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नमस्कार दोस्तोः- आपका हमारे मोटिवेशन कहानियों मे स्वागत है आज मै
आपके सामने एक अच्छी और प्रेरणादायक हिन्दी कहानियाँ पेश करना चाहता हूँ। मुझे यकिन है कि हर इन्सान के जीवन मे
इन मोटिवेशन स्टोरी का महत्वपूर्ण स्थान है आपको हमारी कहानियाँ काफी पसन्द आयेगी
तो बने रहिऐ हमारी मोटिवेशन कहानियों पर।
hindi short stories with moral -- हिंदी प्रेरणादायक कहानियाँ
1.मूर्ख बारहसिंगा
2.भालू का क्रोध
3.गलत फैसला
मूर्ख बारहसिंगा- (morel story)
एक समय की बात है। किसी जंगल मे एक बारहसिंगा रहता था। वह एक तालाब पर पानी पी रहा था। अभी बारहसिंगा ने एक दो घूंट पानी ही पिया था कि उसकी दृष्टि तालाब के पानी में दिखाई देते अपने प्रतिबिम्ब पर पड़ी। वह अपने सुन्दर सींगो को देखकर प्रसन्न हो उठा बोला वाह....कितने सुन्दर है मेरे सींग।
तभी उसकी नजर अपने पैरों पर पड़ी- ओह... कितने भददे है मेरे पैर कितना अच्छा होता, यदि मेरे सींगो की भांति यह भी सुन्दर होते। यह सोचकर वह
निराश हो गया। अचानक उसके चैकन्ने कानों ने किसी के आने की आहट सुनी। खतरा भाँपते
ही वह वहाँ से भाग खड़ा हुआ। बहुत जल्दी वह लम्बी लम्बी छलांगे मारता हुआ एक पहाड़ी
पर पहुँच गया।
वह पहाड़ी के दूसरी ओर घने जंगल में
उतरा और तेजी से दौड़ पड़ा। परंतु हाय रे भाग्य। अभी उसने कुछ ही छलांगे भरी थी कि
उसके सींग घनी झाड़ी की टहनियों से उलझ गए। सींगो के अचानक उलझ जाने के कारण उसे एक
तेज झटका सा लगा और उसे रूकना पड़ा। उसकी तलाश में शिकारी भी पहाड़ी पर चढ़कर अब घने
जंगल की ओर आ रहे थे। उसने पेड़ो की टहनियों में फँसे सींग छुड़ाने के लिए जोर
लगाया। मगर सफलता नहीं मिली। वह बुरी तरह छटपटाने लगा मगर कोई लाभ न हुआ बल्कि उसके छटपटाने से झाड़ी को बुरी तरह हिलती देख शिकारी
भी उस ओर आकर्षित हुए और उसके बिल्कुल करीब आ गए।
बारहसिंगा समझ गया कि उसका अन्तिम
समय अब करीब आ गया है। उसने शिकारियों की ओर याचना भरी दृष्टि से देखा। मगर शिकारी
क्या जाने दया भाव। एक शिकारी ने तीर चलाया। जो ठीक निशाने पर लगा और बारहसिंगा
अधमरा होकर नीचे जमीन पर गिर गया। अब मृत्यु करीब आ गयी थी बारहसिंगे ने मरने से
पहले सोचा- मै अपने पतले पैरों से घृणा करता था जबकि यही पैर मुझे सुरक्षित यहाँ तक लाए और जिन सींगों पर मुझे इतना अभिमान था वह ही मेरी मृत्यु का कारण बने। किसी ने ठीक ही कहा है किसी चीज का सुन्दर
नहीं उपयोगी होना बेहतर है। यही सोचता सोचता बारहसिंगा मर गया।
शिक्षाः- सुन्दरता नही गुणों का होना
अनिवार्य है जो जीवन को बेहतरीन बनाने मे सहायक
सिद्ध होते है।
भालू का क्रोध
(hindi short stories
with moral for kids)
एक समय की बात है एक भालू बहुत ही
खुश होकर जंगल मे घूम रहा था। उसे किसी अच्छे भोजन की तलाश थी और वह अच्छा भोजन था
