10 hindi short stories with moral for kids

 

 नमस्कार दोस्तोः- आपका हमारी हिन्दी कहानियाँ मे स्वागत है कहानियाँ मतलब प्रेरणा और यह प्रेरणा इन्सान के जीवन को सफल बनाने मे सहायक सिद्ध होती है। अगर आपको अच्छी संगति या प्रेरणा की जरूरत है तो आप हमारी short motivation story या प्रेरणादायक कहानियाँ आदि से जुड सकते है। सच कहें तो यह कहानियाँ या इनसे मिलने वाला ज्ञान हमारे जीवन को एक नई दिशा दे सकता है। आप अगर कहानियाँ पढ़ने के शोकिन है तो आप जरूर इनसे कुछ नैतिकता सीखेंगे जो कि आपको आपके उज्जवल भविष्य की ओर ले जाता है किसी ने सही ही कहा है कि किताबे अर्थात ज्ञान ही इन्सान के सच्चे मित्र होते है। आज हम आपके सामने 10+hindi short stories with moral for kids मे कुछ कहानियाँ पेश करना चाहते है। हमें उम्मीद है की यह आपको बेहद पसंद आएगी।

 

10 hindi short stories with moral for kids


10 hindi short stories with moral for kids- हिन्दी कहानियाँ

                   1. लालच बुरी बला है

(hindi short stories with moral for kids)

 

हम सभी ने प्रायः देखा है कि जानवरों में कुत्ता सबसे ज्यादा लालची होता है एक समय की बात है। कुत्ता रोटी के टुकडे़ के लिए एक घर से दूसरे घर भटकता रहता है। उसको भर पेट भोजन कभी नही मिलता था। सभी उसे डंडे से मार कर भगा दिया करते थे।

एक बार उसको एक माँस की दुकान पर  एक माँस का टुकड़ा मिला। मौका मिलते ही वह माँस का टुकड़ा लेकर भाग गया। वह किसी ऐसे स्थान की तलाश मे था। जहाँ वह आराम से बैठकर उसे खा सके। वह नगर के अन्तिम किनारें पर पहुँच गया। वहीं पर एक नाला बह रहा था। नाले का किनारा उसके लिए एकांत स्थान था।  उसने सोचा कि वह कोई दूसरा कुत्ता है। जिसके मुंह में भी माँस का टुकडा था। उसको लालच सवार हो गया। उसने सोचा कि क्यों इस कुत्ते को भगाकर दूसरा माँस का टुकड़ा भी मैं लें लूं। भौंकने पर उसके मुँह से माँस का टुकड़ा गिरकर पानी में बह गया। लालची कुत्ता ताकता रहा और अपनी गलती पर पछताने लगा।

नैतिक शिक्षा :- लालच बुरी बला है

 

2. दो बिल्लियों को झगड़ा

(hindi short stories with moral for kids)

एक समय की बात है एक जंगल मे दो बिल्लियाँ रहती थी। दोनो बिल्लियों ने रोटी का एक टुकड़ा चुरा लिया और अब वह आपस मे रोटी के भाग के लिए झगड़ने लगी। दोनो बंटवारे के लिए बंदर के पास गई। बंदर ने रोटी के दो टुकडे़ किये तथा अपने तराजु में दोनों ओर एक एक टुकड़ा ड़ाला। जिस ओर से पलड़ा भारी होता बंदर उसी ओर से बड़ा सा टुकड़ा काट कर खा जाता। इस प्रकार करते रहने से अंत मे तराजु में एक छोटा सा टुकड़ा बच गया। बंदर उसे भी यह कहते हुए खा गया कि यह तो मेरे श्रम फल है और भाग गया बिल्लियाँ एक दूसरे का मुंह देखती रह गई।

 नैतिक शिक्षा :- -झगडने से निराशा ही प्राप्त होती है।

 

3.जंगल का राजा

(hindi short stories with moral for kids)

 

एक समय की बात है किसी वन मे भासुरक नाम का एक सिंह रहता था वह  प्रतिदिन अनेक वन्य जीवों को मारा करता था। एक दिन जंगल के सभी जीव मिलकर उसके पास पहुंचे और उससे निवेदन किया, वनराज। प्रतिदिन अनेक प्राणियों को मारकर खाते हो इससे क्या लाभ। आपका आहार तो एक जीव से पूर्ण हो जाता है इसीलिए क्यों हम परस्पर कोई ऐसी प्रतिज्ञा कर लें कि आपकों यहाँ बैठे बैठे ही आपका भोजन मिल जाए। सिंह उनकी बात मान गया। उसने उस दिन के बाद शिकार पर जाना बन्द कर दिया क्योंकि उसे वहाँ बैठे बैठे ही उसका भोजन मिल जाता था। अब हर रोज उसके पास कोई ना कोई जीव भेजा जाने लगा।

