हमारी लाड़ली बेटी पारिवारिक कहानी ! acchi acchi kahaniyan

 

आज की हमारी लाडली बेटी पारिवारिक कहानी मे आपका स्वागत है आपको हमारी यह कहानी बेहद पसन्द आयेगी ! जिसमे श्री श्याम बाबा के भक्त की कहानी दर्शायी गयी है हमे उम्मीद है कि आपको यह कहानी बेहद पसन्द आयेगी। कृपया हमारी acchi acchi kahaniyan hindi मे बने रहिए।

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हमारी लाड़ली बेटी पारिवारिक कहानी ! acchi acchi kahaniyan  

तेरे सारे खेल निराले है:-

एक समय की बात थी किसी गाँव मे किशोरी लाल का परिवार रहता था। किशोरी लाल के परिवार मे उसकी पत्नि एक पुत्र व दो पुत्रियाँ रहती थी। अभी कुछ महीने पहले ही उनकी दोनो पुत्रियाँ जमना व जानकी का विवाह हुआ था। 

बहुत दिनों से उन्हे अपनी पुत्रियों की याद आ रही थी। एक दिन किशोरी लाल ने सोचा क्यों ना मै स्वयं ही अपनी पुत्रियों से मिल आता हूँ इसी बहाने उसकी गृहस्थी भी देख आऊँगा ।

यही विचार करते हुए किशोरी लाल दूसरे ही दिन अपने घर से अपनी पुत्रियों के ससुराल की ओर निकल पड़ा। उनके गाँव से पहली पुत्री जमना के ससुराल का सफर चार घण्टे का था और वहाँ तकरीबन आधा पौने घण्टे का सफर और तय करने पर दूसरी पुत्री जानकी का ससुराल था।

किशोरी लाल जब जमना के ससुराल पहुँचे तो जमना अचानक अपने पिता को अपने सामने पाकर बहुत खुश हुई और पिता को देखते ही वह उनके सीने से लग गई। उसके ससुराल के लोग बहुत अच्छे थे सभी उनके आने पर बहुत खुश थे। किशोरी लाल जी रात भर वहाँ रूके और अपनी पुत्री से बहुत सारी बातें की।

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सुबह की पहली किरण के साथ किशोरी लाल अपने जाने की तैयारी कर रहे। जमना अपने पिता को एक दिन और रोकना चाहती थी मगर किशोरी लाल को अपनी दूसरी पुत्री जानकी के घर भी जाना था। जब किशोरी लाल के लौटने का समय हो गया तो जमना बोली- पिताजी, इस बार मै अपने ससुराल मे व्यस्तता के कारण मायके नही आ सकी अगली बार जरूर समय पर आ जाऊंगी।

जमना अपने पिता से बोली- पिताजी, आप मेरी फिक्र मत किजिए मै यहाँ बहुत खुश हूँ। अपने पति की तारिफ करते हुए बोली- ये बहुत मेहनती है दिन रात मेहनत करके इन्होने व सभी परिवार के लोगो ने फसले उगाई अब तो बस श्याम बाबा की कृपा से कुछ ही दिनों मे अच्छी बारिश आ जाये ताकि फसलों को अच्छा पानी मिलते ही फसले लहलहरा उठेगी। मगर अगर बारिश नही आयी तो फसलों को पर्याप्त मात्रा मे पानी नही मिला तो हमारी पुरी मेहनत पानी मे चली जायेगी।

पिताजी आप को पता ही है किसान की फसले जब खराब होती है तो घर मे भूख मरी आ जाती है और किसान कर्जे मे डूब जाता है। इतना कहते ही जमना की आँखे नम हो गयी। वह बोली- पिताजी, आप श्याम बाबा को इतना मानते हो आप उनसे मेरी ओर प्रार्थना करना कि मेरे गाँव मे अच्छी बरसात हो ताकि हमारी मेहनत रंग ला सके।

किशोरी लाल ने अपनी पुत्री को सीने से लगाते हुए बोले- बेटी, मै तेरे लिए प्रार्थना जरूर करूंगा और बाबा की दया से सब ठीक हो जायेगा। अपनी पुत्री को आर्शीवाद देकर वह दूसरी पुत्री जानकी के ससुराल की ओर चल पडे़।

जब वह जानकी के ससुराल पहुंचे तो वह भी अपने पिता को अचानक अपने सामने पाकर बहुत खुश हुई पिता ने उसे देखते ही अपने सीने से लगा लिया। भगवान की दया से उसके सुसराल वाले भी बहुत अच्छे थे सभी उन्हें सामने पाकर बहुत खुश थे। सभी अपने काम मे लगे हुए थे वह पैशे से कुम्हार थे।

