Bed luck Short Stories for Kids in Hindi

नमस्कार दोस्तों:- आपका हमारी Bed luck Short Stories for Kids in Hindi में स्वागत है कृपया आप हमारी कहानियों पर बने रहीये! मुझे पूर्ण विश्वास है कि यह कहानी आपको बेहद पसन्द आयेगी।


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Bed luck Short Stories for Kids in Hindi (बच्चो के लिए मूल्यवान कहानियाँ) डॉक्टर साहब की दया:-

एक बार की बात है! किसी के रोने करहाने की आवाज आ रही थी!  पास मे ही एक मन्दिर भी था। उसकी भी घण्टियों की आवाज आ रही थी!  शायद पूजा आरती का समय था। पूजा समाप्त होने के बाद जब सभी भक्त मन्दिर से बाहर निकले। पास मे ही सडक के किनारे कुछ झुग्गी झोंपड़ीयाँ थी! यहाँ रहने वाले लोग काफी गरीब थे! किसी भी तरह अपना जीवन का गुजारा करते थे!  वहीं शायद कोई दर्द तकलीफ से करहा रहा था!  सडक से गुजरने वाले सभी लोगो के कानों तक आवाज तो आ रही थी! मगर किसी के पास समय नही था!  सभी अपने दैनिक जीवन मे व्यस्त थे!  मन्दिर मे से निकलने वालों लोगो मे एक पेशेवर डॉक्टर थे!  जिनका नाम डॉक्टर बंसल था!  वह जब वहाँ से निकले!  तो उन्होने भी किसी की दर्द से करहाने की आवाज सुनाई दी! वह एक नेक व्यक्ति थे!  उन्होने अपनी गाड़ी रोकी और गाडी से उत्तर कर झुग्गी झोंपडीयों की और आ गये!  उन्होने देखा एक झुग्गी झोंपडी मे एक औरत बहुत दर्द से रो रही थी!  उसकी आवाज सुनने वाला वहाँ कोई नही था!  वह झोंपड़ी मे अपने दो नन्हे नन्हे छोटे बच्चों के साथ थी!  बच्चे अपनी माँ को सम्भाल रहे थे!  मगर उसके दर्द का इलाज उनके पास नही था।   डॉक्टर साहब ने पूछा क्या हुआ तुम क्यो रो रही हो।  वह औरत अपने पेट पर हाथ लगाये रो रही थी!  बोली मेरे पेट मे बहुत दर्द हो रहा है!

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       उसके बच्चे भी उसके साथ रोते हुए बोले!  हाँ साहब हमारी माँ के पेट मे कई दिनो से दर्द हो रहा है।  !डॉक्टर साहब उसकी झोंपड़ी के अन्दर गये!  और उस औरत को चेक किया  उन्होने अपने ड्राईवर से कहकर स्टेथोस्कोप    अन्य सामान मँगवाया! बाद में स्टेथोस्कोप से चेक किया!  थोड़ी देर बाद उन्हे मालूम चला कि उनके पेट मे कुछ गलत खाने पीने की वजह से काफी दर्द हो रहा है।  डॉक्टर साहब ने एक पर्ची मे कुछ दवाईयाँ लिख कर दी!  वह पर्ची बच्चों के हाथ मे देने ही वाले थे  कि उनका हाथ वहीं रूक गये!  उसके बच्चों की आखों मे माँ के लिए आँसू थे  वह माँ को सँभालते हुए रो रहे थे!  डॉक्टर साहब ने महसूस किया कि वह छोटे छोटे मासूम बच्चे दवाई कहाँ से लायेंगे!  उसके बच्चे की उम्र महज दस वर्ष की और बच्ची कोई आठ वर्ष के लगभग होगी!  उनके पास तो माँ को दवाई देने के लिए भी पैसे नही थे।  डॉक्टर साहब ने अपने ड्राईवर को कहकर अपने घर से कुछ दवाईयाँ और इन्जेक्सन मँगवाया!  थोडी ही देर मे ड्राईवर सभी दवाईयाँ लेकर आया!  और डॉक्टर साहब ने उसे दवाई दी और दो इन्जेक्शन भी दिये  अब उस औरत को राहत मिली!  उसे राहत पाते देख डॉक्टर साहब को भी राहत मिली!  उन्होने उसके बच्चो को कुछ दिन की दवाईयाँ दी!  और कुछ भी बासी या दूषित भोजन खाने से मना किया।  वह बच्चे कुछ कहते उससे पहले ही वह औरत बोली  डाक्टर साहब आपकी फीस देने के लिए हमारे पास पैसे नही है।  आप अगर कहो तो मैं ठीक होने के बाद आपके घर का बर्तन  झाडू-कटका कर दूंगी।  डॉक्टर साहब बोले नही इसकी कोई जरूरत नही है!  तुम यह दवाई ले के ठीक हो जाओ!  यह मेरे लिए काफी है।  वह औरत डॉक्टर साहब को खूब दूआऐं देने लगी!  उसकी गरीबी देख कर  उन्होने उनसे पूछा तुम क्या  काम करती हो!  यहाँ तुम्हारे साथ और कौन रहता है!   वह औरत बोली मैं और मेरे दो बच्चे हम तीन जने यहाँ रहते है !   