समय बीतता गया एक दिन खरगोश की बारी गई। खरगोश सिंह की गुफा की ओर चल पड़ा किंतु मृत्यु के भय से उसके पैर नही उठ रहे थे। मौत के डर से वह जंगल मे इधर उधर भटकता रहा। एक स्थान पर उसे कुआं दिखाई दिया। उसे देखकर उसके मन में एक विचार आया कि क्यों भासुरक को उसके वन में दूसरे सिंह के नाम से उसकी परछाई दिखाकर इस कुएं में गिरा दिया जाए। यही उपाय सोचता वह भासुरक सिंह के पास गया उसे बहुत देर हो गयी थी। सिंह उस समय भूख से बेहाल था। वह सोच ही रहा था कि कुछ देर तक और कोई पशु आया तो वह अपने जंगल मे शिकार पर निकल जायेगा और पशुओं के खून से सारे जंगल को सींच देगा।

उसी समय वह खरगोश उसके पास पहुंच गया और उसको प्रणाम करके बैठ गया। खरगोश को देखकर सिंह क्रोध से गरजकर कहा- अरे खरगोष। एक तो तू छोटा सा है और फिर इतनी देर लगाकर भी आया है आने मे इतनी देर कैसे हो गयी। खरगोश ने सिर झुकाकर उत्तर दिया-स्वामी। आप व्यर्थ क्रोध कर रहे है। पहले मेरे देरी से आने का कारण तो सुन लीजिए । शेर गुर्राया-जल्दी बोल मै बहुत भूखा हूं कहीं तेरे कुछ कहने से पूर्व ही मै तुझे चबा जाउ। खरगोश बोला-स्वामी। मै आपके पास ही रहा था कि मार्ग मे दूसरा सिंह अपनी गुफा से निकलकर आया और बोला-अरे किधर जा रहा है। मै तुझे खाने आया हूँ। मैंने उससे कहा कि मै अपने स्वामी भासुरक सिंह के पास आहार के लिए जा रहा हूँ। वह बोला-भासुरक कौन होता है। मै ही तुम्हार राजा हूँ। मै उससे किसी तरह जान छुड़ाकर आया हूँ महाराज। इसीलिए मुझे आने मे देरी हो गई। यह सुनकर भासुरक बोला, ऐसा ही है तो जल्दी से मुझे उस दूसरे सिंह के पास ले चल। आज मै उसका खून पीकर ही भूख मिटाऊंगा ताकि वह समझ जाये भासुरक कौन है। खरगोश ने कहा- तो ठीक है यदि स्वामी का यही निर्णय है। तो आप मेरे साथ चलिए। यह कहकर खरगोश भासुरक को उसी कुएं को पास ले गया। बोला आइए मैं आपकों उसकी सुरत दिखा देता हूँ। खरगोश भासुरक सिंह को कुएं की मेड़ पर ले गया। भासुरक ने झुककर झांका तो अपनी ही परछाई दिखाई दी। उसने समझा यही दूसरा सिंह है। तब वह जोर से गरजा। उसकी गरज के उत्तर में कुंए से दुगनी गूंज सुनाई दी। उस गूंज को दूसरे सिंह की गरज समझकर भासुरक उसी क्षण उसे मारने के लिए कुएं मे कूद पड़ा और वहीं जल मे डूबकर उसने प्राण त्याग दिये।

खरगोश ने अपनी बुद्धिमानी से सिंह को मरवा दिया और वहाँ से लौटकर वह वन्य जीवों की सभा में गया। उसकी चतुराई जानकर और सिंह की मौत का समाचार सुनकर सभी जानवर प्रसन्नता से नाच उठे। खरगोश ने सभी जीवों को शेर का आहार बनने से बचा लिया।

नैतिक शिक्षा :- बुद्धिमानी से अपने से अधिक बलवान को भी पराजित किया जा सकता है।

4. दर्जी और हाथी

(hindi short stories with moral for kids)

 

