रईस चूहा और गरीब चूहा - हिंदी में बच्चों के लिए शिक्षाप्रद कहानियाँ | Hindi Moral Story for Kids

आज की हमारी कहानी "हिंदी में बच्चों के लिए शिक्षाप्रद कहानियाँ"  सीरीज़ की एक प्रेरणादायक कहानी है, जो दो दोस्तों मोलू और भोलू चूहे के जीवन पर आधारित है। यह कहानी न सिर्फ बच्चों को आनंद देती है बल्कि उन्हें सिखाती है कि संतोष और सुरक्षा, ऐशो-आराम से ज्यादा कीमती है।

"रईस और गरीब चूहे की हिंदी में शिक्षाप्रद कहानी बच्चों के लिए"

"रईस चूहा और गरीब चूहा - हिंदी में बच्चों के लिए शिक्षाप्रद कहानियाँ | Hindi Moral Story for Kids"

एक समय की बात है एक शहर मे एक सेठ के घर पर एक चुहा रहता था जिसका नाम मोलू था। मोलू बड़ा मज़े में रहता था रोज दावतें, झूठन में लाजवाब खाना और ऐशो आराम की ज़िंदगी।

मोलू के मन में एक विचार आया कि क्यों ना वह अपने बचपन के दोस्त भोलू से मिलने उसके गाँव जाये। यह कहानी उन दोनों की दोस्ती और जीवन के अनुभवों पर आधारित है। ऐसी  बच्चों के लिए शिक्षाप्रद कहानियाँ बच्चों को सिखाती हैं कि ज़िंदगी में सच्चा सुख क्या होता है।

ऐसे ही विचार करते करते वह अपने बचपन के दोस्त भोलू के मिलने उसके गाँव चल दिया। भोलू एक किसान के घर पर रहता था।

भोलू अपने बचपन के बेस्ट फ्रेन्ड से मिलकर बहुत खुश हुआ। उसने उसकी बहुत खातिरदारी की। भोलू का मालिक किसान था उसने अपने खेत मे ही अपना एक घर बना लिया था।

भोलू ने घर से बाहर निकल कर अपने दोस्त को उसके मालिक का खेत दिखाया जहाँ ताजा फसलें तरोताजा फल और सब्जियाँ उगी हुई थी उन दोनो ने बडे ही चाव से वहाँ छुपकर अपना भोजन किया। रात को जब रसोई मे खाना बच गया तो उन्होने आलू मटर की सब्जी, ब्रेड के टुकडे, सूखी रोटी और परांठे जो कि थाली मे बच गये थे उसे बडे चाव के साथ खाया।

भोलू के पास जो भी था वह उसे अपने बेस्ट फ्रेन्ड को खिलाता उसने अपने हिसाब से उसके खाने पीने मे कोई कमी नही छोड़ी थी। ऐसी  बच्चों के लिए शिक्षाप्रद कहानियाँ बच्चों को सिखाती हैं कि गहरी दोस्ती में मिलजुल कर रहना व मिल बाँट कर खाना चाहिए

मगर मोलू को यह सब खाना पीना कुछ ज्यादा रास नही आ रहा था अपने दोस्त के पूछने पर तो वह यही कहता कि यहाँ बहुत मजा आ रहा है मगर असल मे ऐसा नही था।

आखिर मे जब भोलू ने मोलू की लाइफ के बारे मे जब पूछा तो उसने बताया- यार, भोलू मेरी लाइफ के बारे तूझे क्या बताऊं। मेरी लाइफ तो बडे ही एशोआराम मे गुजर ही हैं

भोलू बोला- मगर वह कैसे।

मोलू ने कहा- मै एक सेठ की बहुत बडी हवेली मे रहता हूँ और वहाँ रोज श्याम को जश्न होता है रोज दावत होती है। शहर के बडे बडे रहीश लोग उनकी दावत मे शामिल होते है रोज लाजवाब पकवान बनते हैं।

वहाँ लोग खाते कम बिखेरते ज्यादा है और जब पार्टी समाप्त हो जाती है तो रात को वह सारा लजीज पकवान और भोजन मे रोजाना खाता हूँ और मस्त होकर सो जाता हूँ ऐसी ही बच्चों के लिए शिक्षाप्रद कहानियाँ हमें सिखाती हैं कि दोस्ती के रिश्ते में भी लालच की परख हो सकती है।

मोलू की बात सुनकर भोलू सोच मे पड गया कि मोलू के तो शहर मे बडे ही ठाठ है।

मोलू ने आखिर में भोलू से कहा- मेरे दोस्त मेरा तेरे लिए निमंत्रण है मै चाहता हूँ तू भी मेरे घर एक दिन आये फिर मे तूझे खूब ऐश करवाऊँगा।

