"the real ghost story in hindi" 2025

 

अक्सर भूत-प्रेत का जिक्र बच्चों को डराने के लिए किया करते है ताकि "the real ghost story in hindi" 2025 उनकी बदमाशी कम कर सके। दनियाँ मे भूत-प्रेतआत्माओं को लेकर सबकी अलग अलग सोच है। मगर मै आपको एक कहानी सुनाने जा रहा हूँ।

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"the real ghost story in hindi" 2025  (भूतिया चौराहा)

       एक शहर मे दो दोस्त रहते थे योगेश और पियुष। दोनो जीवन का आन्नद उठा रहे थे अक्सर दोनो बाहर देर रात तक घूमा करते थे उन्हे बाहर खाने पिने का बहुत शौक था। दोनो अपनी मस्ती मे मस्त रहते थे। एक बार रात को उन्होने फैसला किया कि किसी होटल मे जाकर स्वादिष्ट भोजन किया जाये। विचार विमर्श करते करते समय का पता नही चला रात बहुत हो चकी थी। हाइवे रोड पर स्थित शहर से तकरीबन पन्द्रह किलोमीटर दूर एक ढाबा था जिसका नाम तन्दूरी ढाबा था वहाँ की तन्दूर की रोटी पूरे शहर मे प्रसिद्ध थी और वह देर रात तक खुला रहता था। योगेश और पियुष ने भी आज वहीं जाने का मन बना लिया था

     योगेश और पियुष ने अपनी स्कूटी स्टार्ट की और हाईवे रोड की तरफ चल दिये। हाईवे रोड पर दस बारह किलोमीटर के बाद एक चैराहा था जहाँ काफी सुनसान थी देर रात को वहाँ कोई भी दिखाई नही देता था। उस दिन काली अन्धेरी रात थी। तकरीबन रात के 12.30. का समय हुआ था। एक युवक जो सडक के किनारें खडा था उसने नीली जीन्स, काली टी-शर्ट, सफेद जूते पहने हुए था। उसके एक हाथ की कोहनी मे हेलमेट लटका रखा था। दूसरे हाथ से आते जाते व्यक्ति को लिफ्ट के लिए इशारा कर रहा था। दोनो उसे गोर से देख रहे थे मगर वह एकदम मूर्ति की तरह खडा था बिना पलके झपकायें सडक की ओर देख रहा था। उसकी आँखें एक दम लाल सुराही जैसे थी। उसके पास हेलमेट था मगर आस पास मे कोई बाईक नही दिखाई दी।

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     योगेश को यह सब अजीब सा लगा पियुष उसे लिफ्ट देने के लिए गाडी रोकना चाहता था मगर योगेश को वह अजीब सा लगा और उन्हे भूख भी तेज लग रही थी उसने अपने दोस्त पियुष से गाडी रोकने की बजाई सीधा तन्दूरी ढाबे की ओर दौडाने को कहा पियुष ने ऐसा ही किया। कुछ ही देर मे वह तन्दूरी ढाबा पहुँच गये। दोनो ने अपनी मन पसन्द का भोजन किया। तकरीबन एक डेढ़ घंटे बाद वह वापस उसी रास्तें से अपने घर की ओर रवाना हुए। रास्ते मे काफी अन्धेरा था। रोड लाईट भी बन्द हो गयी थी शायद लाईट चली गयी थी मौसम भी खराब होने लगा था। हल्की हल्की बरसात भी होने लगी थी। आसमान मे बिजली कडकने लगी थी। दोनो उसी जगह वापस पहुँचने ही वाले थे। जहाँ वह युवक खडा था उन्हे दूर से लगा की शायद वह युवक अभी भी वहीं खडा है मगर जब वह नजदीक पहुँचे तो वहाँ कोई नही था उन्हे लगा शायद उन्हे कोई वहम् हो गया होगा। अपनी मौज मे सवार दोनो अपने घर पहुँच गये।

