहाल व समृद्धिशील थी राजा के पास सोना चाँदी व हीरे जवाहरात के भण्डार भरे थे। राज्य मे खाने पीने की भी कोई कमी नही थी राज्य की खुशी व सम्राज्य देखकर राजा फूले ना समाता था एक दिन की बात है राजा ने अपने दरबार मे दूर दूर से सभी विद्वानों धर्मगुरूओं व ज्ञानी लोगो को बुलाया और उनसे कहा कि आप सब लोग इतने ज्ञानी लोग हो सभी को वेदों ग्रंथो का सम्पूर्ण ज्ञान है मुझे एक जीवन का सूत्र चाहिए जिससे मे अपने जीवन के बारे मे जान सकूं सभी विद्वानो ने अपने अनुसार गीता वेद व अलग अलग ग्रन्थ पढ़ने की सलाह दी मगर राजा ने कहा की मेरे पास किसी प्रकार के वेद व ग्रंथ पढ़ने का समय नही है मुझे एक छोटा सा जीवन का सूत्र चाहिए जो कुछ ही शब्दो का हो अथवा जिसे मे याद रख सकूं यह सुनकर सभी विद्वानों की बोलती बन्द हो गयी क्योंकि ऐसा कोई जीवन का सुत्र किसी भी वेद ग्रंथ मे नही है
राजा अपनी जिद पर कायम रहा काफी दिन बीत जाने बीत गये मगर राजा की माँग व राजा को जीवन का सूत्र दिलाने वाला कोई नही मिला एक दिन राजा के मन्त्री ने राजा को बौद्ध भिक्षू के बारें मे बताया जो कि राज्य में जीवन का उपदेश दिया करता था उसकी कूटिया काफी दूर थी राजा ने दूसरे दिन सवेरे स्वयं ही उसके पास जाने का विचार किया तथा दूसरे ही दिन उसकी कूटिया मे गये बौद्ध भिक्षू को अपनी बात बताई वह सारी बात समझ गये उन्होने एक छोटे से कागज मे टुकडे मे कुछ लिख दिया और बोला राजन् इसमें जीवन का सूत्र है मगर आप इसे अभी नही पढ़़ सकते। सदैव इसे अपने पास रखना जीवन में कभी भी आप पर संकट आये या बुरा समय आये तभी इसे पढ़ना यह तभी काम करेगा।
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राजा ने कागज के टुकडे को लपेट कर अपने कपडो मे सुरक्षित स्थान में रख लिया और सदैव अपने पास रखता था काफी समय बीत जाने के बाद राजा पर किसी दुश्मन राजा ने आक्रमण कर दिया राजा को यह संदेश बहुत देर से मिला जब तक दुश्मन सेना राज्य के निकट पँहुच गयी राजा की पुरी तैयारी नही थी मगर उसने तुरन्त अपने सेना तैयार की और दुश्मन से युद्ध करने का फैसला किया दुश्मन सेना बहुत विशाल थी तथा पुरी तैयारी के साथ आई थी राजा की सेना उसके आगे काफी कम थी फिर भी राजा व उसकी सेना ने बहादुरी के साथ मुकाबला किया मगर राजा की सेना कम होने की वजह से दुश्मन के सामने टिक नही पा रही थी धीरेधीरे अधिकतर सैनिक मारे गये तथा राजा भी काफी जख्मी हो गया जब राजा को अपनी हार दिखाई देने लगी तब वह वँहा से अपनी जान बचाकर भाग निकला।
राजा दूर एक जँगल में निकल गया जगंल अन्दर से काफी विशाल था और बडे बडे पेड व घनी झाडियाँ थी मगर राजा वहाँ हमेशा शिकार के लिए आता था वहाँ के माहौल से भलीभाँति परिचित था राजा ने अपने प्रिय घोडे को समझाकर जँगल के अन्दर किसी दूसरी दिशा में भगा दिया और स्वयं एक दिशा में विशाल पेडो और घनी झाडियों के पीछे छिप गया दुश्मन सेना राजा का पीछा करते हुए जँगल में आ गयी और चारों ओर राजा को ढू़ंढ रही थी मगर वहाँ खुँखार जानवरो की आवाज आ रही थी विशाल पेड व घनी झाडियों से जँगल बेहद डरावना लग रहा था और रात भी होने वाली थी दुश्मन सेना बहुत देर से राजा को ढ़़ूंढ़ रही थी राजा विशाल पेडों के पीछे घनी झाडियों मे छिपा होने के कारण दिखाई नही दे रहा था वह अपने भगवान को याद कर रहा था इतने में उसे बौद्ध भिक्षू की याद आयी उसने तुरन्त अपने कपडो मे से वह कागज का टूकडा निकाला उसमें कुछ ही शब्द लिखे थे कि यह वक्त भी गुजर जायेगा राजा यह पढ़कर काफी आश्चर्यचकित हुआ औैर सोचने लगा कि यह कौनसा जीवन का सूत्र है।