डॉक्टर साहब ने फिर पूछा  तुम अपना गुजारा कैसे करती हो!  क्या काम करती हो! छोटा बच्चा अपनी तोतली आवाज मे बोला!  हम सब भीख माँगते है साहब।  उसके यह शब्द सुनते ही डॉक्टर साहब दंग रह गये।  वह औरत बोली साहब!   पेट पालने के लिए हम भीख माँगते है!  भीख मे जो भोजन- पैसा मिलता है! उसी से हमारा जीवन चलता है!  रात को जब बडी  बडी होटलो का खाना बच जाता है!  तो वह उसे कुडे दान मे फेंक देते है!  वहाँ हम लोग उसी भोजन का इन्तजार करते रहते है!  देर रात को जब होटल बन्द होती है!  जैसे ही होटल का आदमी बचा हुआ खाना कुडें दान मे डालता है!  तो हम छुप कर यह सब देखते रहते है!  और छुपकर वह सब ले आते है!  अब क्या पता कौनसी चीज कब बनी है!  हमे तो बस पेट की आग बुझानी होती है साहब।  गरीबी का यह खौफनाक नजारा देख कर डॉक्टर साहब दंग रह गये!  वह बच्चे और वह औरत अभी भी डॉक्टर साहब को खूब दुआऐ दे रहे थे!   उनके जुबान से दुआऐं रूक ही नही रही थी।  डॉक्टर साहब उनकी मदद करना चाहते थे!  उन्होने अपना कार्ड उस औरत को दिया!  और बोले इस पर मेरा पता लिखा है!  तुम्हे दवाई की जरूरत पड़े तो आ जाना!  और जब भी ठीक हो जाओ तो एक बार मुझसे मिलना!  मै तुम्हे कोई घर की साफ सफाई का काम दिलवा दुँगा!  जिसके बदले मे तुम्हे पैसे मिलेंगे और तुम अपना व अपने बच्चो का भरण पोषण कर पाओगी!  तुम्हे भीख मांगने की जरुरत नहीं है!  इतना कहकर वह वहाँ से चले गए!  वह  अपनी गाडी में बैठे अभी भी उस गरीब औरत के बारे मे ही सोच रहे थे!  आज पहली बार उन्होने गरीबी का यह खौफनाक मंजर अपनी आखों के सामने देखा था!

उनकी आखों मे से आँसू बहने लगे। आज पहली बार किसी मरीज के ईलाज के बदले उन्हे पैसे तो नही मिले मगर दुआऐं ढ़ेर सारी मिली।

शिक्षाः- कभी कभी इन्सान को अपने लाभ को एक तरफ रखकर किसी जरूरत मन्द इन्सान की मदद भी कर देनी चाहिए।

मन का मैल:-  

एक समय की बात है एक साधुओं की टोली अपने उचित स्थान पर जाने के लिए लम्बी यात्रा कर रही थी शायद वह बहुत लम्बे सफर पर थे। बहुत दिनों से लगातार चले जा रहे थे।

उनकी टोली मे एक युवक भी था जिसकी उम्र तकरीबन 20 वर्ष की थी। जो उनके साथ दीक्षा ग्रहण कर रहा था। लम्बा सफर तय करने के बाद एक जंगल आया जहाँ से एक नदी निकलती थी। सभी को उस नदी को पार करना था।