     तकरीबन दो चार दिन बाद दोनो अपने दोस्तो के साथ बैठे टाइम पास कर रहे थे बाते खूब हो गयी थी इतने मे उनके एक दोस्त ने भूतिया चैराहे के बारे मे बताया उसने उसी हाईवे रोड वाले चैराहे का जिक्र किया और उसी युवक का जिक्र किया जिसे योगेश और पियुष ने उस रात देखा था। वह उसकी शक्ल और पहनावा वैसा ही बता रहा था जैसे कि उन दोनो ने उसे उस रात को देखा था। मगर योगेश इन सब बातों को नही मानता था। उसने उनकी बात काट दी और बातों का रूख कहीं और मोड लिया।

     अगले ही दिन उन दोनो के घर एक शादी का निमंत्रण आया कुछ ही दिन बाद उनके किसी खास दोस्त की शादी थी। शहर से दूर एक रिसोर्ट मे सभी कार्यक्रम थे। योगेश और पियुष दोनो शादी मे शामिल हुए थे। दोनो किसी काम से रिशेप्सन काउन्टर मे पहुँचे। अचानक ही उनकी नजर काउन्टर के पीछे पडी टेबल पर पडी जहाँ पर एक तस्वीर पडी थी। वह तस्वीर उसी युवक की थी जिसे उन्होने उस रात को देखा था। उसने तस्वीर मे भी वहीं कपडे पहने हुए थे हाथ मे हेलमेट और बाईक पर सवार था। दोनो आपस मे एक दूसरे से उस युवक के बारे मे बातें कर रहे थे। काउन्टर पर बैठा व्यक्ति उनकी बात सुन रहा था। उन्होने काउन्टर पर बैठे व्यक्ति से कहा- यह पीछे किसकी तस्वीर है। सामने काउन्टर बैठे व्यक्ति ने कहा-यह तो हमारे मालिक के बेटे की है क्यों, आप इनके बारे मे क्यों पूछ रहे है। पियुष बोला- सर, अभी कुछ दिन पहले ही यह हमे मिले थे शायद इनकी बाईक खराब हो गयी थी इन्हे लिफ्ट की जरूरत थी मगर हम जल्दी मे थे इसीलिए इन्हे लिफ्ट नही दे सके। योगेश ने भी पियुष की बात का सही बताया।

     काउन्टर पर बैठे व्यक्ति के पसीने छूटने लगे। वह अपने रूमाल से अपना पसीना पोंछते हुए बोला कि सर, आपको कोई गलत फहमी हो गयी होगी आपने शायद किसी ओर को देखा होगा। मगर उन दोनो को अपनी आँखों देखे पर पूरा विश्वास था। उन्हें उस युवक की शक्ल और उसका हुलिया अच्छी तरह से याद था। काउन्टर पर बैठे व्यक्ति ने फिर से उन्हे कहा कि सर आपने जिसको देखा वह यह नही बल्कि ओर कोई होगा। योगेश ने कहा- नही, यह वही थे इनके पास यही हेलमेट, नीली जिन्स, काली टी शर्ट पहनी थी और उन्होने समय भी बताया जिस समय वह उन्हे मिला था। 

     आखिर मे जब दोनो उसकी बात मानने को तैयार नही थे तो सामने वाले व्यक्ति ने कहा कि सर यह आपको कैसे मिल सकते है यह तो पांच महीने पहले ही गुजर चुके है। यह सुनकर योगेश और पियुष के पैरो तले जमीन खिसक गयी। काउन्टर पर बैठे व्यक्ति ने बताया कि इन्हे बाइक राइडिंग का बहुत शौक था और इनकी मौत एक सडक दुर्घटना मे हो गयी थी जहाँ यह हादसा हुआ यह वही जगह थी जहाँ वह उस रात योगेश और पियुष को मिला था। इतना सुनते ही अब दोनो के पसीने छूटने लगे। अब दोनो एक दूसरे की तरफ देखने लगे थे। उन्हे पूरी बात समझ मे आ चुकी थी।

     दूसरे ही दिन उन्होने संकल्प लिया कि अब कभी भी वह बेवक्त बाहर नही घूमा करेंगे और उस हाइवे रोड पर तो बिल्कुल भी नही। क्यों कि लोग उस चैराहे के बारे मे तरह तरह की बाते करते है। शायद वह कोई भूतिया चौराहा है।

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