"शिक्षाप्रद मजेदार कहानियां "2025

आज की कहानी best motivational story in hindi मे हम महाभारत के समय की एक घटना पढेंगे जब एक चिडिया भगवान श्री कृष्ण की शरण मे आयी थी और किस तरह से भगवान श्री कृष्ण ने उसकी रक्षा की। हमे उम्मीद हे कि यह कहानी आपके लिए एक अच्छी प्रेरणा दायक कहानी सिद्ध होगी।

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"शिक्षाप्रद मजेदार कहानियां "2025

श्री कृष्ण और चिड़िया की कहानी:-

यह कहानी महाभारत काल की है। महाभारत का भीष्ण युद्ध तो हम सभी को भलीभाँति याद होगा। महाभारत के युद्ध से कुछ दिन पहले जब युद्ध की तैयारियाँ चल रही थी जहाँ युद्ध होना निश्चित हुआ था उस जगह को पुरा समतल बनाया जा रहा था बेजान व छोटे मोटे पेड पौधे जो युद्ध के मैदान मे अडचन पैदा कर रहे थे उन्हे काट कर वहाँ की जमीन को यु़द्ध के योग्य बनाया जा रहा था।

युद्ध से कुछ दिन पूर्व ही भगवान श्री कृष्ण ने अपने प्रिय अनुज अर्जुन के साथ युद्ध के मैदान का मुआवना करने का विचार बनाया और इसी विचार के साथ युद्ध भूमि यानि रणभूमि की ओर चल पडे।

जब भगवान श्री कृष्ण व अर्जुन वहाँ पहुँचे तो उन्होने देखा कि रणभूमि को एकदम समतल व युद्ध के योग्य बनाया जा चुका है। इतने मे एक चिडिया उडती हुई भगवान श्री कृष्ण के पास आई वह जोर जोर से रोने लगी और बोली हे भगवान आप मुझ पर दया किजिए। मैने किसी का क्या बिगाडा है जो आपके इस विशालकाय हाथी ने मेरा घरोंदा उजाड दिया।

भगवान श्री कृष्ण को एक पल के लिए कुछ समझ नही आया और उन्होने चिडिया से कहा कि इस हाथी ने तुम्हारा घरोंदा कैसे उजाड दिया। वह बोली- उस वृक्ष पर मैने दिन रात एक करके एक एक चिनका चुन चुन कर बड़ी मेहनत से अपना घोंसला बनाया था जिसमे में अण्डे देने ही वाली थी। मगर आपके इस निर्दयी हाथी ने वह वृक्ष गिरा दिया और मेरा घोंसला नीचे गिरा दिया। अब मै अपने अण्डे कहा दूंगी।

भगवान श्री कृष्ण को सारी बात समझ मे आ गयी। इतना सुनते हुए उन्होने अपना एक हाथ ऊपर किया और चिडिया को अपनी एक हाथ की हथेली मे बिठा लिया। उसकी आँखों से आँसू बह रह थे। भगवान श्री कृष्ण से उसके आँसू देखे नही गये।

वह उसकी तरफ मुस्कूराते हूए बोले- तुम शान्त हो जाओ चिडिया रानी। हाथी ने जो कुछ भी किया है अपनी मर्जी से नही किया है रणभूमि को समतल बनाने के लिए किया है। यह तो प्रकृति का नियम है कभी ना कभी तो हर किसी का नाश होना तय है। वह वृक्ष युद्ध मे बाधा बन रहा था इसीलिए उस उखाड दिया गया।

चिडिया बोली- मगर भगवान अब मे अपने अण्डे कहाँ दूंगी। मेरे साथ इतना बुरा क्यों हुआ मैने तो कभी किसी का बुरा नही किया। अब तो सब आप के हाथ मे ही है। मुझ पर दया किजिए।

भगवान श्री कृष्ण ने चिडिया के सिर पर स्नेह से हाथ फेरते हुए कहा कि तुम चिन्ता मत करो तुमने किसी का बुरा नही किया है तो मै तुम्हारा भी बुरा नही होगा। तुम्हारा कल्याण अवश्य होगा।

चिडिया बोली- भगवन्, क्या मै आप पर विश्वास कर सकती हूँ। श्री कृष्ण ने कहा- हाँ तूम मुझ पर विश्वास कर सकती हो और समय का इन्तजार करो। इतना सुनकर चिडिया उड गयी।

