moral stories in hindi....किस्मत का तमाशा

 

नमस्कार दोस्तों:- आप सभी का हमारी कहानियों की दुनियाँ मे स्वागत है। मुझे उम्मीद है कि आप हमारी कहानियों का बडे चाव से लुप्त उठा रहें होंगे। मै आपके लिए हर बार एक प्रेरणादायक कहानी पेश करने की कोशिश करता हूँ आज की कहानी भी कुछ ऐसी ही है।



किस्मत का तमाशा (moral stories in hindi)

   यह कहानी रानी बिटियाँ की है रानी बिटियाँ जो कि किसी महलों की राजकुमारी या किसी अमीर बाप की बेटी नही है। वह सडक पर तमाशा दिखाने वाले बिरजू की बेटी है बिरजू सडक पर अलग अलग तरह के तमाशा दिखाया करता था। उसके काम से ही उसके गरीब परिवार का पेट पलता था। रानी को भी तमाशाही के कुछ करतब आते थे जो कि उसने बिरजू से ही सीखे थे। एक दिन सडक दुर्घटना मे बिरजू का एक पैर टूट गया  और कई जगह चोट भी आ गयी थी। अब काफी समय तक उसे आराम की जरूरत थी क्यों की उसके पैर को ठीक होने मे बहुत समय लगने वाला था मगर गरीब बिरजू के परिवार की आर्थिक अवस्था खराब होने लगी। अब घर मे कोई भी उसकी जगह काम करने वाला नही था उसके परिवार मे उसकी पत्नि और एक बेटी रानी, एक बेटा बबलू था बबलू अभी छः वर्ष का ही था रानी जो कि तकरीबन बारह वर्ष की थी रानी पुरे गाँव मे सबसे समझदार और घर परिवार की लाडली थी। वह सरकारी स्कूल मे अपने भाई के साथ पढती थी स्कूल मे सबसे होशियार होने के कारण मास्टर जी की भी लाडली बन गयी थी इस कारण पूरा गाँव रानी को रानी बिटियाँ कहकर पुकारता था।

               बिरजू का परिवार संकट मे था उनकी आर्थिक अवस्था बहुत ही दयनीय हो गयी थी। ऐसे मे रानी और उसकी माँ जमुना ने फैसला किया कि जब तक बिरजू पुरी तरह स्वस्थ नही हो जाता वह दोनो शहर जाकर तमाशा दिखायेंगे। दोनो शहर से काफी अनजान थे मगर उनकी मजबूरी उन्हे शहर तक खींच कर ले गयी। शहर मे सडक के किनारे रानी रस्सी पर पगडंडी के सहारे चल रही थी। रस्सी जमीन से तकरीबन दस-बारह फीट की ऊँचाई पर थी। रानी यह करतब अच्छी तरीके से जानती थी अब रानी, जमुना और उसका छोटा भाई गली गली, मोहल्ले मोहल्ले मे घूम कर तमाशा दिखा रहे थे।

                मई-जून की गर्मी थी वलभ्भ चौक पर तमाशा चल रहा था आज रस्सी की ऊँचाई थोडी ज्यादा थी। मगर रानी घबराने वाली नही थी वह पगडंडी पर रस्से के इस कोने से उस कोने तक चल रही थी। इस कोने से उस कोने का सफर जोखिम भरा था। सडक पर जमवाड़ा इक्कट्ठा हो गया था। सडक पर काफी लोग रूक कर उसका तमाशा देख रहे थे तो कुछ लोग थोडी देर रूकने के बाद निकल रहे थे। कोई रानी के करतब को सराहना दे रहा था तो कोई उसे बेकार बता रहा था।  कोई एक रूपया कोई दो रूपया तो कोई कोई पाँच दस रूपया जमीन पर पडी एक पुरानी लकडी की पेटी मे डाल रहा था। स्कूल मे सबसे होशियार व अव्वल आने वाली रानी आज वक्त के हाथो इतनी मजबूर थी कि उसे पढाई लिखाई सब कुछ छोड कर गली गली तमाशा दिखाना पड रहा था। चोकलेट, टॉफ़ी खाने की उम्र मे सडकों पर अपना करतक दिखा कर एक एक रूपया इक्कट्ठा कर रही थी। जिस उम्र मे गिल्ली डंडा खेलना चाहिए था उसी उम्र मे वह अपनी बदनसीबी का खेल देख रही थी।

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              एक ओर रानी तमाशा दिखा रही थी। वहीं सामने सडक पर अमीर अमीर लोग अपनी महंगी महंगी गाडियों मे एयर कंडीशन मे बैठे रानी का तमाशा देख रहे थे। उनमे इतनी भी हिम्मत नही थी कि अपनी गाडी से बाहर निकल कर दो कदम का फासला तय करके पाँच दस रूपये से रानी के तमाशे को प्रोत्साहन दे सके। रानी की उम्र के बच्चे भी भीड मे शामिल थे किसी के हाथ मे आइसक्रीम तो किसी के हाथ मे पॉपकॉर्न था। ऊपर वाले ने अपने हाथो से कैसा नजारा संजोया था एक तरफ एक छोटी सी बच्ची एक दो रूपये इक्कट्ठे करके अपने परिवार के पेट की आग बुझा रह थे। अपना खून पसीना एक कर रही थी।  दूसरी तरफ उसी उम्र के बच्चे पॉपकॉर्न, आइसक्रीम का मजा लूट रहे थे।

