एक बार एक बेहद ही चालाक व्यक्ति था उसकी चालाकी दूर दूर तक मशहूर थी वह अपनी बातों व तर्क से किसी को भी अपने पक्ष मे कर लेता था।
एक दिन वह किसी कार्य से नगर गया था वापसी के समय मौसम काफी खराब हो गया था। खराब मौसम की वजह से वह रास्ता भटक गया। काफी समय बाद उसे रास्ता तो मिल गया मगर उसे बहुत भूख लगी थी। वह अभी भी सूनसान जगह पर ही था।
आस पास मे कोई भी घर नही था वह दरखत की ठण्डी छाँव मे बैठ गया। उसके शरीर मे भूख के कारण थकान हो गयी थी। वह भगवान से प्रार्थना करने लगा कि हे ईश्वर मुझे बहुत भूख लगी है आप मुझ पर दया किजिए। किसी भी तरह खाने की व्यवस्था किजिए नही तो मेरे प्राण निकल जायेंगे
बार बार ईश्वर से एक ही प्रार्थना करने लगा कि आप मेरे भोजन का प्रबन्ध नही कर सकते तो कम से कम इस दरखत से खजूर ही खाने को दे दो। खजूर बहुत ऊपर हे, जिसे तोडने मे मै असमर्थ हूँ। आप मुझे सिर्फ पच्चास या सौ खजूर दे दो मै उसका आधा आपकी सेवा मे अर्पित कर दूँगा।
बहुत देर तक प्रार्थना करने के बाद अचानक से खजूर के पेड से स्वयं ही नीचे गिरने लगे। उसने ऊपर की ओर देखा तो पता चला कि खजूर के पेड से सभी खजूर नीचे गिर गये है। उसने गिनती की खजूर पूरे पच्चास थे उसने एक एक करके सभी खजूर खा लिए और अपना पेट भर लिया।
बाद मे ईश्वर से बोला- हे प्रभू आप तो बेहद हाशियार हो आपने अपने हिस्से के फल पहले ही अपने पास रख लिये। मुझे पता है आप हिसाब किताब के बडे ही पक्के हो। इतना कहकर प्रभू का धन्यवाद किया और वहाँ से चल दिया।
सीख:- चालाक व्यक्ति कई बार अपने तर्क से ईश्वर से भी अपनी बात मनवा लेता है।
मन का मैल - “bacchon ki pyari pyari kahani”
एक समय की बात है एक साधुओं की टोली अपने उचित स्थान पर जाने के लिए लम्बी यात्रा कर रही थी शायद वह बहुत लम्बे सफर पर थे। बहुत दिनों से लगातार चले जा रहे थे।
उनकी टोली मे एक युवक भी था जिसकी उम्र तकरीबन 20 वर्ष की थी। जो उनके साथ दीक्षा ग्रहण कर रहा था। लम्बा सफर तय करने के बाद एक जंगल आया जहाँ से एक नदी निकलती थी। सभी को उस नदी को पार करना था।
कुछ देर विश्राम करने पर वह सभी नदी पार करने के लिए चल पडे। जैसे ही वह नदी के पास पहुँचे तो पीछे से किसी के पुकारने की आवाज आयी। सभी ने पीछे मुडकर देखा तो उनके पीछे एक बहुत ही सुन्दर कन्या खडी थी। वह इतनी सुन्दर थी कि मानो कोई अप्सरा हो।
उस कन्या को उनकी सहायता की जरूरत थी। वह नदी पार करना चाहती थी मगर उसे तैरना नही आता था उसे नदी के उस पार अपने निवास पर जाना था। उसने सभी सन्तों से निवेदन किया की कोई उसे नदी पार करवा दे ताकि वह अपने घर जा सके।
सभी साधुओं ने उसकी सहायता करने से इन्कार कर दिया क्योंकि वह सभी बहम्चारी थे किसी कन्या या स्त्री का स्पर्श तो दूर उसके साये से भी दूर रहते थे।
उस कन्या के काफी समय तक निवेदन करने पर भी जब किसी ने उसकी सहायता नही की तो वह युवक उसकी सहायता के लिए राजी हो गया क्योंकि अगर वह उसे उस जंगल मे ही छोड जाते तो कोई ना कोई जंगली जानवर उसे अपना शिकार बना लेता।
