फटा पोस्ट कार्ड निकली बुरी खबर,Old story in hindi

आज की यह कहानी पुराने समय की है आपको यह कहानी बहुत पसन्द आयेगी। old story in hindi मे हमने शिक्षा के महत्व के बारे मे बताया है किस तरह जागृति देवी गाँव गाँव व घर घर जाकर शिक्षा का प्रचार प्रसार किया करती थी। जिससे इन्सान के अँधेरे जीवन मे साक्षरता की रोशनी लाई जा सके।

Old story in hindi
फटा पोस्ट कार्ड निकली बुरी खबर,Old story in hindi  

फटा पोस्ट कार्ड निकली बुरी खबर:- एक समय की बात है एक गाँव मे जागृति देवी नाम की अध्यापिका थी जो कि गाँव गाँव जाकर शिक्षा का प्रचार प्रसार करती थी। सभी के मन मस्तिष्क मे शिक्षा की चेतना जगाया करती थी। गाँव मे शिक्षित लोग दूर दूर तक नही दिखाई पडते थे अगर किसी को कोई चिट्ठी-पत्री या सन्देश पढवाना होता तो गाँव की स्कूल के सरकारी मास्टर या पोस्ट मास्टर को ढूंढना पडता था।

गाँव के लोग अशिक्षित होने के कारण पढना लिखना नही जानते थे ऐसे मे किसी आकस्मिक कारण चिट्ठी पत्री को किसी संकेत के साथ भेज दिया जाता था। वह जमाना पोस्ट कार्ड का था और पोस्ट कार्ड को देखकर ही खबर का अन्दाजा लगाया जाता था।

जागृति देवी सभी औरतों को शिक्षा ग्रहण करने की सलाह दिया करती थी मगर उस समय गाँव मे बहुत कम लोग पढे लिखे हुआ करते थे औरतों का पढना तो बहुत मुश्किल था। जागृति देवी औरतो को बहुत समझाती उन्हे शिक्षा का महत्व बताती थी।

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एक दिन जागृति देवी गाँव मे स्कूल की तरफ जा रही थी कि उसने देखा कि एक घर मे से किसी के रोने करहाने की आवाज आ रही है। घर के बाहर खूब सारे जूते चप्पले पडे हुए थे शायद अन्दर काफी लोग जमा थे। उसे घर के बाहर एक आदमी मिला जो वहीं जाकर आ रहा था।

जागृति देवी ने उस आदमी से पूछा- चाचा, उस घर मे इतना शोर शराबा क्यों हो रहा है। चाचा बोला- बिटिया, शोर शराबा तो होगा ही जमुना काकी के पिता बहुत समय से बीमार थे उनका देहान्त हो गया। जागृति देवी बोली- चाचा, क्या उनके माईके से कोई उनका सन्देशा लेकर आया है।

चाचा बोले- अरे, नही बिटियाँ........फटा हुआ पोस्ट कार्ड आया है।

फटा हुआ पोस्ट कार्ड- जागृति देवी अचम्भे से बोली। मै कुछ समझी नही।

चाचा बोले- बिटिया, इस गाँव मे सभी तुम्हारी तरह मास्टर मास्टरनी तो है नही। सभी अनपढ़ है काला अक्षर भैंस बराबर। जब भी कोई बुरी खबर होती है तो गाँव वाले अपने रिश्तेदार, परिजनों के यहाँ पोस्टकार्ड को थोडा सा फाड कर भेज दिया करते है जो कि बुरी खबर को संकेत हुआ करते थे।

जागृति देवी यह सब बडे चाव से सुन रही थी उसने ऐसी खबर पहली बार सुनी थी। जागृति देवी बोली- मगर चाचा......यह कैसा संकेत हुआ। चाचा बोले- बिटियाँ, हमारे आस पास के सभी गाँवों मे यही प्रचलन है मै तो बचपन से ही यही देखता आ रहा हूँ।

जागृति देवी ने जमना काकी के घर जाकर देखा सभी घर के आँगन मे बैठे मातम मना रहे थे। जमना काकी उस फटे पोस्ट कार्ड को हाथ मे लिए सर पकड कर रो रही थी उसके साथ साथ बाकी औरते भी विलाप कर रही थी। जागृति देवी भीड से गुजर कर जमना काकी की तरफ गयी और उसे देख जमना काकी और जोर से रोने लगी। जागृति देवी ने जमना काकी से वह पोस्टकार्ड लेना चाहा जो कि किनारे से फटा हुआ था उसमे कुछ लिखा हुआ था मगर जमना काकी ने उसे कसकर पकड रखा था किसी तरह मुश्किल से जागृति देवी ने वह पोस्टकार्ड अपने हाथ मे लिया और उस पर लिखा सन्देशा पढ़ा।