             रानी यह नजारा अपनी आँखों से देख रही थी उसका भी मन आइसक्रीम, चोकलेट और पॉपकॉर्न खाने को कर रहा था। वह सुबह से भूखी भी थी। वह मन ही मन अपने भगवान को याद कर रही थी  और उससे पूछ रही थी कि उन्होने उसके और उन बच्चो के नसीब मे इतना फर्क क्यो किया है। मगर सब नसीब का खेल था। अगले ही पल रानी अपने पिता को याद करके उनके ठीक होने के लिए दुआ कर रही थी।

            उस दिन रानी के शरीर मे काफी कमजोरी महसूस हो रही थी। घर की आर्थिक अवस्था इतनी खराब थी कि बिरजू के इलाज के खर्चे के बाद पेट भर खाना भी नही मिल पा रहा था। रानी को करतब दिखाते हुए काफी समय हो गया था। उसे कमजोरी के कारण रस्सी पर ही चक्कर आने लग गये रस्सी से गिरने का पूरा जोखिम था। रानी अपने आप को सम्भालने की कोशिश कर रही थी मगर अचानक ही वह रस्सी की ऊँचाई से नीचे गिर गयी और गिरते ही रानी के सिर पर गहरी चोट लग गयी। यह देख जमुना को कलेजा फट गया उसने दौडकर अपनी रानी बिटियाँ को सम्भाला। जमुना का हाथ और आँचल पूरा खून से सन्न गया था।

             रानी के सिर से काफी खून निकल रहा था। जमुना और रानी का छोटा भाई बबलू सडक पर ही रो रहे थे। भीड और बढ रही थी जमुना भीड मे खडे सभी लोगों से हाथ जोडकर मदद की गुहार कर रही थी। हर आने जाने वाली गाडी को रोकने का प्रयास कर रही थी। वह सभी से प्रार्थना कर रही थी कोई तो उसकी बेटी का अस्पताल तक पहुँचा दो उसके सिर पर गहरी चोट आई है कोई तो मेरी मदद करो। मगर भीड मे जमा सभी लोग निर्दयी थे सभी जमुना की हालत देख रहे थे मगर कोई उसकी तरफ मदद का हाथ नही बढा रहा था। उनकी पीडा सनने वाला वहाँ कोई नही था। जमुना की आँखों से आँसू रूकने का नाम ही नही ले रहे थे। वह शहर से अन्जान भी थी।

             इतने में उधर से एक बूढा व्याक्ति गुजर रहा था। जिसके तन पर पुराने,मेले-कुचले कपडे पहने हुए थे जिसका नाम मुरारी था उसे लोग मुरारी काका कहकर पुकारतें थे। मुरारी काका पेशे से किसान था अभी अभी अपनी फसलों का सौदा करके अपने गाँव की ओर लौट रहा था। उसने वहाँ जमा भीड मे घुसकर देखा कि कोई मदद की गुहार कर रहा है। मुरारी काका दौडते हुए जमुना और रानी के पास आये तो देखा एक छोटी बच्ची के सिर पर गहरी चोट लगी है और बहुत सारा खुन निकल रहा है। जमुना उससे अस्पताल ले जाने की प्रार्थना कर रही थी।

             मुरारी काका ने इघर उधर भीड मे नजरे घुमाई तो पाया कि वहाँ कोई भी उनकी मदद करने वाला नही है सभी इन्सानियत खो चुके थे। मुरारी काका ने रानी को अपनी गोद मे उठाया और सडक पर चलते हुए एक ऑटो को रोका और फोरन पास मे ही स्थित एक सरकारी अस्पताल की ओर ले गया। अस्पताल मे भीड भाड तो काफी थी मगर कुछ ही देर मे रानी का इलाज शुरू हो गया। रानी के सिर से काफी खून बह चुका था। इलाज के लिए उसे रक्त की आवश्यकता थी। बूढे मुरारी काका ने अपनी इन्सानियत दिखाई और बिना सोचे समझे रानी की जान बचाने के लिए अपना रक्तदान किया।

            कुछ ही घण्टो मे रानी की तबियत मे थोडा सुधार आया। तकरीबन दो दिन अस्पताल मे भर्ती रहने के बाद डॉक्टर ने उसे घर ले जाने की सलाह दी। मुरारी काका ने जमुना की आर्थिक स्थिति को देखते हुए उसे दवाई के लिए कुछ रूपये भी दिये और उसे घर तक सही सलामत पहुँचाया। जमुना मुरारी काका को खूब दुआएं दे रही थी।  इस प्रकार मुरारी काका ने रानी की जान बचाई। 

           दुनियाँ मे बहुत कम ही सही मगर आज भी मुरारी काका है। जो समय-समय पर इन्सानियत की मिशाल पेश करते रहते है।

सीखः- जीवन मे कभी-कभी हमे किसी की सहायता करने का मौका मिलता है शायद हमारे द्वारा की गयी सहायता से किसी की जान भी बचाई जा सकती हो।

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