पारिवारिक कहानियां, best family stories

आज की हमारी कहानी पारिवारिक कहानियां मे आपका स्वागत है जिसमे हम एक बेहतरीन कहानी पेश करने जा रहे है जो इन्सान के जीवन मे आस्तिक और नास्तिक का फर्क दर्शाती है। हमे पूरी उम्मीद है कि आपको यह कहानी गोमती का मालिक कौन बेहद पसन्द आयेगी।

पारिवारिक कहानियां

पारिवारिक कहानियां, best family stories

गोमती का मालिक कौन:-

एक समय की बात है एक खुशहाल राज्य था। वहाँ के राजा को जीवो से बहुत प्रेम था। राजा के पास एक गाय थी जिसका नाम गोमती था वह राजा को अतिप्रिय थी राजा व उसका परिवार सिर्फ उसी गाय के दुग्ध सेवन करते थे।

गोमती को राजा ने शाही गाय का दर्जा दिया हुआ था शाही गाय की तरह ही उसे साज सज्जा कर रखा जाता था उसके शरीर पर अनेक तरह की कलाकृतियाँ बनी हुई थी उसके माथे पर शाही निशान भी अंकित था उसके नुकीले सींगो पर कवच व पैरों मे घुंघरू बन्धे हुए थे।

गोमती को बाहर घूमने फिरने की पुरी अनुमति थी वह जहाँ भी जाती तो राजा के सैनिक छूपके से उसका पीछा किया करते थे और उसकी निगरानी रखते थे ताकि वह कहीं रास्ता ना भटक जाये मगर यह बात गोमती को नही पता थी।

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गोमती पुरे गाँव मे घूमती थी गाँव के सभी लोग शाही गाय को पहचानते थे और सभी उससे स्नेह किया करते थे। एक दिन गोमती गाँव के बाहर किसी खेत मे चर रही थी।  कुछ देर बाद थक कर वहाँ बैठ गयी और विश्राम करने लगी। राजा के सैनिक दूर से उसकी निगरानी रख रहे जब काफी समय से वह विश्राम कर रही थी तो उन्होने सोचा क्यों ना वह भी कहीं बैठकर विश्राम कर ले। वहाँ एक विशाल बरगद का वृक्ष था अतः सैनिक भी वहीं विश्राम हेतू बैठ गये। सैनिक दिन भर के कार्य से थके हुए थे उन्होने बरगद के वृक्ष का साहारा लिया और उन्हे नीन्द आ गयी।

गोमती ने आसमान की तरफ देखा आसमान मे बादल छा रहे थे। उसने विचार किया अब उसे वापस लौटना चाहिए। वह वहाँ से बाहर निकल गयी मगर उसने गलती से गलत रास्ता पकड लिया था। वह लम्बी दूरी पर चलती गयी और रास्ता पकड लिया वह रास्ता जंगल की ओर जाता था। रास्ते मे ही एक दलदल था जहाँ पर अक्सर छोटे जानवर फँस जाया करते थे।

गोमती दलदल से अनजान थी और अपना सही रास्ता ढूँढते हुए दलदल मे फँस गयी। दलदल गहरा तो नही था मगर अन्दर झाडियों मे गोमती का पैर फँस गया उसने पैर को झाडियों मे से निकालने की कोशिश की मगर वह सफल नही हुई।

वहीं पास के जंगल मे एक शेर था जिसके कानों तक यह खबर पहुँच गयी कि पास के दलदल मे एक गाय फँस गयी है। वह दौडा हुआ दलदल के पास गोमती को अपना शिकार बनाने की उत्सुकता मे बहुत तेजी से भागता हुआ आया उसका पैर दलदल के करीब जाकर फिसल गया और वह भी दलदल मे फँस गया।

उसने गोमती को गौर से देखा उसे लगा कि यह कोई खास किस्म की गाय है उसके शरीर की साज सज्जा वेशभूषा विचित्र कलाकृति की नक्काशी व उसके सुन्दर नुकीले सींगो पर कवच और शाही चिन्ह को देखकर उसे समझने मे देरी नही हुई की यह राजा की शाही गाय है जिसके बारे मे उसने कई बार सुना भी था।