शहद। भालू को यह भी मालूम था कि उसे शहद कहाँ मिलेगा। उसे अपना थूथन उठाया कुछ सूंघा और फिर एक ओर चल पडा। परंतु जैसे ही वह शहद वाले स्थान पर पहुँचा वहाँ एक मधुमक्खी उडती हुई आई और उसने भालू को डंक मार दिया। इससे भालू बहुत
क्रोधित हुआ और उसने पेड पर चढ़कर एक ही थूथन में शहद का छत्ता गिरा दिया।
मधुमक्खियाँ शहद इक्ट्ठा करने में
जुटी हुई थी। इस अचानक के हमले से वह भौचक्की रह गई। मगर जल्द ही उन्हे भालू की
करतूत का पता चल गया। फिर क्या था वे हजारों की संख्या में भालू पर टूट पडी और उसे
डंक मारने लगी। भालू बेचारा अधमरा-सा हो गया। वह अपनी मूर्खता पर पश्चाताप करने
लगा। जब मधुमक्खियाँ चली गई तो वह खुद को धिक्कारने लगा कि मै कितना
मूर्ख था। निर्दोषों को दण्ड दे रहा था। एक मधुमक्खी के काटने पर मैने अपना क्रोध
पूरे छत्ते पर निकाल दिया। यदि मैं चुपचाप आगे बढ़ जाता तो मेरे शरीर में हजारों
डंक नहीं चुभते।
शिक्षाः- एकता से बडी शक्ति को भी परास्त
किया जा सकता है।
गलत
फैसला
(short
motivational story in hindi)
एक समय की बात है एक बार एक घोडा एक
नदी पर पानी पीने के लिए गया। उस समय उसी नदी मे एक जंगली सूअर स्नान कर रहा था।
घोडा पानी पीने ही वाला था कि सूअर जोरो से चिल्लाया- अरे.... ओ मूर्ख। तुम इस नदी
से पानी नही पी सकते। यह नदी मेरी है।
इसी बात को लेकर उन दोनो में झगडा
होने लगा। तभी उधर से एक आदमी जाता दिखाई दिया। उसके पास तीर कमान थी। घोडे ने उस
आदमी को रोक कर अपनी परेशानी बताई और कहा कि सुअर बहुत घमण्डी है और उसे पानी पीने
नही दे रहा है। उसने उस आदमी से कहा कि वह सुअर को मार दे। उस आदमी ने उत्तर दिया-
देखों भाई। मै सुअर को मार तो देता मगर वह बुरी तरह भाग रहा है। वह
निशाने से दूर भी है। मै उसका पीछा भी नही कर सकता क्योंकि मैं तेज नहीं दौड सकता।
लेकिन मै तो दौड सकता हूँ। घोडा
बोला- मै उससे अधिक तेज दौड सकता हूँ आओ जल्दी मेरे ऊपर बैठो। उसका पीछा करते है।
वह आदमी तुरंत घोडे पर सवार हो गया।
घोडा सुअर के पीछे दौडा। जल्दी ही सुअर तीर के निशाने पर आ गया। आदमी ने तीर कमान
पर चढाया और सुअर का निशाना लेकर तीर छोड दिया। तीर सुअर को लगा और तुरन्त ही उसकी
मृत्यु हो गयी।
सुअर को मरा हुआ देखकर घोडा बहुत ही
प्रसन्न हुआ। मगर घोडे से अधिक वह आदमी प्रसन्न था। उसे अचानक ही घोडे की उपयोगिता
का पता चल गया था।
उसने घोडे से कहा- मै सुअर का आभारी
हूँ कि उसने तुमसे झगडा मोल लिया। इस कारण मुझे तुम्हारे ऊपर सवारी करनी पडी। तुम
बहुत काम के जानवर हो। मै तुम्हे घर ले जाऊंगा और वहाँ बांध कर रखूंगा। जब मैं
शिकार खेलने जाऊंगा तो तुम्हारे ऊपर बैठ कर शिकार खेलूंगा।
घोडा अब पछताने लगा। बदले की भावना
से प्ररित होकर उसने सुअर पर आदमी से हमला करवाया और स्वयं आदमी का जीवन भर का
गुलाम बन बैठा।
शिक्षाः-
शत्रु से बदला लेने के लिए अपने से बलशाली का सहारा मत लो।
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