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नमस्कार दोस्तों- मै आपके समक्ष कुछ प्रेरणादायक कहानियाँ पेश करना चाहता हूँ। आप चाहे स्टूडेंट हो या किसी अन्य क्षेत्र में हो, आपको मेरी कहानियाँ जरूर अच्छी लगेगी। आपको मेरी कहानियों से जरूर कुछ सीखने को मिलेगा।
मानव और उसका सवाल
एक शहर में मानव नाम का लडका रहता था। मानव के माता-पिता नही थे परिवार में वह सिर्फ अकेला ही था। मानव एक होटल में नौकरी करता था और पास में ही उसका एक पूराना सा मकान था जो कि उसके माता-पिता ने बनाया था। होटल में दिन भर कार्य करने के पश्चात् भी उसे उतनी ही तनख्वाह मिलती थी जो कि उसकी दैनिक जरूरतो और खाने-पीने में खर्च हो जाया करते थे। वह काफी परेशान था व घर में अकेला होने के कारण अपना भोजन स्वयं ही बनाया करता था। वह सुबह अपना भोजन बनाकर जाता और दोपहर में खाने के लिए आता तब तक पीछे से उसकी सारी रोटी चुहे खा जाते थे कभी कभी तो सारी रोटी आधी-आधी खा जाते थे। रात को जब वह थकाहारा घर आता और खाना बनाकर नहाने जाता तब भी उसकी आधी रोटी चुहे खा जाते और मानव अधिकतर भूखा ही रह जाता था। अब धीरे-धीरे उसकी समस्या और बढ़ने लग गयी थी वह बहुत परेशान रहने के कारण अब उखडा उखडा रहने लगा था। उसका एक परम् मित्र था जो उसके साथ होटल में कार्य करता था मानव उससे हर बात साझा किया करता था। उसके मित्र से उसकी निराशा देखी नही गयी उसने मानव को कहा-दोस्त, तुम एक काम करो तुम होटल से कुछ दिन की छुट्टी ले लो और मै तुम्हे एक पत्ता देता हूँ यहाँ से काफी दूर है मगर वहाँ देश विदेश से आते है क्योंकि वँहा गौतम बुद्ध बैठे है और वहाँ सभी लोग अपनी समस्याँ से जुडे सवाल पूछने जाते है उनके पास सभी समस्याँ समाधान है तुम भी उनसे अपनी समस्याँ से जुडे सवाल पूछ लेना तुम्हारी भी समस्याँ समाधान हो जायेगी। मानव ने अपने मित्र की बात मान ली।
मानव को काफी लम्बा सफर तय करने के बाद एक पहाड़़ दिखाई दिया। पहाड पर बर्फ जमी हुई थी। मानव ने देखा पहाड पर एक आदमी तपस्या कर रहा था शायद वह एक जादूगर था। मानव ने उसे आवाज लगाई उसने अपनी छडी को घुमाया और मानव को तुरंत ऊपर ले आया और बोला बच्चा क्या बात है क्यों आवाज लगा रहे हो। मानव ने उससे निवेदन किया और कहा कि मुझे पहाड़़ के उस पार जाना है क्या आप उस पार जाने में मेरी सहायता करेंगे। जादूगर ने कहा-ये तो हमारे दाँये हाथ का खेल है। मगर तुम कहाँ जा रहे हो। मानव ने गौतम बुद्ध और अपने समस्या के बारे मे बताया। जादुगर ने कहा मै तुम्हारी मदद जरूर करूंगा मगर मेरी भी एक समस्या है तुम मेरा भी एक सवाल बुद्ध से पूछ लेना। मानव बोला, क्या है आपकी समस्याँ। जादूगर बोला-मै 800 वर्षो से यहाँ तपस्या कर रहा हूँ मगर मुझे मोक्ष प्राप्ति नही हो रही है तुम बुद्ध से पूछना मुझे मोक्ष प्राप्ति कब होगी। मानव ने हाँ भर दी अब जादूगर ने अपनी जादूई छडी घुमाई और मानव को पहाड के उस पार छोड दिया। मानव फिर से अपने सफर पर चल दिया। सफर बहुत लम्बा था।
अगले दिन मानव एक नदी के किनारे पहुँचा उसे समझ नही आ रहा कि नदी के उस पार कैसे पँहुचा जाऐ। मानव को एक कछुआ नदी के किनारे मिला। मानव ने उससे कहा क्या तुम मुझे नदी पार करवा सकते हो। कछुए ने कहा मगर तुम कहाँ जा रहे हो आज तुम्हे पहली बार देखा है। अब मानव ने अपना परिचय दिया और गौतम बुद्ध व अपनी यात्रा के बारें में बताया। मानव की पूरी बात सुनने के पश्चात् कछुआ बोला- मै तुम्हे नदी पार करवा दुँगा मगर तुम मेरा भी एक सवाल बुद्ध से पूछ लेना। मानव बोला- क्या सवाल है आपका। कछुए ने कहा मै यहाँ 1000 वर्षो से ड्रैगन बनने की तपस्या कर रहा हँ..। तुम बुद्ध से पूछना की में ड्रैगन कब बनूंगा। मानव ने उसे भी हाँ भर दी क्यों कि मानव सब का भला चाहने वाला व्यक्ति था। कछुए ने मानव को अपनी पीठ पर