Moral story for kids in hindi । story for toy world

 

बच्चों के मनोरंजन के लिए हमेशा ही हम रोमांचक और बेहतरीन कहानियाँ पेश करने की कोशिश करते है और आज भी हम moral story for kids in hindi  मे आपके लिए एक मजेदार कहानी लाये है जिसका शीर्षक है खिलौनों की दुनियाँ

story for toy world

Moral story for kids in hindi story for toy world

खिलौनों की दुनियाँ

पूरब और संध्या दो छोटे बच्चे जिनकी उम्र 8 व 10 वर्ष थी। दोनो सगे भाई बहन होने के साथ एक ही स्कूल मे पढते थे मगर दोनो आपस मे झगडते रहते थे उनमे खिलौनों को लेकर अक्सर झगडा होता रहता था। संध्या के पास एक सुन्दर सी गुडिया थी वह जब भी अपनी गुडिया के साथ खेलती तो अपने छोटे भाई पूरब को भी साथ मे खिलाती थी जब कि पूरब के पास खूब सारे खिलौने थे जैसे हाथी, घोडा, बत्तख, बिल्ली, भालू, चित्ता, शेर सहित अन्य प्रकार के खिलौने थे। 

पूरब जब भी अपने पिताजी के साथ बाजार या मेले मे जाता तो वह कोई ना कोई खिलौना खरीदने की जिद्द कर बैठता और उसे वह खिलौना दिलाना ही पडता। कभी पापा कभी मम्मी कभी नानी कभी दादी कभी मामा सभी उसके लिए कोई ना कोई खिलौना ले ही आते थे क्योंकि वह सबसे छोटा था। उसे जब भी कोई खिलौना खरीद कर देता तो उसे समझाता कि इन खिलौने पर सिर्फ तुम्हारा ही नही तुम्हारी बहन का भी अधिकार है उसे भी साथ मे खिलाना। पूरब उस समय तो सभी की बात मान लेता मगर घर जाने के बाद सारे खिलौनो पर अकेला अधिकार जमा कर बैठ जाता।

Related post:-

संध्या उसके खिलौनों से खेलना चाहती थी मगर वह किसी को अपने खिलौने हाथ भी नही लगाने देता था अपने सभी खिलौनें अपनी अलमारी मे रखता था। उसकी मम्मी उसे बहुत बार समझाती कई बार तो डाँटती पीटती भी थी मगर उसके समझ मे कुछ आने वाला नही था। उसे लगता था कि सभी उसके खिलौनों से खेलेंगें तो वह टूट जायेंगें और वह अकेला खेलेगा तो सुरक्षित रहेंगे।

उसके पास एक खास खिलौना था एक मोटा सेठ। जिसने सिर पर पगड़ी, तन पर कुर्ता पायजामा व कोटी के साथ गले मे खूबसुरत मोतियो की माला पहने हुए था। वह उसका मनपसन्द खिलौना था वह उसे अपना दोस्त मानता था हर वक्त उसे अपने पास रखता उससे बाते करता, सोते वक्त भी उसे अपने पास लेकर ही सोता था। उसकी मम्मी उसे रात को अच्छी अच्छी कहानियाँ सुनाती थी।

वह अक्सर अपनी मम्मी से पूछता कि यह खिलौने कहाँ से आते है तो उसकी मम्मी उसका मन बहलाने के लिए कह देती कि इन खिलौनो की अपनी एक अलग दुनियाँ होती है जैसे यह हम इन्सानों की दुनियाँ है ठीक वैसे है। वहाँ पर सिर्फ खिलौनें ही रहते है। पूरब ने पूछा- क्या यह मेरा मोटा सेठ भी वहीं रहता है। मम्मी ने कहा- हाँ, यह भी वहीं रहता है। मगर यह तुम्हारी हरकतों को अच्छी तरह से देखता है कि तुम कितनी बदमाशी करते हो और अपने खिलौनो से किसी को भी नही खेलने देते। कहानियां सुनते सुनते पूरब को नीन्द आ गयी। वह गहरी नीन्द मे सो गया।