भोलू को सोच मे देख मोलू बोला- अरे यार इतना सोच क्या रहा है तेरा जब मन करे मेरे पास आ जाना। मै तो चाहता हूँ कि तू हमेशा के लिए यह गाँव का रूखा सूखा जीवन छोडकर मेरे साथ हवेली मे रहे और ऐशो आराम की जिन्दगी जिये।

भोलू चाहता था कि उसका दोस्त उसके निमंत्रण को फिर से दोहराये और इसी विचार से वह बोला- यार मोलू मै कभी शहर गया ही नही और मै जब तेरे पास आना चाहूँगा तो मै तेरी सेठ की हवेली को कैसे पहचानूंगा। मै तेरा ठिकाना तो जानता ही नही।

यह सुनकर मोलू भी चिन्ता मे पड गया और बोला- हाँ, तेरी बात तो बिल्कुल सही है तू तो कभी शहर गया ही नही ऐसे में तू मुझ तक कैसे पहुँचेगा।

मोलू बोला- अरे यार तू ऐसा कर मेरे साथ ही शहर चल इसी बहाने मेरे सेठ की हवेली भी देख लेना।

भोलू उसके प्रस्ताव पर पहले से ही विचार कर रहा था मगर जान बूझकर आनाकानी करने लगा। उसके मन मे लजीज पकवान की बात सुनकर मुँह मे पानी आने लगा था।

अब भोलू अपने खास मित्र मोलू के साथ शहर की ओर चल दिया। शहर पहुँचते ही मोलू ने भोलू से कहा यह है मेरे सेठ की हवेली।

इतनी बडी हवेली तो भोलू ने कभी नही देखी थी हवेली देखकर उसकी आँखे फटी की फटी रह गयी। मोलू ने कहा इस हवेली मे तेरा पूरा गाँव रह सकता है और तो और यहाँ खाने पीने को इतना है कि तेरे गाँव के सभी लोग खाना खा ले तो भी खत्म नही होगा।

हवेली के बाहर एक खुफिया रास्ते से मोलू और भोलू हवेली मे प्रवेश कर गये और वह हवेली के अन्दर मोलू के स्थाई ठिकाने पर पहुँचे।

उस दिन रोजाना की तरह हवेली मे कोई दावत थी जो समाप्त हो चुकी थी मोलू अपने दोस्त भोलू को मेहमानों के खाने की टेबल पर ले गया जहाँ सभी मेहमानों ने खाना खाया और बाकी खाना वहीं टेबल पर ही छोड दिया।

भोलू को खाने की लाजवाब महक आ रही थी वह दोनो सबसे पहले बिरयानी की प्लेट पर टूट पडे और बाद मे पनीर, फ्रूट और अनेक मिठाईयाँ से उन दोनो ने जमकर अपना पेट भरा। जब भोजन हो गया तो दोनो आराम से अपने बिल मे जाकर सो गये।

सुबह जब भोलू उठा तो उसे अपनी किस्मत पर यकीन नही हो रहा था कि कभी उसे भी इतना लाजवाब भोजन करने को मिलेगा।

भोलू मोलू से रात के भोजन की तारीफ कर रहा था तो मोलू बोला- यह तो कुछ भी नही है आज तो बहुत बडी पार्टी है आज तो और भी स्वादिष्ट और लजीज भोजन करने को मिलेगा। उसने बताया कि आज श्याम को बहुत बडी पार्टी है जिसमे शहर के सभी रहीश लोग अपने परिवार के साथ आयेंगे। रात को भोजन सभी साथ मे बैठ कर करते है उन्हे गर्म ताजा भोजन परोसा जायेंगे।

कुछ मेहमान ऐसे भी होंगे जिन्हे बिल्ली व कुत्ते पालने का शौक है वह अपने साथ मे अपने पालतू कुत्ते और बिल्ली को भी लाते है यह सुन भोलू घबरा गया तो तुरन्त मोलू ने कहा मगर हमे डरने की कोई जरूरत नही है उनके पालतू कुत्ते, बिल्ली को उनके ड्राईवर के साथ हवेली के बाहर ही रहना पडता है उन्हे अन्दर प्रवेश करने नही दिया जाता। यह सुनकर भोलू बडा खुश हुआ और श्याम का इन्तजार करने लगा।

