motivational story....गलतफहमी

                          Motivational  story 

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                   गलतफहमी

एक समय की बात है। एक नदी के किनारे एक गाँव था। गाँव मे एक ब्राहम्ण का घर था। ब्राहम्ण का एक जवान बेटा था। बेटे का विवाह किया गया और घर मे बहू आयी उसकी बहू को वरदान प्राप्त था कि वह प्राणियों की और पक्षियों की भाषा समझती थी। यह बात घर मे कोई नही जानता था।

       एक दिन की बात है। वह पति के साथ सो रही थी। अर्ध रात्री का समय था नदी के किनारे से एक स्यार की आवाज आई कि पानी मे एक मुर्दा बहता हुआ आ रहा है उसकी उंगली पर एक बहुमूल्य हीरे की अंगूठी है। यदि कोई आकर इस मुर्दे को जल से बाहर निकाले तो उसको वह हीरे की अंगूठी मिल सकती है और मुझे खाने को मुर्दा मिलेगा और नदी में से गंदगी दूर हो जायेगी। बहू ने जैसे ही इस बात को सुना वह समझ गई। वह धीरे से उठी और नदी की ओर चली। उसका पति जाग रहा था उसने सोचा कि यह अंधेरे में कहाँ जा रही है देखना चाहिए। वह भी चुपके से उठा और उसके पीछे पीछे चल पड़़ा।

      स्त्री नदी के तट पर आई। पानी में जाकर वह मुर्दा बाहर निकाला। पानी के कारण मुर्दे की उंगली मोटी हो गई थी इसीलिए अंगूठी निकल नही रही थी। स्त्री ने उंगली मुख मे डालकर अंगूठी निकाल ली। अंधेरी रात नदी का किनारा और एक स्त्री को मुर्दे की उंगली मुख में डाले देखकर कोई भी आदमी डर जायेगा। उसका पति जो अंधेरे मे पेड के पीछे छीपकर यह सब देख रहा था वह अपनी स्त्री को डाकिनी समझकर भाग खडा हुआ और घर मे चुपके से सो जाकर सो गया। जैसे कुछ देखा ही ना हो।

     उसका पति रात भर सो न सका। उसे डर लग रहा था कि कहीं वह उसे खा ना जायें। सुबह होते ही वह अपने पिता के पास गया और रात की सारी घटना सुनाई। उसने अपने पिता से शिकायत की कि आपने एक डाकिनी के साथ मेरा विवाह किया है। जो एक मुर्दे को खा सकती है वह किसी दिन मुझे भी खा सकती है। लड़के का बाप भी ड़र गया। दोनों ने मिलकर एक योजना बनाई कि बहू को उसके मायके ले जाने के बहाने जंगल में ले जाकर छोड़ देना चाहिए। वहाँ जंगली जानवर उसे मारकर खा जायेंगे।

     दूसरे दिन पति ने उस स्त्री को समझाया कि उसकी माँ बहुत बीमार है और उससे मिलना चाहती है। स्त्री अपने मायके जाने के लिए तैयार हो गई। मार्ग मे एक बीहड़ जंगल पड़ता था। वहाँ एक जगह विश्राम किया। स्त्री ने निकट में एक साँप को यह कहते हुए सुना कि हे यात्री इस टीले में एक छेद है उस छेद में एक मेंढ़क है। उस मेंढ़क के नीचे सोने और जवाहरात के सात चक्र है। उस मेंढ़क को निकालकर मेरे पास फेंक दो तो मुझे मेरा भक्ष्य मिलेगा तुम्हे सोना और जवाहरात मिलेगा साथ ही जंगल का पाप टलेगा। साँप की इन बातो को सुनकर स्त्री ने उस टीले के पास जाकर खोदना शुरू किया। पति कुछ जानता न था इसीलिए वह सोचने लगा कि वह स्त्री मुझे मारकर यहाँ गाड़ देना चाहती है। इतने में भूमि में पहले एक मेंढ़क दिख पड़ा। उस स्त्री ने उसे पकड़कर साँप की ओर फेंक दिया और साँप ने उसे पकड़ लिया और खाने लगा। स्त्री ने अपने पति को निकट बुलाकर गड्ढे मे देखने को कहा। उसने भीतर देखा तो वह भौंचक्का रह गया। भीतर सोना जवाहरात का खजाना था। अब उसको तसल्ली हुई। उसने अपनी पत्नी से पूछा कि उसको इसका पता कैसे चला। तब उसकी पत्नी ने कहा कि इतने दिन तक उसने यह बात बताई न थी परन्तु वह प्राणियों की बोली समझती है। उस साँप के कहने से उसे खजाने का पता चल गया था।

      इस बात को जानकर स्त्री का पति गहरे सोच में पड़ गया। उसे नदी वाले मुर्दे की घटना याद आ गयी। इस विषय मे उसने अपनी स्त्री से प्यार से पूछा तब स्त्री ने स्यार की बोली की बात बताई और उसकी प्रतीति कराने के लिए वह अमूल्य हीरे की अंगूठी दिखा दी।

     सत्य जानने पर ब्राहम्ण पुत्र की शंका दूर हो गई। उसने अपनी पत्नी से कहा- चलो पहले हम इस धन को अपने घर सुरक्षित पहुँचा दे फिर हम तेरे मायके जायेंगे। पति पत्नी दोनो जितना भी धन था उठाकर ले गये। घर निकट आया पति ने पत्नी को समझाया कि वापस आते देखकर पिताजी गुस्से हो जायेंगे इसीलिए तुम घर के पीछे से जाओ और मै आगे वाले दरवाजे से जाकर पिताजी को सब समझा दूंगा।

      स्त्री पीछे वाले दरवाजे से गई। संयोग की बात है कि लड़के का बाप हथौड़ा लेने के लिए घर के पीछे गया था। उसने बहू को देखा और सोचा कि यह मेरे पुत्र को जंगल मे खाकर लौट रही है और अब मुझे भी खा जायेगी। गुस्से में आव देखा न ताव हथौड़ा बहू के सिर पर दे मारा। स्त्री की तुरन्त मृत्यु हो गयी। उसी समय पिता की ढूंढ़ता हुआ पुत्र पीछे आया परन्तु देर हो गयी थी। उसने अपनी गलतफहमी की सारी कथा पिता से कही।

        आँसू बहाते हुए पिता ने कहा कि मनुष्य को कुछ भी करने से पहले काफी सोच विचार करना चाहिए। बिना सोचे जल्दी में कार्य करने से कभी-कभी बड़ा नुकसान हो जाता है।

 

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