जब रात ने गहरी चादर ओढ़ ली तो ख्वाबों ने दरवाजा खोला। अचानक ही पूरब ने एक लम्बी छलांग लगाई और एक सुन्दर हरे भरे विशाल बगीचे मे पहुँचा। जहाँ हरी भरी घास के साथ सुन्दर पेड पौधेखूब सारे रंग बिरंगे फूल जिसकी खुशबू चारों ओर फैली हुई थी। रंग बिरंगी तितलियाँ और भँवरे फूलों पर मंडरा रहे थे पूरब तितलियों के पीछे पूरे बगीचे इधर उधर दौड रहे थे। सामने ही एक पानी का झरना बह रहा था झरने की आवाज पूरे वातावरण मे मधुरता घोले जा रही थी झरने से गिरते हुए पानी की बूंदे हवा मे दूर तक उड रही थी। वहीं एक नदी बह रही थी पूरब अब नदी के पास पहुँचा तो उसने देखा कि नदी मे रंग बिरंगी अनेको रंग की मछलियाँ तैर रही है।

एक बडा सा कछुआ पूरब के पास आया पूरब उसे देखते ही समझ गया कि यह तो उसके खिलौने वाला कछुआ हैं। कछुआ बोला- कैसे हो पूरब भैया, मुझे पहचाना रोज तुम मुझे पानी मे तैराकर खेलते हो आज मै तुम्हे इस नदी मे सेर करवाता हूँ बैठ जाओं मेरी पीठ पर। इतने सुनते ही पूरब ने आव देखा ना ताव कछुए की पीठ पर बैठ गया। कछुआ पूरब को लेकर नदी मे गौते लगाने लगा पूरब कभी रंग बिरंगी मछलियों को पानी मे हाथ मार कर पकड़ता तो कभी कछुए की पीठ से लिपट जाता। नदी मे सैर करते समय पूरब की खुशी का ठिकाना नही था। कछुए ने पूरब को काफी समय तक नदी की सैर करवाई और पूरब को नदी के उस पार छोड दिया। -

नदी के उस पार जाते ही पूरब ने देखा कि उसके खिलौने वाला हाथी, घोडा, हिरण, भालू, बिल्ली सभी वहीं मौजूद थे दरअसल ये खिलौनों की दुनियाँ थी। एक सुन्दर सा नीले कलर का हाथी उसके पास आया और वह भी कछुए की भाँति बोला- पूरब भैया, आज तुम हमारी दुनियाँ मे कैसे आये। चलो अब आ गये हो तो मै तुम्हे हमारी खूबसुरत दुनियाँ दिखाता हूँ चलो बैठ जाओं मेरी पीठ पर। पूरब उसकी पीठ पर बैठ गया तो हाथी हरी भरी घास पर दौडने लगा। इसी प्रकार से पूरब कभी भालू के साथ खेलता तो कभी हिरण कभी बिल्ली सभी के साथ खेल कर आन्नंद ले रहा था आखिर मे घोडा पूरब के पास आया उसने पूरब को अपनी पीठ पर बिठाया और अपनी खूबसुरत दुनियाँ की सैर करवाने लगा काफी देर बाद घोडे को याद आया वह बोला- अरे, तुम अभी तक अपने खास दोस्त से तो मिले  ही नही। पूरब को समझ नही आया कि वह किस खास दोस्त की बात कर रहा है।

अब घोडा दूर स्थित एक विशाल महल की ओर दौड पडा पूरब उसे बार बार पूछ रहा था कि तुम अब मुझे कहाँ ले जा रहे हो घोडा बोला- तुम खुद ही देख लेना इतना कहकर वह उस महल मे प्रवेश कर गया। उस आलिशान महल के अन्दर जाकर देखा तो सामने सिहांसन पर पूरब का खिलौने वाला खास दोस्त मोटा सेठ बैठा था।

मोटा सेठ पूरब को देखकर बहुत खुश हुआ उसने पूरब को गले से लगा लिया और अपने पास सिंहासन पर बिठाया। वह मोटा सेठ इस दुनियाँ का राजा था। उसने पूरब को अपने महल की सेर करवायी। मोटा सेठ ने पूरब को आईसक्रीम, टॉफ़ी, चोकलेट और भी स्वादिष्ट चीजे खिलाई। उस महलदुनियाँ के सभी नजारे पूरब के लिए लुभावने थे।

