नमस्कार दोस्तोः- आपका हमारी हिन्दी कहानियाँ मे स्वागत है कहानियाँ मतलब
प्रेरणा और यह प्रेरणा इन्सान के जीवन को सफल बनाने मे सहायक सिद्ध होती है। अगर
आपको अच्छी संगति या प्रेरणा की जरूरत है तो आप हमारी short motivation story या प्रेरणादायक कहानियाँ आदि से जुड सकते है। सच कहें तो यह कहानियाँ
या इनसे मिलने वाला ज्ञान हमारे जीवन को एक नई दिशा दे सकता है। आप अगर कहानियाँ
पढ़ने के शोकिन है तो आप जरूर इनसे कुछ नैतिकता सीखेंगे जो कि आपको आपके उज्जवल
भविष्य की ओर ले जाता है किसी ने सही ही कहा है कि किताबे अर्थात ज्ञान ही इन्सान
के सच्चे मित्र होते है। आज हम आपके सामने hindi short stories with moral for kids मे कुछ कहानियाँ पेश करना चाहते है। हमें
उम्मीद है की यह आपको बेहद पसंद आएगी।
1.संयम
और धैर्य
2.ईश्वर
से मिलने की चाह
hindi short stories with moral for kids-हिंदी प्रेरणादायक कहानियाँ
संयम और धैर्य
(hindi short stories with
moral)
एक समय की बात है। एक स्थान पर
गंगा नदी का मृतगंगा नामक एक बहुत बड़ा द्रह था। उसमें अनेक प्रकार के कछुए रहते
थे। एक बार संध्या के समय द्रह से दो कछुए बाहर निकल कर आ गये। वहाँ बहुत ही
शान्ति का वातावरण था वह भोजन की तलाश में निकल गये। पास मे एक जंगल भी था जहाँ दो
पापी धूर्त गीदड़ रहते थे। वह भी भोजन की तलाश में घूमते घूमते मांसल कछुए पर उनकी
गन्दी नजर गई। उन्होने कछुए को अपना शिकार बनाने की कोशिश की वे चुपचाप कछुओं पर
हमला करने वाले ही थे कि कछुओं ने सावधान होकर अपने सिर और पैर आदि सब अंग
प्रत्यंग अपनी कठोर पीठ मे समाहित कर लिये और सिर्फ कठोर हिस्से के अलावा कुछ दिख
ही नही रहा था जैसे उनमें प्राण हे ही नही।
कछुए को एक दम निर्जीव की तरह पाकर धूर्त गीदड़ निराश हो गया। वह निकट आए उसे हिलाया डुलाया दाँतों से नोचा और नाखूनों से
कुरेदा किन्तु सब कुछ करने पर भी कछुए टस
से मस नही हुए। उन्होने कोई भी अंग बाहर नही निकला।
गीदड़ थक गए थे किन्तु फिर भी हारे नही। बल नही चलने पर छल का प्रयोग किया
उन्होने पास ही मे स्थित गहन झाड़ियों मे छिप कर कछुओं पर घात लगा कर बैठ गए।
कुछ समय हो गया एक कछुआ थक गया था। उससे इतनी देर संकुचित रहा नही गया।
उसने धीरे से अपना एक पाँव फैलाया कि तुरन्त गीदड़ ने दौडकर उसके पाँव को नोच लिया
और फिर जाकर झाड़ियों में छिप गया। इस प्रकार रह रह कर कछुआ अपना एक एक पाँव बाहर
फैलाता गया और पापी गीदड़ ने उसे भी नोचते गये। वह शक्तिहीन हो गया। जब अंत में
उसने ग्रीवा ऊपर उठाई कि दोनो ही गीदड़ उस पर झपट पडे और उसे अपना आहार बना लिया।
दूसरे कछुए के लिए भी वे बहुत देर तक ताक लगाए बैठे रहे। किन्तु वह तो अपनी
संकुचित स्थिति में ज्यों का त्यों जमा रहा। संयम और धैर्य से विचलित नही हुआ।
गीदड़ उसकी प्रतिक्षा करते करते थक कर चले गये। उसने सावधानी से सबसे पहले ग्रीवा