एक बार की बात है। एक नागरपुर नामक कस्बा था वहाँ एक दर्जी था। जिसका नाम प्रेमसुख था। वह अपने नाम के अनुसार सभी लोगो से प्रेम भाव से पेश आता था। वह बहुत दयालू स्वभाव का होने के साथ साथ परिश्रमी व्यक्ति भी था। जब वह अपनी दुकान पर कपडें सिलता रहता था तो उसकी दुकान पर एक हाथी प्रतिदिन खड़ा हो जाता था। दर्जी रोज उस हाथी को कुछ कुछ खाने को देता था। परिणाम स्वरूप हाथी दर्जी को रोज अपनी पीठ पर बिठा कर सैर कराता था। हाथी अब नियमित रूप से दर्जी की दुकान पर आने लगा था।

एक दिन दर्जी किसी काम से बाहर गया हुआ था। वह दुकान पर नही आया उसने अपने लड़के से दुकान पर बैठने के लिए कह दिया था। लड़के ने जैसे ही दुकान खोली तो हाथी रोज की तरह उसे दिन भी दुकान के पास आकर खड़ा हो गया। दर्जी का बेटा बहुत शैतान था। हाथी ने जैसे ही उसकी तरफ अपनी सूँड बढाई तो लड़के ने हाथी की सूँड मे सुंई चुभा दी। हाथी को बहुत गुस्सा आया और चुपचाप चला गया। वह एक तालाब पर गया और उसमे गंदा पानी अपनी सूंड में भरकर दर्जी की दुकान पर लौट पड़ा। लड़के ने हाथी को अपनी दुकान की ओर आते देखकर सोचा यह फिर दुबारा रहा है। अबकी बार इस हाथी की सूंड में इतनी जोर से सुई चुभाऊँगा कि फिर यह मेरी दुकान की तरफ कभी नही आयेगा। हाथी जैसे ही दुकान पर पहुँचा तो उसने अपनी सूंड का सारा गंदा पानी वहाँ पर उँडेल दिया। इससे दर्जी की दुकान में रखें सभी कपडें गन्दे हो गये। अब लड़के को अपने किये पर बड़ा पछतावा हुआ।

 नैतिक शिक्षा :- हमें जानवरों से छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए।

 

5. राजकुमार और हंस

(hindi short stories with moral for kids)

 

एक समय की बात है एक बार बालक सिद्धार्थ प्रातःकाल घुमने के लिए गये। बगीचे मे बहुत से पक्षी उछलकूद कर रहे थे। उन्हे देख सिद्धार्थ भी काफी प्रसन्न होता था। कुछ समय पश्चात उसका भाई देवदत्त भी शिकार के लिये बगीचे मे गया। देवदत्त के बाण से आकाश में एक हंस घायल हो गया। घायल हंस भूमि पर गिर गया। सिद्धार्थ को उस घायल हंस पर दया आयी और वह उसे कुटिया में ले गया। वहाँ उसका उपचार किया। देवदत्त अपने बाण से घायल हंस को लेने के लिये वहाँ गया और बोला-यह हंस मुझे दे दो मैने इसे तीर से मारा है। सिद्धार्थ बोला-जीव को मारना पाप है मैंने इसकी रक्षा की है अतः यह मेरा है।

न्याय के लिए दोनो राजा के पास पहुँचे। सिद्धार्थ ने हंस को गोदी में ले रखा था। राजा ने दोनों की सारी बात सुनी और उसे फैसला करने में तनिक भी देरी नही की। राजा ने कहा-मारने वाले से बचाने वाले का अधिकार ज्यादा होता है। अतः हंस राजकुमार सिद्धार्थ का है।

 नैतिक ज्ञान :- जीवों पर सदैव दया भाव रखनी चाहिए।

 

6. नादान की दोस्ती

(hindi short stories with moral for kids)

 

 

एक बार की बात है बालीपुर नामक का एक राज्य था। जहाँ के राजा ने अपना अंगरक्षक एक बन्दर को बनाया हुआ था। राजा उस बन्दर का अच्छा दोस्त था और वह बन्दर भी राजा का भक्त था। वह राजा का विश्वासपात्र होने के कारण महल में कहीं भी बिना रोक टोक के जा सकता था।

एक दिन राजा के सो जाने पर वह पंखे से राजा को हवा कर रहा था। इसी बीच एक मक्खी राजा के सीने पर आकर बैठ गई। बन्दर ने अपने पंखे से उसको उड़ाना चाहा। वह बार बार मक्खी को उड़ाता और मक्खी बार बार राजा के सीने पर आकर बैठ जाती।

बन्दर चंचल और मूर्ख था। उसे गुस्सा गया। उसने तेज धार वाली तलवार को उठाकर मक्खी पर प्रहार किया जिससे मक्खी मर जाए। मक्खी तो वहाँ से उड़ गयी मगर राजा का सीना तलवार से दो भागों मे कट गया और वह तत्काल मर गया।