किशोरी लाल ने जानकी से खूब सारी बाते की वह रात को ही वहाँ से निकलना चाहते थे मगर जानकी के कुछ ज्यादा ही आग्रह करने पर वह रात भर रूकने के लिए तैयार हो गये। रात को जानकी पिता से बाते करते हुए अपने ससुराल वालों की तारिफ कर रही थी और अपने पति के बारे में बता रही थी कि आपके दामाद और उनका परिवार बहुत अच्छा है आप मेरी फिक्र ना करे। मै यहाँ बहुत खुश हूँ सभी मेरा बहुत ख्याल रखते है।

वह बोली- आपके दामाद बहुत मेहनती है बहुत ही सुन्दर मिट्टी के बर्तन बनाते है पुरा परिवार यही कार्य करने मे दिन रात लगा है इसीलिए मै मायके नही आ पायी क्यों कि मै भी इनकी थोडी बहुत काम मे मदद कर देती हूँ।

अपनी पुत्री की इतनी समझदारी वाली बातें सुनकर वह बहुत खुश हुए। जानकी बोली- पिताजी अब कुछ समय बाद दिपावली आने वाली है इस बार आपके दामाद को मिट्टी के बर्तनों का अच्छा आर्डर मिला है और यह घर घर वह दुकान दुकान जाकर मिट्टी के दीपक व बर्तन बेचकर आते है पिछली बार इनके साथ बहुत बुरा हुआ बस भगवान की दया से इस बार ऐसा ना हो।

इतना कहकर वह चुप हो गयी अपनी पुत्री को परेशान देख किशोरी लाल जी से रहा नही गया। वह बोले- बेटी, पिछली बार क्या हुआ था मै कुछ समझा नही।

पिता के आग्रह करने पर जानकी ने बताया कि पिताजी पिछली बार बडी मेहनत से मिट्टी के बर्तन बनाये मगर बाद मे जब बर्तन सूखने की बारी आयी तो कुछ दिन तक बहुत तेज बारिश आयी। बरसात मे सारे गीले बर्तन खराब हो गये और इन्हे बहुत नुकसान हुआ। इस बार मेरे पूरे परिवार की मेहनत का फल ऊपर वाले के हाथ मे है।

जानकी बोली- पिताजी, आप तो श्याम बाबा के परमभक्त है श्याम बाबा से प्रार्थना करना कि अगले कुछ दिन जमकर धूप निकले ताकि सारे मिट्टी के बर्तन पक जाये और हमारी मेहनत रंग लाये। पिताजी आप मेरे लिए प्रार्थना करंगे ना।

इतना सुनते ही मानो किशोरी लाल की आँखें नम हो गयी क्योंकि वह अगर जमना के लिए प्रार्थना करे तो जानकी के सिर पर दुःख के पहाड टूट पडेंगे और अगर जानकी के लिए प्रार्थना करती है तो जमना के सिर पर दुःख के पहाड टूट पडेंगे। एक कहती है अच्छी बरसात हो तो दूसरी कहती है बरसात ना हो जमकर धूप निकले।

किशोरी लाल मन ही मन श्याम बाबा से प्रार्थना करने लगे कि हे, सांवरिया सेठ आज अपने इस दास को कैसे धर्म संकट मे डाल दिया अब तो बस आपका ही सहारा है यह मेरी ही नही आपकी भी सन्तान है किसकी झोली में खुशियाँ डालनी है और किसकी झोली मे दःख। यह आपको तय करना है।

किशोरी लाल ने अपना आर्शीवाद भरा हाथ जानकी के सिर पर रखा और बोले बेटी तुम चिन्ता मत करो। जो श्याम बाबा करेंगे अच्छे के लिए ही करेंगे। इतना कहकर अपने घर की ओर लौट पडे।

पूरे सफर मे श्याम बाबा को याद करते रहे कभी कभी उनकी नम आँखों से आँसू गिर जाते तो उन्हे अपने रूमाल से पोंछते। अब किसी तरह से अपने आप को संभाला और सब श्याम बाबा पर छोड दिया।