युवक ने कन्या को अपनी पीठ पर बिठा लिया और नदी पार करवा दी। अब कन्या अपने निवास स्थान की ओर रवाना हो गयी और युवक साधुओं की टोली के पीछे पीछे चल दिया। कुछ मील की दूरी तय करने पर साधुओं का आश्रम आ गया।
सभी साधु आश्रम मे प्रवेश कर गये मगर जब उस युवक की बारी आयी तो सभी साधुओं ने उसे आश्रम मे प्रवेश नही करने दिया और सभी ने उसका बहिष्कार कर दिया। सभी कहने लगे की इसने एक स्त्री को छुआ है अब यह अपवित्र हो गया है यह हमारी टोली मे रहने योग्य नही है।
युवक के लाख समझाने पर भी कोई उसकी बात समझने को तैयार नही था। कुछ ही समय मे यह बात उनके गुरू के कानों तक पहुँची जो कि अन्दर तपस्या मे लीन थे। गुरू जी ने उन्हे अन्दर बुलाया और सभी युवक को गलत ठहरा रहे थे। युवक ने गुरूजी को पूरी बात बताई।
कुछ समय बाद गुरू जी बोले- आखिर तुम सभी इस युवक को क्यों गलत बता रहे हो। इसने कोई भी गलत कार्य नही किया। उस कन्या की सहायता तो तुम भी कर सकते थे मगर तुम्हे अपने बहम्चार्य पर यकीन नही था जब कि इस युवक को अपने आप पर व अपने बहम्चार्य पर पूर्ण विश्वास था। अगर यह उस कन्या की सहायता नही करता तो उस सूनसान जंगल मे कोई जंगली जानवर उसे अपना शिकार बना लेता। इसने उस कन्या को नदी पार करवायी। उसके बाद वह अपने निवास की ओर चली गयी और यह अपने आश्रम की ओर चल दिया इसने उस कन्या का विचार भी अपने मन मे नही आने दिया।
इसके मन मे कोई मेल नही है इसीलिए इसने उसकी सहायता की जबकि तुम सभी लोगो के मन मे अभी भी उसी कन्या का विचार घूम रहा है उसके विचार ने तुम्हारे मस्तिष्क को घेर रखा है अभी भी तुम उसी के बारे मे सोच रहे हो।
अब तुम तुम स्वयं विचार करो कि किसके मन मे मेल है इसके या तुम्हारे। आखिर तुम यह कैसे भूल गये कि हम सन्तो का तो सम्पूर्ण जीवन ही जन कल्याण व परोपकार के कार्य के लिए हुआ है।
गुरू जी की बात सुनकर सभी सन्त शर्मिन्दा हो गये और उन्हे अपनी गलती का आभास हुआ। उन्हे आज एक नयी सीख मिली थी। सभी ने उस युवक से क्षमा मांगी और अपने स्थान की ओर चल दिये।
सीख:- अक्सर इन्सान बिना सोचे समझे किसी निर्दोष व्यक्ति को दोषी ठहरा देता है और बाद मे उसे शर्मिन्दा होना पडता है।
शेखी बाज व्यक्ति - “bacchon ki pyari pyari kahani”
एक समय की बात है एक छोटा सा कस्बा था। जिसमे एक व्यक्ति रहता था जो कि अभी अभी विदेश से पढाई समाप्त करके आया था। उसके कस्बे के सभी साथी जब भी उससे मिलते थे तो वह अपने विदेश की अजीब अजीब घटना उनके सामने पेश किया करता था। जो कि एक दम मन घडन कहानियाँ से कम नही थी।
दरअसल वह व्यक्ति बहुत बडा गप्प बाज था। अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनने मे उसे बडा मजा आता था। जब से वह विदेश से आया था वह कहीं भी जाता तो उसके दोस्त उसे घेर कर बैठ जाते और उसे विदेश के अनुभव के बारें मे पूछते।