काफी समय तक दोनो एक बडे से झूले मे झूलते रहे। मोटा सेठ ने पूरब को कहा कि तुम मेरे खास दोस्त हो ना। पूरब ने भी सहमति जताई। मोटा सेठ बोला- मै तुमसे एक बात के लिए नाराज हूँ। पूरब बोला- मगर कोनसी बात के लिए। मोटा सेठ ने कहा- कि मै रोज देखता हूँ कि तुम अपने खिलौनों से अकेले ही खेलते हो अपनी बहन को अपने खिलौने खिलाने तो दूर की बात है उसे हाथ भी नही लगाने देते। हमारा भी मन करता होगा तुम्हारे आलावा किसी ओर के साथ भी खेले जैसे तुम्हारे पास खूब सारे खिलौने है वैसे हमारे भी कुछ साथी होने चाहिए। जिनके साथ हम खेल सके मगर तुम हमे उनसे दूर रखते हो। यह तो गलत बात है ना।

पूरब बोला- सभी मेरे खिलौने से खेलेंगे तो वह टूट जायेंगे ना। मोटा सेठ ने कहा- दुनियाँ मे कुछ भी स्थिर नही है कभी ना कभी नष्ट होना ही होता है एक खिलौना टूट जायेगा तो दूसरा आ जायेगा कम से कम किसी का मन तो नही जलेगा।

इतने मे मोटा सेठ ने अपने एक हाथ की चुटकी बजाई। उसी क्षण सामने से उसकी रानी आई जो बहुत सुन्दर थी उसके हाथ मे एक दूध का बडा सा गिलास जिसमे से केसर व चोकलेट की महक आ रही थी। पूरब ने जब मोटा सेठ की रानी को देखा तो यह वही गुडियाँ थी जो संध्या के पास थी। उसने पूरब के हाथ मे स्वादिष्ट दूध का गिलास थमाया। पूरब दूध का गिलास झट से पी गया इतना स्वादिष्ट दूध पीकर पूरब को मजा आ गया।

समय का पहिया तेजी से चल रहा था। आसमान से एक उडता हुआ सफेद घोडा उनके पास आया। उसने मोटा सेठ के कान मे कुछ कहा। मोटा सेठ ने उसकी बात सुनी तो वह समझ गया कि पूरब के जाने का समय हो गया है। मोटा सेठ और उसकी रानी ने पूरब से वादा लिया कि वह अपने खिलौनों को अपनी बहन व सभी साथियों के साथ मिलजुल खेलेगा नही तो वो उससे नाराज हो जायेंगें क्योंकि खुशी बाँटने से बढती है।

मोटा सेठ और उसकी रानी की बात पूरब को भी समझ मे आ गयी उसने भी उनसे वादा किया कि वह अपने खिलौने सभी के साथ मिलकर खेलेगा। अब पूरब का वापस अपनी दूनियाँ मे जाने का समय हो गया था। उस सफेद घोडे ने पूरब को अपनी पीठ पर बिठाया और अपने पंख फैला कर आसमान की ओर उड गया।

अचानक से पूरब की नीन्द खुली तो उसने देखा कि सुबह का सूरज निकल चुका है सुरज की रोशनी उसकी खिडकी से सीधे उसके पलंग की ओर आ रही थी। उसने अपने आस पास मे सम्भाला तो पाया कि उसका खास खिलौना मोटा सेठ उसके तकिये के पास ही था और बाकी सारे खिलौने अपनी जगह पर थे।

पूरब ने पहली बार इतना खूबसुरत सपना देखा था। दूसरे ही दिन पूरब अपने सभी खिलौने लेकर संध्या के पास आया और बोला आज हम दोनो साथ मे खेलेंगे। पूरब मे यह बदलाव देखकर संध्या बहुत खुश हुई। उसने अपने सपने के बारे मे संध्या को बताया अब दोनो घुल मिलकर खेलने व रहने लगे।

सीखः- खुशियाँ हमेशा बाँटने से बढती है अर्थात किसी भी खुशी मे अकेला ही शामिल होने से अच्छा अपने साथियों को भी उसमे शामिल करें।

आज इस पोस्ट में हमने moral story for kids in hindi में एक moral story पढ़ी आपको हमारी कहानी कैसी लगी ये हमें कमेन्ट में जरुर बताये share और follow करना ना भूले ताकि लेखक की कलम को बढ़ावा मिल सके। ऐसी मजेदार कहानियाँ पढने के लिए motivationdad.com से जुड़े रहे।

कहानी को पूरा पढने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद !!!!

read more also interesting story:- 

   

 

 

 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