समय बीतने लगा ठीक एक महीने बाद सुबह टेलीफोन की घण्टी बजी। किशोरी लाल ने सोचा आज सुबह सुबह किसने फोन किया है इतना सोचते हुए किशोरी लाल ने फोन उठाया तो सामने से आवाज आई- पिताजी मै जमना बोल रही हूँ। किशोरी लाल बोले- बेटी आज इतने सवेरे कैसे फोन किया। जमना बोली- पिताजी आपको खुशखबरी देनी थी आपकी प्रार्थना रंग लाई सच में श्याम बाबा ने आपकी सुन ली। आपको पता है आपके जाने के बाद हमारे व आसपास के कई गाँव मे श्याम बाबा की कृपा से जमकर बरसात हुई। हमारी फसलो को अच्छा पानी मिला और सारी फसलें हरि भरी हो गयी अब फसलों की कटाई हो रही है। इस बार लगता है फसलों के अच्छे दाम मिलेंगे। मै बहुत खुश हूँ आपको बस यही बताने के लिए फोन किया था।

अपनी बेटी को खुश पाकर किशोरी लाल के चेहरे पर खुशी की लहर छा गई। जब जमना ने फोन रखा तो किशोरी लाल को जानकी के बारे में याद आया और उसके चेहरे की सारी रंगत उड गयी। वह समझ गये की जमना ने कहा कि आसपास के सभी गाँव मे जमकर बरसात हुई है। इसका मतलब जानकी का परिवार मुसीबत मे होगा। वह जमना को लेकर खुश थे मगर जानकी के बारे मै सोच सोच कर दुःखी हो रहे थे।

कुछ देर बाद एक बार फिर टेलिफोन की घण्टी बजी और सामने से आवाज आई- पिताजी, मै जानकी बोल रही हूँ। जानकी को नाम सुनते ही वह समझ गये कि वह शायद कोई बुरी सुनायेगी। मगर सामने से दुबारा आवाज आई- पिताजी, आप मेरी आवाज सुन रहे है ना। किशोरी लाल बोले- हाँ, बेटी मै तुम्हारी आवाज सुन रहा हूँ। बेटी तुम चिन्ता मत करना  सब कुछ ठीक हो जायेगा किशोरी लाल पूरी बात करते इससे पहले ही जानकी बोल पिताजी मै बहुत खुश हूँ। आपको पता है श्याम बाबा ने सच मे गरीब कुम्हार की मेहनत की लाज रख ली। आपने सच कहा था जो श्याम बाबा करेंगे वह अच्छे के लिए ही करेंगे।

किशोरी लाल बोले- बेटी, वहाँ सब ठीक है ना। जानकी बोली- पिताजी, आपको पता है जब आप यहाँ से गये थे तो कुछ दिन आसपास के सभी गाँवों मे जमकर बरसात हुई मगर हमारे गाँव मे थोडी बहुत बरसात की बूँदे पडी वह भी रात के समय मगर दिन में जमकर धूप निकली और कुछ ही दिनों मे हमारे सारे मिट्टी के बर्तन पक गये और अब तो आपके दामाद रोज उन्हे शहर मै बेचने जा रहे है इस बार जल्दी ही सारे बर्तन अच्छे दामों मे बिकने वाले है। आपको बस यही बताने के लिए फोन किया था। इतना कहकर जानकी ने बात पूरी की और पिता का आर्शीवाद लेकर फोन रख दिया।

किशोरी लाल के चेहरे पर खुशी की लहर फिर से छा गयी। सामने दीवार पर श्याम बाबा की तस्वीर लगी थी। वह शीश झुका कर व हाथ जोड कर बाबा को शत् शत् नमन करने लगा और बोला हे, हारे के सहारे.....आपने सच मे आज मेरी भक्ति की लाज रख ली। मै तो कभी सोच ही नही सकता था कि ऐसा भी हो सकता है जैसा आपने कर दिखाया है। मुझे लगा था कि किसी एक बेटी के सिर पर मुसीबत आयेगी मगर आपको पता है कहाँ बरसात करवानी है, कहाँ धूप। अपने भक्त की भक्ति की लाज रखने के लिए आपने मौसम मे ही हेर फेर कर दिया।

वाह रे साँवरिया सेठ तभी तो कहते है जिसका सहारा हारे का सहारा है वह कहाँ बेसहारा है, जिसका जगत मै कोई ना रखवाला है उसका बाबा श्याम हमारा है।

हारे का सहारा,बाबा श्याम हमारा।

सीखः- जिसने अपने जीवन की हर परेशानी श्याम बाबा के हवाले कर दी है उसे चिन्ता करने की आवश्यकता ही नही है क्यों कि उसकी कस्ती कभी डूब ही नही सकती जिसका माँझी श्री श्याम हो। 

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