मोरेल :- नादान की दोस्ती हमेशा मृत्यु को दावत देती है।

 

7. ज्यादा प्यार

(hindi short stories with moral for kids)

 

पुराने समय की बात है ईसा और उनके शिष्य ने देखा कि एक गड़रिए ने बड़े प्यार से एक छोटी भेड़ को अपने कंधे से उतारा उसे स्नान कराया, उसके बाल सुखाए और फिर हरी मुलायम घास खाने को दी। जब भेड़ उस घास को खा रही थी तब गडरिए की खुशी देखते बनती थी।

ईसा गड़रिए के पास ही बैठे विश्राम कर रहे थे। उन्होने प्रसन्नचित गड़रिए को देखकर पूछा-तुम इतना खुश क्यों हो रहे हो। गडरिए ने कहा-महात्मन् यह भेड़ जंगल में प्रायः हमेशा भटक जाती है। मेरे पास सौ भेडे़ है वह सब सीधे घर आती है। इसीलिए इसे इतना प्यार देता हूँ कि यह फिर कहीं भटके।

यह सुनकर ईसा ने अपने शिष्यों से कहा सुनो अपने भटके हुए भाइयों के साथ हमें भी वैसा ही व्यवहार करना चाहिए। जैसा यह गड़रिया अपनी नन्ही भेड़ के साथ करता है।

मोरेल :- जो लोग अपनी राह से भटक गए है। उन्हे प्यार से वापस रास्ते पर लाया जा सकता है।

 

8. उचित परामर्श

(hindi short stories with moral for kids)

 

एक गाँव मे उद्धत नाम का गधा रहता था। वह दिन भर धोबी का भार ढ़ोने के बाद रात मे स्वयं की इच्छा से खेतों मे घूमने जाया करता था। सुबह होते ही वह अपने आप धोबी के पास जाता था।

एक रात खेतों में घूमते घमते उसकी जान पहचान गीदड़ से हो गई। वे दोनों मित्र बन गए। अब गधे के साथ गीदड़ भी खेत में जाने लगा। गधा खूब मोटा था इसीलिए जब वह खेत की बाड़ तोड़ता था तो दोनों खेत में आसानी से पहुँच जाते थे। वहाँ रात में भरपेट ककड़ी खाते और सवेरे घर लौट आते थे। एक रात गधा उमंग मे था। वह ककड़ी के खेत में गीदड़ से बतियाते हुए बोला-भांजे। आज तो निर्मल चाँदनी रात है। मेरा मन गाने को हो रहा है। बताओ कौन सा राग छेडूँ।

गीदड़ बोला- मामा, क्यों मुसीबत मोल ले रहे हो। हम यहाँ चोरी करने आये है इसीलिए चुपचाप और छिपकर अपना काम करना चहिए। चोरी करते समय तो खाँसी भी नही आनी चाहिए। अगर खेत के रखवाले जाग गए जो हमें पकड़कर खूब मारेंगे। भला इसी में है कि चुपचाप ककड़ियाँ खाएँ।

तुम निरे जंगली हो। तुम्हे क्या पता संगीत का आन्नद- गधा बोला।

मामा जोर जोर से रेंकने का मतलब गाना नही होता। ऐसा गाना गाने से तो हानि ही होगी-गीदड़ ने समझाते हुए कहा।

तुम तो एकदम मूर्ख हो। मै संगीत शास्त्र का ज्ञाता हूँ। मुझे इसकी सभी बारीकियाँ मालूम है। सातो सुर आते है मुझे विराम,  नौ रस और सभी भावों को जानता हूँ। तू रागों के बारें में जानता ही नही है। इसीलिए मुझे रागी नहीं मानता है-गधे ने कहा।

मामा यदि यही बात है तो मै तुम्हें नहीं रोकूँगा। जैसा चाहे वैसा गाओ। मै खेत से  बाहर खड़ा होकर रखवाली करता हूँ- गीदड़ ने कहा।

गीदड़ के जाने के बाद गधे ने अपना राग अलापना शरू किया। खेत के रखवाले शोर सुनकर गुस्से में भागे आए और लाठियों से मार मारकर गधे को जमीन पर लिटा दिया और उसके गले मे सांकली बाँध कर चले गये।

