मन का संतुलन ही मुक्ति का मार्ग है prerna dayak kahaniyan

 

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मन का संतुलन ही मुक्ति का मार्ग है prerna dayak kahaniyan

      एक समय की बात है। एक गाँव मे एक संत रहते थे जिनका नाम रामस्नेह था। उन्होने काफी साधना, धर्म और दर्शन का चिंतन किया। अपने जीवन को प्रत्येक दृष्टिकोण से देखने परखने उसके बाद किसी निर्णय पर पहुचने का उनका स्वभाव था। लोग उनके ज्ञान का सम्मान करते थे।

    उनके एक शिष्य के मन में एक प्रश्न उठा कि मुक्ति का मार्ग कौन सा है। शिष्य ने बहुत चिन्तन मनन किया। सभी ग्रन्थों का ज्ञान भी लिया मगर उसके प्रश्न का समाधान नहीं हो पाया तो उन्होने अपने गुरूजी से प्रश्न का उत्तर जानने का निश्चय किया।

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     गुरूजी जब साधना में बैठे थे तब वह उनके समक्ष जाकर बैठ गया बोला हे गुरूदेवमेरे मन मे काफी समय से एक प्रश्न है। गरूजी बोले- बोलो वत्स क्या प्रश्न है। वह बोला कि गुरूजी मुक्ति का मार्ग क्या है। गुरूजी ने यथावत शिष्य का प्रश्न दोहराया। कुछ क्षण ठहरें और फिर कहा मै तुम्हारे प्रश्न का उत्तर जरूर दूँगा मगर उससे पहले तुम्हे एक कार्य करना होगा। तुम गाँव के बाहर जो कब्रिस्तान है वहा जाओ और वहाँ जितनी भी कब्रे बनी हुई है उन्हे जी भर कर गालियाँ देना। जितना भी तुम बुरा भला बोल सको उतना बुरा भला बोलना बाद मे लौट आना मै तुम्हे तुम्हारे प्रश्न का जवाब दूँगा।

 FAQ

Ques. 1. क्या आप मुझे कोई मोटिवेशनल कहानी सुना सकते हैं? 

Ans. जी हाँ, आप अगर मोटिवेशनल कहानियाँ सुनने के शौकीन है तो आपके के लिए हमारे पास एक मोटिवेशनल कहानी है best motivaion story for success, संगति का असर

Ques. 2.  मोटिवेशनल क्यों?

Ans. motivation  का हिंदी अर्थ है प्रेरणा ! यह हमारी ब्रह्म शक्ति यानी मानव के अंदर की चुप्पी हुई शक्तियों   की पहचान करवाती है उन्हें बाहर निकलने का कार्य करती है अतः यह शाक्तियाँ  ही हमें सफलता का शिखर तक पहुँचाती है !

Ques. 3.  मन न लगे तो क्या करना चाहिए? 

Ans . अगर आपका मन नहीं लग रहा है तो मन लगने के काफी उपाय है संगीत सुनना, कोई खेल खेलना, मूवी देखना आदि मगर आप कुछ ऐसा करे जैसे किसी पार्क या ग्राउंड में टहलने, दौड़ने जाए, योग करे, कोई एक्सरसाइज यानी कसरत करे जिससे आपका मन भी लगा रहेगा व आपका शरीर भी स्वस्थ रहेगा ! 

       वह चिन्तन मे पड़ गया कि मेरा प्रश्न तो मुक्ति के सम्बंध मे था मगर गुरूजी कब्रिस्तान मे जाकर गालियाँ देने की बात कर रहे है। उसे कुछ समझ नही आ रहा था मगर वह यह जानता था कि ज्ञानी गुरू कभी निरर्थक बात नही करते और ना ही कहते हैं उन्होने यह आदेश दिया है तो कोई ना कोई राज की बात तो अवश्य होगी। वह कब्रिस्तान की ओर चल पड़ा।

     वह सीधा कब्रिस्तान मे पहुँचा। वहाँ अनगिनत कब्रें थी। मृत्यु की छाया ने उस सारे भुखण्ड़ को घेर रखा था। उसने गुरू के आदेश का पालन किया। जिनती गालियाँ उसे आती थी उसने सभी कब्रों को सुना दी। खूब बुरा भला बोला और लौटकर आ गया। गुरूजी को कहा कि मैंने आपके आदेश का पालन कर दिया है। गुरूजी ने प्रश्न किया क्या तुम्हारी गालियाँ सुनकर कब्रों ने तुम्हे कुछ कहा। शिष्य बोला- नही गुरूजी वह सब तो मौन थी।

     गुरूजी ने कहा तुम एक काम करो अब पुनः वहीं जाओ और अबकी बार उनकी खूब प्रशंसा करना जितना भी तुम कर सकते हो। फिर आकर बताना कि उन्होने क्या कहा। गुरूजी के आदेश का शिष्य ने पुर्णतया पालन किया और वापस आकर बताया कि इस बार भी उन कब्रों ने कुछ नही कहा। वह तो पूर्ववत् ही मौन और शान्त बनी रही।

     गुरूजी ने गम्भीर स्वर मे कहा वत्स! यही तो मुक्ति का मार्ग है-समभाव। चाहे कैसी भी परिस्थिति क्यों ना हो समभाव में रहना चाहिए जीवन मे सुख मिलें तो फूलना नही चाहिए तथा दुख मे हताश नहीं होना चाहिए

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