उस व्यक्ति को तो बस ऐसा मौका चाहिए था की कब उसे बडी बडी गप्प हाँकने का मौका मिले। वह अपने अनुभव को बढा चढा कर बताता था। कई दिनो तक यही सिलसिला चलता जारी रहा। उसके कस्बे के लोग उसकी बात मान भी लिया करते थे क्योंकि वह भोले भाले लोग थे। वह विदेश के बारे मे नही जानते थे विदेश तो दूर की बात है वह अपने कस्बे से कभी बाहर ही नही गये थे।
बस यही कारण था कि सभी उसकी बात सच मान लेते थे। इससे वह गप्प बाज व्यक्ति और अधिक उत्साहित होता व और बडी बडी हाँकने लगता। अब सभी धीरे धीरे उसकी गप्पबाजी समझने लगे थे अब उसकी गप्पबाजी से सभी परेशान हो गये थे।
वह गप्पबाज उन भोले भाले लोगो को अपने विदेश के अनुभव की बात बता रहा था और बोला कि मैने वहाँ खेल मे इतनी ऊँची छलांग लगाई कि वहाँ के लोगो ने ना कभी ऐसी छलांग देखी ना ही सुनी। इतनी ऊँचाई से छलांग लगाने के पश्चात लोगों को अपनी आँखों पर भरोसा नही हुआ सभी देखते ही रह गये।
वहाँ के खिलाडी तो मेरे इस रिकॉर्ड के आस पास भी नही भटक रहे थे। उसकी इस गप्प को लोग अब हजम नही कर पा रहे थे जब उसने लोगो के आँखों मे सन्देह देखा तो वह बोला- अरे, अगर आप लोगों को मेरी बात पर यकीन नही होता तो वहाँ जाकर किसी से भी पूछ लों।
वहीं खडा एक युवक जो कि काफी बुद्धिमान था उसे भी उसकी गप्पबाजी की खबर मिली थी शायद वही यही देखने आया था। वह उसकी इतनी बडी बडी गप्प सुन कर ऊब गया और वह बोला- अरे, भाई हमे क्या जरूरत है विदेश मे जाकर तुम्हारे प्रदर्शन के बारे मे प्रमाण इक्कट्ठा करने की।
तुम बस यही समझ लो कि तुम अभी भी वहीं खेल के मैदान मे ही हो और यही हम सब के सामने ही छलांग लगा कर अपना महान प्रदर्शन दिखा दो हम सब विश्वास कर लेंगे।
उसकी इस लाजवाब बात पर सभी लोगो ने सहमति जताई। अपनी गप्पबाजी स्वयं पर ही हावी होते देख वह गप्प बाज मुँह छुपा कर पतली गली से भाग गया।
सीख:- बेवजह की गप्प बाजी अक्सर इन्सान को उसी की बातों मे उलझा देती है और शर्मिन्दगी का कारण बन जाती हैं।
भुलक्कड किसान रामू - “bacchon ki pyari pyari kahani”
एक समय की बात है एक बरहालपुर नाम का एक गाँव था जिसमे एक किसान रहता था जिसका नाम रामू था। रामू के पास पाँच गधे थे। वह दिन रात मेहनत खेतों मे अच्छी मेहनत करता और जब फसल हो जाती तो उनकी कटाई करके वह मण्डी मे उन्हे बेचने जाता था।
इस बार रामू अपने अनाज की फसल को मण्डी मे बेचने जा रहा था उसने अपने अनाज के बोरे को उन पाँचों गधो पर लाद दिये।
रामू मण्डी मे अनाज को बेचकर वापस अपने घर की ओर लौट रहा था। वह स्वयं तो एक गधे पर बैठा था और बाकी चारों गधों को हाँक हाँककर आगे बढ़ा रहा था।
रास्ते मे उसे उसकी पत्नि की बात याद आई उसने उसे कहा था कि- सुनिये वापस आते वक्त गधो को गिनकर वापस ले आना आप हर बात भुल जाते हो कहीं गधों को मत भूल जाना।
रामू ने सोचा क्यों ना गधों की गिनती कर ली जाये कि कहीं कोई गधा पीछे तो नही छूट गया और वैसे भी मेरी पत्नि मुझे इतना नक्कारा और भुलक्कड समझती है अगर कुछ गलती हो गयी तो उसे तो मुझे चार बातें सुनाने का मौका मिल जायेगा।