बाहर निकाली चारों ओर देखा। जब अपने को सुरक्षित
पाया तो अत्यन्त शीघ्रता से चारों पैर एक साथ बाहर निकले और दौडकर द्रह में अपने
बन्धु जनों के पास सुखपूर्वक पहुँच गया और आन्नद से रहने लगा।
शिक्षा- धैर्य और संयम से उठाया गया कदम
जीवन मे लाभकारी सिद्ध होता है।
ईश्वर से मिलने की चाह
(hindi short stories with
moral for kid)
एक समय की बात है। एक नदी किनारे
एक फकीर रहता था वह हर समय ईश्वर का ध्यान करता था। एक दिन उसे एक संत मिला उससे
बोला ईश्वर को पाना चाहते हो तो फकीर बोला हाँ महाराज मेरी इच्छा बहुत है और
इसीलिए मै सारा दिन ईश्वर की अराधना करता रहता हूँ। सन्त बोला उस शहर में ऐसा मोहल्ला है वहाँ एक
सीढ़ी नजर आएगी तुम ऊपर की तरफ चले जाना और ईश्वर को आवाज देना तुम्हे ईश्वर मिल
जायेगा। इतना सुनकर फकीर बड़ा खुश हुआ जैसा सन्त ने कहा था फकीर उस शहर के उसी
मौहल्ले मे पहुँच गया। वहाँ उसे वह सीढ़ीयाँ मिल गयी वह बहुत प्रसन्न हुआ ईश्वर से मिलने
की चाह लेकर वह सीढ़ीयाँ चढ़ने लगा।
read also:-
फकीर जैसे जैसे सीढ़ीयाँ चढने लगा उसके मन
मे अनेक विचार आने लगे कि ईश्वर कैसा होगा। मुझे पहचानेगा कि नही मैं उसको क्या
कहूँगा वो मुझे क्या कहेगा मेरी भक्ति उसे पसंद आयेगी या नही। इतना सोचते हुए वह
सीढ़ियाँ पार कर गया और कुण्डा खडकाने ही लगा था तो उसके दिल से आवाज आई कि अरे
फकीर तू क्या कर रहा है।
आज तुझे ईश्वर मिल गया तो कल क्या करेगा
किस की बंदगी करेगा। जो मस्ती तुझ मे आज है वो कल कहाँ होगी। आज तो तेरे मन में
क्या क्या विचार है। मगर ईश्वर को पाने के बाद वो विचार कहाँ से लाएगा इसीलिए तो
पहले सोच फिर दस्तक दे। फकीर बड़ा ही उलझन में पड गया सोचा कि उसकी आत्मा ठीक ही कह
रही है मुझे परमात्मा से मिलकर क्या करना है मुझे तो उसका नाम ही झपना है और आन्नद
लेना है मैं नही मिलूंगा....मै नही मिलूंगा.....मै नही मिलूंगा। ऐसा कहता कहता वह
सीढ़ियों से आहिस्ता आहिस्ता नीचे उतर आया ताकि ईश्वर उसकी आवाज सुनकर कहीं उसे
बुला ना ले वापिस उसी स्थान पर चला गया जहाँ पहले उसकी भक्ति करता था फिर से वही
मौज मस्ती करने लगा ईश्वर का जप व उसकी अराधना मे मस्त रहने लगा। वह सन्त वहाँ आया
और उससे बोला ईश्वर मिला या नही। फकीर बोला मै गया तो था ईश्वर से मिलने मगर मै
उससे मिला नही। क्यों नही मिला सन्त बोला। फकीर ने कहा अगर मै ईश्वर से मिलता तो
मेरी मस्ती ही खत्म हो जाती फिर मै क्या करता जो मजा ईश्वर की भक्ति में है, वह
उससे मिलने के बाद नही रहता क्योंकि मजा इन्तजार मे है वो पाने मे कहाँ है। कहता
कहता फकीर फिर से अपनी ईश्वर की अराधना भक्ति भजन मे लग गया शायद उसे सच्चा ज्ञान
प्राप्त हो गया था।
शिक्षा- किसी भी कार्य को करने से पहले उसका वास्तविक ज्ञान
होना आवश्यक है।
0 टिप्पणियाँ