उसे मन ही मन बडे जोरों की हंसी आ रही थी मगर उसने बडी मुश्किल से अपनी हँसी को काबू मे किया और जमना काकी के पास जाकर उसे रोना धोना बन्द करने के लिए कहा मगर वहाँ कोई सुनने को तैयार ही नही था। कई बार प्रयत्न करने के बाद वह सभी को एक बार के लिए चुप करवा पाई। वह बोली- काकी, आप बेमतलब मे क्यों गला फाड फाड कर रो रही हो आप जैसा सोच रही हो ऐसा कुछ भी नही है बल्कि यह तो खुशखबरी का सन्देशा है। यह सुन जमना काकी समेत सभी औरते उसकी तरफ हेरत से देखने लगी। जागृति देवी बोली- काकी, इसमे लिखा है कि आपके पिताजी की तबियत एक दम सही है और वहाँ सभी कुशल मंगल है और तो और आपके भतिजे का विवाह तय हो गया है आज से ठीक बीस दिन बाद आपके भतीजे का विवाह है आपको दस दिन पहले बुलाया है। इतना सुनते ही जमना काकी ने तुरन्त अपनी आँखों से आँसूं पोंछे और जागृति देवी से बोली- ये क्या कह रही हो मास्टरनी जी। जागृति देवी मुस्कूराते हुए बोली- बिल्कुल सही कह रही हूँ काकी। यह तुम्हारे पिताजी के मौत का सन्देशा नही बल्कि तुम्हारे भतीजे के विवाह की खुशखबरी का सन्देशा है।

सभी औरतें अपनी जगह से खडी हो गयी। एक औरत ने कहा- जमना तुने यह क्या किया, बेवजह अपने पिता का मातम मनवा कर घर मे अपशगुन करवा दिया। जमना बोली- मगर, जीजी मैने फटा हुआ पोस्टकार्ड देखा तो मुझे लगा कि कोई बुरी खबर है। मेरे पिताजी की तबियत बहुत समय से खराब थी तो मुझे लगा कि शायद वह चल बसे है और फटा हुआ पोस्ट कार्ड तो तभी आता है ना जब कोई बुरी खबर हो।

इतने मे जागृति देवी बोली- काकी, यह भी तो हो सकता है कि जब डाकिया बाबू चिट्ठी देने के लिए आया हो तो बन्डल से पोस्टकार्ड निकालते वक्त इसका किनारा थोडा सा फट गया होगा और आपने इसे बुरी खबर समझ लिया। मै कुछ दिनों से यही तो समझाने का प्रयास कर रही थी अगर गाँव मे कोई भी आदमी या औरत पढ़ा लिखा होता तो शायद आपसे यह भूल नही होती। बस यही बात आप लोगों समझ नही आ रही थी कि आज के दौर मे इन्सान का पढ़ा लिखा होना कितना अनिवार्य है। आज आप मे से कोई भी पढ़ा लिखा होता तो विवाह की खुशखबरी को मौत की बुरी खबर समझ कर बेवजह मौत का मातम मना कर अपशगुन नही करता।

शायद अब यह बात गाँव के सभी पुरूषों और औरतों को समझ मे आ गयी की इन्सान का पढना लिखना कितना जरूरी है।

जमना काकी बोली- मास्टरनी जी, आप की बात तो बिल्कुल सही है। सभी पुरूषों और औरतों ने ठान लिया कि वह पढना लिखना सीखेंगे ताकि भविष्य मे उनसे ऐसा अपशगुन ना हो।  दूसरे ही दिन समय निकालकर गाँव के सभी पुरूष व औरतें जागृति देवी के विधालय शिक्षा ग्रहण करने के लिए जाने लगे।

इस प्रकार जागृति देवी ने गाँव-गाँवघर-घर जाकर शिक्षा की अलख जगाने का कार्य सकुशलता से किया।

सीख:- इन्सान के जीवन मे शिक्षा का अत्यधिक महत्व है। शिक्षाहीन होना इन्सान के जीवन मे एक अभिशाप का कार्य करता हैं। अच्छी शिक्षा ग्रहण किये हुए इन्सान को जीवन मे सफल होने के अनेक अवसर मिलते है जिससे वह अपने भविष्य को उज्जवल बना सके मगर साक्षरहीन व्यक्ति के पास यह सभी अवसर सीमित रह जाते है।

आज इस पोस्ट में हमने old story in hindi में एक फटा पोस्ट कार्ड निकली बुरी खबर पढ़ी आपको हमारी कहानी कैसी लगी ये हमें कमेन्ट में जरुर बताये share और follow करना ना भूले ताकि लेखक की कलम को बढ़ावा मिल सके। ऐसी मजेदार कहानियाँ पढने के लिए motivationdad.com से जुड़े रहे।

कहानी को पूरा पढने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद !!!! 

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