बिठाया और नदी के उस पार छोड दिया। मानव थोडी दूरी तय करने के पश्चात गौतम बुद्ध के आश्रम पँहुच गया। वहाँ काफी भीड लगी हुई थी। बारी बारी सभी अपनी समस्याँओ से जुडे सवाल पूछ रहे थे। वहाँ जाने के पश्चात मानव को पता चला कि एक व्यक्ति केवल तीन ही सवाल पूछ सकता है। मानव अस्मंजस्य मे पड गया कि उसके समेत उसके पास चार सवाल थे अब उन में से तीन कोनसे सवाल पूछे और एक सवाल किसका छोडे़। विचार कर रहा था कि कछुए 1000 वर्ष से तपस्या कर रहा है, जादूगर 800 वर्ष से तपस्या मे लीन है और महल की मालकिन की बेटी बचपन से बोल नही पा रही है। तीनो की समस्याँ काफी बडी़ है। काफी समय सोचने के बाद उसने तय किया कि वह अपना सवाल छोड देगा और उसने अपने अलावा तीनो के सवाल पूछें और अपनी समस्याँ भूल गया।
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अब मानव वापस रवाना हो गया। सर्वप्रथम मानव को रास्ते में कछुआ मिला और उसने पूछा मेरे सवाल का जवाब लाये। मानव ने कहा हाँ लाया हूँ तुम जिस दिन अपने पीठ के कवच को हटा दोगे तुम उड़़ने लग जाओगे। कछुए ने जल्दी से मानव को नदी पार करवाई और आव देखा ना ताव अपनी पीठ का कवच हटा दिया। कवच हटाते ही वह ड्रैगन बन गया और आसमान में उड़ गया। मानव ने देखा कि उसके कवच में बहु-मूल्य मोती है जिसे लेकर मानव आगे चल पड़़ा। अब मानव को वह जादूगर मिला जिसने मानव को पूछा-बच्चे, मेरे सवाल का जवाब लायें। मानव ने कहा-हाँ, आप जिस दिन ये जादुई छड़ी त्याग दोगे उसी दिन आपको मोक्ष प्रप्ति हो जायेगी। उसने भी आव देखा ना ताव सीधा छड़़ी को आसमान में उछाल दिया। इतना करते ही वह आसमान में सीधा स्वर्ग लोक पहुँच गया। छड़़ी आसमान से उछल कर मानव के हाथ में आ गयी और पहाड़ भी जादूगर के साथ ही गायब हो गया। अब आखिर में मानव उस हवेली के पास पहुँचा और उस औरत के पास गया वह औरत मानव से बोली-क्या, मेरे सवाल का जवाब लाये। मानव बोला-हाँ, जिस दिन आपकी लडकी का विवाह हो जायेगा वह बोलना शुरू कर देगी। मालकिन यह सुनकर बेहद खुश हुई। मगर एक दुविधा में फँस गयी बोली-बेटा, मै ऐसा लडका कहाँ से लाऊँ जो मेरी बेटी के लायक हो उसे हमेशा खुश रखे और उसकी यह कमी जानने के बाद भी उससे विवाह करने को तैयार हो। अब उसकी नजर मानव पर पडी वह मानव से बोली तुम भी तो कुँवारे ही हो और एक शरीफ इन्सान भी हो तभी तो कोसों दूर जाकर मेरे सवाल का जवाब भी लायें हो क्योंकि ना तुम ही मेरी बेटी से विवाह कर लो। तुमसे ज्यादा लायक अब उसके लिए और कौन होगा। मानव को कुछ समझ नही आ रहा था वह क्या करें। मानव को मालकिन उस लड़़की के कमरे मे ले गयी मानव उसे देखता ही रह गया। वह लड़की बेहद खूबसुरत थी मानव ने कभी कल्पना भी नही की थी कि उसकी शादी इतनी खूबसुरत लड़़की से होगी और वह हवेली की इकलौती वारिश थी। मानव ने हाँ भर दी उस लडकी ने भी मानव से विवाह करने के लिए हाँ भर दी। मानव की शादी उस लडकी से हो गयी और विवाह होने के पश्चात् वह लडकी बोलने लगी। यह सब देखकर मालकिन बेहद खुश थी। मानव भी इतना सब पाकर बेहद खुश था।
अब मानव का भी परिवार था पत्नी के साथ माँ भी मिल गयी और हवेली और जायदाद की इकलौती वारिश भी उसकी पत्नी ही थी। अब वह हवेली ही मानव का घर था। जादूगर की जादूई छडी भी मानव के पास थी और कछुए के कवच से जो बहु-मूल्य मोती निकले वह भी मानव के पास थे। जीवन के सारी खुशियाँ मानव को बिना माँगे ही मिल गयी।
सीख-जो इन्सान दूसरो का भला चाहता है अर्थात् दूसरो को खुश देखना चाहता है। भगवान उसे हमेशा खुश रखता है उसकी झोली हमेशा भरी हुई रखता है। ऐसा ही मानव के साथ भी हुआ था, मानव ने स्वयं की तकलीफ को भूलकर उन तीनों की तकलीफ के बारें मे सोचा और उन तीनों के सवाल के जवाब में ही मानव की समस्याँ का भी समाधान था।
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