उसकी नीयत गोमती को शिकार बनाने की थी मगर उसे पता था कि राजा गोमती से कितना प्रेम करता है तभी तो इतना साज सज्जा कर उसे रखता है। उसने अगर गोमती पर हमला किया तो राजा व उसके सैनिको को समझने मे तनिक भी देरी नही होगी कि उसी ने गोमती पर हमला किया है क्यों कि उस जंगल मे वह एक ही आदम खोर जानवर था बाकी सभी छोटे मोटे जानवर थे।

वह सोचने लगा कि अगर उसने गोमती को अपना शिकार बनाया तो राजा उसे गोली से मार देगा और उसकी खाल मे भूशा भरकर अपने महल की रौनक बढ़ायेगा। वह गोमती से सिर्फ बीस कदम की ही दूरी पर था गोमती को यह पता था कि शेर उससे थोडी ही दूरी पर है मगर वह घबराई नही बल्कि एक पेड के लुभावने कन्द मूल व फल उसे आकर्षित कर रहे थे। पेड की एक टहनी दलदल की तरफ लटकी हुई थी गोमती से रहा नही गया उसने वह फल खाना शुरू कर दिया और मजे से वह फल खा रही थी।

जब कि शेर दलदल से निकलने का हर तरह का प्रयास कर रहा था और काफी देर बाद प्रयास करने पर शेर दलदल से बाहर निकल गया मगर उसने देखा कि अभी भी गोमती मजे से पेड की टहनी से लटके हुए फल खा रही है।

शेर के मन मे एक बात खाई जा रही थी कि जंगल के सभी जानवर उसकी दहाड से ही काँप जाते है मगर गोमती को उसका जरा भी डर नही और तो और दलदल मे फँसने का भी डर नही आखिर मे शेर ने गोमती से यह सवाल कर ही लिया कि आखिर वह मृत्यु से इतनी बेफिक्र क्यों है जब कि शेर की दलदल मे फँसते ही हालत खराब हो गयी थी क्या उसे मरने का डर नही है।

गोमती ने जवाब दिया कि तुझे अपनी जान का डर इसीलिए है क्यों कि तू ठहरा एक आँवारा पशु जिसको चाहे मार कर खा जाता है तेरा कोई मालिक नही है। मगर मेरा एक मालिक है एक कर्ता धर्ता है वह मुझसे बहुत प्रेम करता है। मुझे अटूट विश्वास है कि वह थोडी ही देर मे मुझे ढूँढता हुआ यहाँ आता ही होगा और वह मुझे दलदल से बाहर निकाल लेगा। इतना सुनकर शेर वहाँ से जंगल की ओर चला गया।  

कुछ ही देर मे राजा व उसके सैनिक गोमती के पैरो के निशान की पहचान करते हुए और उसे ढूँढते हुऐ ढोल नगाडों के साथ वहाँ पहुँच गये और गोमती को सुरक्षित दलदल से बाहर निकाल कर राज्य की ओर ले गये।

सीखः- इन्सान के जीवन का रहस्य भी कुछ ऐसा ही है जो इन्सान आस्तिक है अर्थात् ईश्वर की भक्ति करता है जिसे ईश्वर पर विश्वास होता है उसे किसी संकट का डर ही नही होता क्यों कि जिसका कर्ताधर्ता या मालिक स्वयं श्री हरि हो उसका कभी बुरा हो ही नही सकता मगर जो नास्तिक विचारों से घिरा हो वह उसे उस आँवारा पशु की भांति होता है जिसे हमेशा डर लगा रहता है कि कंही कोई उसे नुकसान ना पहुँचा दे मृत्यु का भय हमेशा ही उसे लगा रहता है क्यों कि उसका कोई कर्ताधर्ता नही है।

आज इस पोस्ट में हमने  पारिवारिक कहानियां  में एक गोमती का मालिक कौन नामक कहानी पढ़ी आपको हमारी कहानी कैसी लगी ये हमें कमेन्ट में जरुर बताये share और follow करना ना भूले ताकि लेखक की कलम को बढ़ावा मिल सके। ऐसी मजेदार कहानियाँ पढने के लिए motivationdad.com से जुड़े रहे।

कहानी को पूरा पढने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद !!!!  

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