गधा थोड़ी देर मे कष्ट से कराहते हुए उठ बैठा और सांकल तुडाकर भाग लिया। गीदड़ दूर खड़ा तमाशा देख रहा था। गधे के पास आने पर मुस्कूराकर बोला-मामा। मेरे मना करने पर भी आप नही माने। इसीलिए आप का यह हाल हुआ है।

मोरेल :- सच्चे मित्रों की सलाह का तिरस्कार कदापि नहीं करना चाहिए।

 

9. किसान और उसके चार बेटे

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एक समय की बात है। एक गाँव में एक किसान रहता था जिसका नाम दीनू था दीनू बहुत मेहनतीं और दूरदर्षी स्वभाव का व्यक्ति था। मगर उसकी बदनसीबी यह थी कि उसके चार बेटे थे और चारों निकम्में कामचोर और आलसी स्वभाव के थे। दीनू किसान बूढ़ा होने चला था और उसके बेटे जवान हो गये थे मगर वह अभी भी उस पर ही निर्भर थे। दीनू को पता था कि वह लम्बे समय तक जीवित नही रहेगा जल्द ही मर जायेगा। अतः दीनू चिन्तित रहने लगा कि मेरे मरने के बाद मेरे इन कामचोर बेटों का क्या होगा। ये बिना कोई काम किये कैसे अपना जीवन यापन करेंगे।

बेटों को सही मार्ग पर लाने के लिये दीनू किसान ने उन्हे अपने पास बुलाया और कहा-मैने अपने कमाये पैसे से जो कुछ भी खरीदा है सोना चाँदी आदि सब अपने खेतों मे गढ़ा है। अब मै बूढ़ा हो गया हूँ शायद इसी कारण से मुझे यह याद नहीं रहा कि धन किस जगह गढ़ा है। मेरी स्मरण शक्ति भी कमजोर हो गई है। यह कहकर किसान मर गया। अब दीनू किसान के चारों बेटों ने सोना चाँदी तथा पैसा ढूँढने के लिये सारा खेत खोद डाला परन्तु उनके हाथ कुछ नही लगा। यह देखकर वह लोग बहुत निराश हुये। चारों बेटे खेत मे बैठे ही थे कि उनके पिताजी का एक पुराना मित्र वहाँ से निकला उन्हे इस तरह परेशान देख कर वह उनके पास आया और उनकी परेशानी का कारण पुछा। दीनू के बेटों ने उसे सारी बात बताई। यह सुनकर दीनू का मित्र बहुत खुश हुआ। उसने कहा तुम्हारे पिता बहुत बुद्धिमान थे। अनाज ही तो असली सोना है। तुमने खेत तो खोद ही डाला है अब उसमें बीज बोकर अच्छी फसल उगाओं और उस फसल को बाजार में बेच दो। इसमें तुम्हे काफी मुनाफा होगा। चारों ने ऐसा ही किया और परिश्रम करने लगे।

नैतिक शिक्षा :- परिश्रम का फल अच्छा होता है।

 

10. एकता की ताकत

(hindi short stories with moral for kids)

 

एक बार एक वृक्ष पर बहुत से कबूतर रहते थे। एक दिन प्रातःकाल कबूतर भोजन की तलाश में उडे। वह उडते उडते काफी दूर चले गये जहाँ उनकी दृष्टि एक जगह पड़ी। वहाँ एक शिकारी ने जाल फैला रखा था और उस पर चावल बिखेर रखे थे। कबूतरों के राजा को शंका हई। उसने सोचा- यहाँ सुनसान जंगल मे ये दाने कहाँ से आये। अवस्य ही दाल मे कुछ काला है। खैर देखा जायेगा। ऐसा विचार करके वे नीचे उतरे। सभी कबूतर दाने चुगने लगे और जाल में फंस गये।

सभी कबूतर घबरा गये। वे अपने राजा को बुरा भला कहने लगे। उनके राजा ने कहा- भाईयों, संकट में घबराना नही चाहिए हिम्म्त रखो। कबूतरों के राजा ने कहा- सभी कबूतर जाल सहित इकट्ठे उड़ो। कबूतरों की संख्या ज्यादा थी। सभी कबूतरो ने ऐसा ही किया। सब कबूतर आकाश मे उडे तो जाल सहित ही उड़ गये। शिकारी उनके पीछे पीछे जमीन पर भागा जा रहा था और कहता जा रहा था पक्षी गिरेंगे मेरा शिकार बनेंगे। परन्तु कबूतर उड़ते उड़ते शिकारी की आँखो से ओझल हो गये। शिकारी हाथ मलता रह गया।

मोरेल :- एकता मे बल होता है।

Conclusion :-  hindi short stories with moral for kids





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