इतने में आसमान से बिजली कड़कने की आवाज आने लगी और बहुत तेज मूसलाधार बारिश शुरू हो गयी। यह देख दुश्मन सेना भाग खड़़ी हुई। रात भर राजा जंगल में छिपा रहा। सुबह होते ही राजा के सैनिक जो युद्ध में बच गये थे तथा कुछ जख्मी हो गये थे वे सभी राजा को तलाश करते हुए जंगल में आ गये। राजा अपने सैनिको को लेकर दूर किसी दूसरे राज्य मे चला गया क्योंकि वँहा का राजा इस राजा का मित्र था!राजा व उसके मित्र राजा ने दुश्मन सेना को मुहँतोड़ जवाब देने का फैसला किया। राजा ने कुछ महिनों मे एक विशाल सेना तैयार कर ली और इस बार राजा ने युद्ध की जबरदस्त तैयारी की हुई थी।
अब एक दिन राजा ने अवसर पाकर दुश्मन पर आक्रमण कर दिया। इस बार राजा व उसकी सेना बड़े ही जोश और आक्रोश में थी। दुश्मन इस बार राजा के सामने टिक नही पा रहा था राजा और उसकी सेना दुश्मन के छक्के छुड़़ा रही थी। कुछ ही घण्टों मे राजा व उसकी सेना ने दुश्मन को खदेड़़ दिया और राजा ने अपनी बहादुरी से वापस अपना सम्राज्य हांसिल कर लिया। चारों ओर राजा की जय जयकार हो रही थी राजा अब अपना सीना चौड़ा किये राज्य में प्रवेश कर रहा था। राजा अपने सिंहासन पर बैठा था और सभी राजा की बहादुरी की प्रशंसा कर रहे थे। राजा फूले नही समाँ रहा था क्योंकि चारों ओर उसकी जीत के डंके बज रहे थे उसे अपनी प्रशंसा बहुत अच्छी लग रही थी अब राजा की जीत का नशा सर चढ़ कर बोल रहा था। वह अपने मुहँ से अपनी तारिफ कर रहा था बडे बडे बोल बोल रहा था।
अचानक कुछ समय पश्चात राजा को बौद्ध भिक्षू की याद आयी और उसके मन मे वही शब्द याद आये कि यह वक्त भी गुजर जायेगा। इतना याद आते ही राजा थम सा गया और चुपचाप अपने सिंहासन पर बैठ गया उसके मुहँ से एक शब्द भी नही निकला। राजा के व्यहवहार में अचानक आये परिवर्तन को देख उसके सेनापति महामन्त्री और राजा के मित्र राजा ने कहा...राजन् क्या हुआ आप अचानक चुप क्यों है आज तो खुशी का दिन है हमारी जीत का जश्न होना चाहिए। राजा ने कहा आपकी बात सत्य है आज खुशी का दिन है मगर में जीवन की वास्तविकता को भूलकर जीत के नशे में खो गया था मै भूल गया था दुनियाँ मे कुछ भी स्थिर नही है ना खुशी ना गम ना हार ना जीत सब कुछ समय के अनुसार बदल जाता है। जो कल किसी ओर का था वह आज हमारा हैं और कल किसी ओर का होगा अर्थात् यह वक्त भी गुजर जायेगा। यह सुन दरबार में सभी चुप हो गये और जीवन की सीख समझ गये।
सीख... इन्सान के जीवन में जब भी विपरित समय आये तो उसे हताश या निराश नही होना चाहिए उस समय उसे संघर्ष करना चाहिए और जब समय अपने अनुकूल हो तो मन में अहंकार का भाव नही लाना चाहिए क्योंकि दुनियाँ में कुछ भी स्थिर नही है यह वक्त भी गुजर जायेगा।
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