युद्ध के ठीक एक दिन पहले फिर से भगवान श्री कृष्ण अर्जुन के साथ उसी जगह पर पहुँचे। सामने ही वह विशाल हाथी खडा था वह एक बडे से पात्र से पानी पी रहा था और मदमस्त होकर अपनी गर्दन हिला रहा था श्री कृष्ण ने अर्जुन से उसका धनुष और तीर माँगा। अर्जुन को पहले तो कुछ समझ नही आया बाद मे उसने सोचा कि शायद श्री कृष्ण उस हाथी को दण्ड देने के मकसद से आये है। उसने उन्हे अपना धनुष व तीर दे दिया।  भगवान श्री कृष्ण ने उस हाथी की ओर निशाना लगाया मगर निशान हाथी को तो नही लगा उसके गले मे एक बडा सा घण्टा लटक रहा था उसकी रस्सी पर निशाना लगा जिससे रस्सी कट गयी और घण्टा थोडा दूर जाकर रेत मे धँस गया।

अर्जुन ने सोचा कि जरूर श्री कृष्ण का निशाना चूक गया है। वह बोला- आप मुझे धनुष दे मै एक ही वार मे उस हाथी के मस्तिष्क को चीर कर उसे मौत के घाट उतार देता हूँ। श्री कृष्ण अर्जुन से मुस्कूराते हुए बोले- नही, अनुज इसकी कोई आवश्यकता नही है मेरा कार्य हो गया है। अर्जुन आश्चर्य मे पड गया कि क्या श्री कृष्ण हाथी के गले से सिर्फ घण्टा अलग करने के लिए यहाँ तक आये है वह भी इतने कीमती समय मे जहाँ कल युद्ध प्रारम्भ होने वाला है युद्ध के पूर्व की सारी तैयारियाँ चल रही है।

अर्जुन के मन मे कई सवाल थे मगर वह उनसे कोई भी सवाल नही कर पाया और आदेश पाकर पुनः अपने स्थान पर लौट गये। पुरे 18 दिन तक भीषण युद्ध हुआ हजारों सैनिको ने अपना बलिदान दिया। रणभूमि रक्त से पूरी लाल हो गयी। आखिर मे कौरवों की हार और पाण्डवों की जीत हुई।

युद्ध समाप्त होने के दो दिन पश्चात् भगवान श्री कृष्ण अर्जुन के साथ फिर से उसी स्थान पर गये। उसी स्थान पर पहुँचने पर श्री कृष्ण ने अर्जुन से रथ से नीचे उतर कर उस घण्टे को उठाने को कहा जो कि अभी भी आधा रेत मे धँसा हुआ था। अर्जुन को समझ नही आया कि श्री कृष्ण ये कौनसा कार्य करने को कह रहे है वह भी उसके जैसे वीर योद्धा को। अभी अभी तो महाभारत का युद्ध जीता है चारो दिशाओं मे जिसकी बहादुरी के परचम लहरा रहे हो उसके जैसे पराक्रमी वीर योद्धा को इतना मामूली सा कार्य करने को कह रहे है यह कार्य तो कोई सैनिक भी अच्छे से कर सकता था।

मगर आज तक कभी ऐसा हुआ ही नही कि श्री कृष्ण ने कोई आज्ञा दी हो और उसने ना मानी हो अतः वह श्री कृष्ण का आदेश पाकर उस घण्टे की ओर चल दिया। उसने उस घण्टे को उठाया तो पाया कि वहाँ उस चिडिया का घोंसला था। घण्टा उठाते ही चिडिया व उसके बच्चे अपने नन्हे पंखो को फडफडाते हुए आसमान की ओर उड गये।

अब अर्जुन को सारी बात समझ मे आ गयी और वह श्री कृष्ण की ओर देखने लगा। श्री कृष्ण अर्जुन से बोले कुछ समझे मेरे प्रिय अनुज। अर्जुन हाथ जोडकर बोला- मै आपकी लीला समझ नही पाया था देर से ही सही मगर अब मुझे सारी बात समझ मे आ गयी। आप छोटे से छोटे जीव पर भी अपनी दया दृष्टि रखते है उसके साथ कभी अन्याय नही होने देते। मै भूल गया था कि जो आपकी शरण मे आया है उसका तो कल्याण निश्चित है।

अतः दोनो अपने निवास की ओर पुनः लौट गये।

सीखः- जीवन मे कभी कभी ऐसा वक्त भी आता है जब बिना किसी सन्देह के सब कुछ ईश्वर पर सौंप देना चाहिए यदि आपके कर्म अच्छे है तो वह आपके साथ कभी बुरा नही होने देगा। अर्थात यही इस कहानी का सार है।

आज इस पोस्ट में हमने best motivational story in hindi में श्री कृष्ण और चिड़िया की कहानी पढ़ी आपको हमारी कहानी कैसी लगी ये हमें कमेन्ट में जरुर बताये share और follow करना ना भूले ताकि लेखक की कलम को बढ़ावा मिल सके। ऐसी मजेदार कहानियाँ पढने के लिए motivationdad.com से जुड़े रहे।

कहानी को पूरा पढने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद !!!!    

 

  

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