कुछ देर विश्राम करने पर वह सभी नदी पार करने के लिए चल पडे। जैसे ही वह नदी के पास पहुँचे तो पीछे से किसी के पुकारने की आवाज आयी। सभी ने पीछे मुडकर देखा तो उनके पीछे एक बहुत ही सुन्दर कन्या खडी थी। वह इतनी सुन्दर थी कि मानो कोई अप्सरा हो।

उस कन्या को उनकी सहायता की जरूरत थी। वह नदी पार करना चाहती थी मगर उसे तैरना नही आता था उसे नदी के उस पार अपने निवास पर जाना था। उसने सभी सन्तों से निवेदन किया की कोई उसे नदी पार करवा दे ताकि वह अपने घर जा सके।

सभी साधुओं ने उसकी सहायता करने से इन्कार कर दिया क्योंकि वह सभी बहम्चारी थे किसी कन्या या स्त्री का स्पर्श तो दूर उसके साये से भी दूर रहते थे।

उस कन्या के काफी समय तक निवेदन करने पर भी जब किसी ने उसकी सहायता नही की तो वह युवक उसकी सहायता के लिए राजी हो गया क्योंकि अगर वह उसे उस जंगल मे ही छोड जाते तो कोई ना कोई जंगली जानवर उसे अपना शिकार बना लेता।

युवक ने कन्या को अपनी पीठ पर बिठा लिया और नदी पार करवा दी। अब कन्या अपने निवास स्थान की ओर रवाना हो गयी और युवक साधुओं की टोली के पीछे पीछे चल दिया। कुछ मील की दूरी तय करने पर साधुओं का आश्रम आ गया।

सभी साधु आश्रम मे प्रवेश कर गये मगर जब उस युवक की बारी आयी तो सभी साधुओं ने उसे आश्रम मे प्रवेश नही करने दिया और सभी ने उसका बहिष्कार कर दिया। सभी कहने लगे की इसने एक स्त्री को छुआ है अब यह अपवित्र हो गया है यह हमारी टोली मे रहने योग्य नही है।

युवक के लाख समझाने पर भी कोई उसकी बात समझने को तैयार नही था। कुछ ही समय मे यह बात उनके गुरू के कानों तक पहुँची जो कि अन्दर तपस्या मे लीन थे। गुरू जी ने उन्हे अन्दर बुलाया और सभी युवक को गलत ठहरा रहे थे। युवक ने गुरूजी को पूरी बात बताई।

कुछ समय बाद गुरू जी बोले- आखिर तुम सभी इस युवक को क्यों गलत बता रहे हो। इसने कोई भी गलत कार्य नही किया। उस कन्या की सहायता तो तुम भी कर सकते थे मगर तुम्हे अपने बहम्चार्य पर यकीन नही था जब कि इस युवक को अपने आप पर व अपने बहम्चार्य पर पूर्ण विश्वास था। अगर यह उस कन्या की सहायता नही करता तो उस सूनसान जंगल मे कोई जंगली जानवर उसे अपना शिकार बना लेता। इसने उस कन्या को नदी पार करवायी। उसके बाद वह अपने निवास की ओर चली गयी और यह अपने आश्रम की ओर चल दिया इसने उस कन्या का विचार भी अपने मन मे नही आने दिया।

इसके मन मे कोई मेल नही है इसीलिए इसने उसकी सहायता की जबकि तुम सभी लोगो के मन मे अभी भी उसी कन्या का विचार घूम रहा है उसके विचार ने तुम्हारे मस्तिष्क को घेर रखा है अभी भी तुम उसी के बारे मे सोच रहे हो।

अब तुम तुम स्वयं विचार करो कि किसके मन मे मेल है इसके या तुम्हारे। आखिर तुम यह कैसे भूल गये कि हम सन्तो का तो सम्पूर्ण जीवन ही जन कल्याण व परोपकार के कार्य के लिए हुआ है।

गुरू जी की बात सुनकर सभी सन्त शर्मिन्दा हो गये और उन्हे अपनी गलती का आभास हुआ। उन्हे आज एक नयी सीख मिली थी। सभी ने उस युवक से क्षमा मांगी और अपने स्थान की ओर चल दिये।

शिक्षाःअक्सर इन्सान बिना सोचे समझे किसी निर्दोष व्यक्ति को दोषी ठहरा देता है और बाद मे उसे शर्मिन्दा होना पडता है।

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