रामू ने गिनती शरू की- एक दो तीन चार । उसने दोबारा गिना और तिबारा फिर गिना मगर उसकी गिनती मे तो चार ही गधे आ रहे थे वह अपने आप से बाते करने लगा- अरे, यह तो चार गधे है पाँचवा गधा कहाँ गया।
वह बार बार गिनता रहा और परेशान होता रहा। रामू अब बुरी तरह परेशान हो गया उसे अच्छी तरह से याद था कि वह जब सुबह घर से बाहर निकला तो उसके पास पाँच गधे थे।
अब वह काफी दूर निकल चुका था बाजार बहुत पीछे छूट गया था। वह किसी तरह से हिम्मत करके वापस बाजार की ओर मुड गया और उसने रास्ते मे सभी राहगीरों से पूछा कि- भैया आपने आस पास मे कोई गधा देखा। मगर रास्ते मे मिलने वाले हर राहगीर ने यही कहा कि उन्होने यहाँ किसी गधे को नही देखा।
आखिर मे थकहार कर बेचारा रामू उदास हो गया और अपना एक गधा ना मिलने की आशा के साथ ही अपने घर की ओर चल पड़ा।
रामू उस दिन देर रात को अपने घर पहुँचा। उसकी पत्नि बाहर ही खडी उसका इन्तजार कर रही थी उसने जैसे ही रामू को देखा तो उसका उतरा हुआ मुँह देखकर समझ गयी कि वह कुछ परेशान है शायद कोई बात है कहीं कुछ भूल तो नही आये, यही सब सोचकर उसने रामू से पूछा- क्या बात है आप इतने परेशान क्यों दिख रहे हो।
रामू उदास मुँह लेकर बोला- क्या, बताऊँ आज बडा नुकसान हो गया। हमारे पाँच गधो मे से एक कहीं खो गया मै जब घर से बाजार की ओर रवाना हुआ था तो मैने अच्छे से देखा था पूरे पाँच गधे है मगर जब मै बाजार से वापस घर की ओर लौट रहा था तो मैने रास्ते मे गधों ही गिनती की तो पता चला एक गधा कम है मैने कई बार गिना मगर गधे चार ही थे। मै तो वापस बाजार की ओर भी गया मगर वह गधा कहीं नही मिला।
इतना कहकर वह उस गधे से नीचे उतरा जिस पर वह बहुत देर से बैठा था। यह सब सुनकर उसकी पत्नि को बडा ही क्रोध आया क्यों कि उसके सामने पूरे पाँच गधे खडे थे। वह समझ गई कि आखिर हुआ क्या था।
वह बडी क्रोधित होती हुई चिल्लाई- तुम तो निरे मूर्ख हो जी। तुमने उस गधे को तो गिना ही नही जिस पर तम स्वयं बैठे थे। यह रहे तुम्हारे पूरे पाँच गधे अब पूरी तसल्ली कर लो।
अब रामू समझ गया कि आखिर पाँचवा गधा ना मिलने का कारण क्या था।
वह मुँह बाए अपनी पत्नि को देखता रहा। आखिर मे अपनी बात ऊपर रखने के लिए वह बोला- देखो क्या है ना कि दिन भर की दौड धूप से मै इतना थक जाता हूँ कि कुछ सही से याद नही रहता।
इतना सुन कर रामू की पत्नि की हँसी छूट गयी और वह जोर जोर से हँसने लगी।
सीख:- जल्दबाजी और घबराहट मे अक्सर काम बिगड जाते है इन्सान को धैर्य से काम लेना चाहिए।
आज की इस पोस्ट में हमने “bacchon ki pyari pyari kahani” में कुछ प्रेरणादायक कहानियाँ पढ़ी। आपको हमारी कहानी कैसी लगी ये हमें कमेन्ट में जरुर बताये। share और follow करना ना भूले ताकि लेखक की कलम को बढ़ावा मिल सके। ऐसी मजेदार कहानियाँ पढने के लिए motivationdad.com से जुड़े रहे।
कहानी को पूरा पढने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद !!!!
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