भोलू ने देखा कि श्याम को पूरी हवेली और बगीचे मे सुन्दर रंग बिरंगी रोशनी हो रखी थी उसने यह सब पहली बार देखा और रात के खाने मे भी अनेको पकवान बनाये गये थे।

जब श्याम की पार्टी समाप्त हुई और सभी मेहमान चले गये और भोजन कक्ष मे एक दम सन्नाटा छा गया तो मोलू और भोलू ने देखा कि खाने की टेबल पर झूठी प्लेटो मे अनेक तरह के पकवान पडे थे जिन्हे देख भोलू के मुँह मे पानी आ रहा था।

दोनो मित्र भोजन कक्ष मे उस बडी सी टेबल पर चढ गये जिस पर सभी मेहमानों ने भोजन किया था भोलू ने सभी प्लेटो को चख चख कर देखा उसने देखा कि रसगुल्ला, गुलाब जामुन, काजू कतली, दाल का हलवा, गाजर का हलवा, सूप, अनेक तरह के ज्यूस, रंग बिरंगी आईसक्रीम, दाल मक्खनी, शाही पनीर, दम आलू, पकोड़े, पिज्जा, बर्गर, फ्रूट, सलाद, अनेक तरह की रोटियाँ और भी अनेक पकवान जिनका नाम भी शायद भोलू को पता नही था।

मोलू और भोलू दोनो मेहमानों की झूठी प्लेटो मे आन्नद ले कर भोजन ग्रहण कर रहे थे कभी इस प्लेट पर तो कभी उस प्लेट पर दोनो खुशी खुशी चटखारे ले ले कर भोजन कर रहे थे।

उन्हे बाहर की दुनियाँ का बिल्कुल भी होश नही था। भोलू की खुशी का ठिकाना ही नही था वह तो ऐसे महसूस करने लगा जैसे वह बचपन से ही ऐशो आराम की जिन्दगी जीता आ रहा है।

अचानक से दो पालतू खतरनाक कुत्तों के भौंकने की आवाज आयी दोनो ने जैसे ही आवाज सुनी इतने मे भोजन कक्ष का दरवाजा झटके से खुला। दोनो ने आव देखा ना ताव तुरन्त मेज से छलांग लगाई और सामने पडे सौफे के नीचे छिप गये।

उन्होने देखा कि एक आदमी उन दोनो कुत्तों को लेकर भोजन कक्ष मे घुसा और उसी समय बाहर निकल गया वह शायद अपने मालिक को ढूंढता हुआ गलती से वहाँ आ गया था।

मगर उन खूँखार कुत्तो को देख भोलू का दिल बैठ गया वह बहुत घबरा गया था वह पसीना पसीना हो गया। उसे ऐसा लगा कि उसने अपनी मौत को अपने सामने और बडे ही करीब से देख लिया हो। डर के मारे काफी समय तक उसका दिल जोरो से धडकता रहा। मोलू ने उसे बहुत सम्भाला मगर वह बहुत डर गया था मोलू ने पास मे जमीन पर पडी पानी की गिलास खिसकाकर उसे पानी पिलाया।

बच्चों के लिए शिक्षाप्रद कहानियाँ में अक्सर लालच और संतोष का फर्क बहुत अच्छे से समझाया जाता है।

कुछ देर बाद वह अपनी सामान्य स्थिति मे आया और मोलू को बोला- अच्छा, तो यह है तेरा ऐशो आराम का जीवन...क्या तू इसे ही ऐशो आराम कहता है। तुने देखा नही इस जीवन पर मौत लिखी है।

यह तो अच्छा हुआ हम समय रहते छिप गये और उन कुत्तों ने हमे देखा नही और वह यहाँ से चले गये नही तो वह हमारा क्या हाल करते तुझे पता है ना। यह कुत्ते बिल्ली तो हमारी कौम की जानी दुश्मन है।

भगवान का शुक्र है कि हम बच गये नही तो आज तेरे इस लाजवाब और स्वादिष्ट भोजन के चक्कर मे अपनी जान गवां बैठते। तू चाहता है कि मै भी तेरे साथ ऐसी जिन्दगी जिऊँ जहाँ गुप्त स्थान पर भी कुत्ते बिल्लियों का आना जाना हो ऐसी ऐशो आराम की जिन्दगी तुझे ही मुबारक हो।

मै तो आज और अभी अपने गाँव के लिए रवाना हो रहा हूँ तेरे शहरी मालिक से तो मेरा गाँव का किसान मालिक ही भला। उसका खाना पीना चाहे तेरे शहरी मालिक से हल्का हो मगर उसकी रसोई और घर मे कुत्ते बिल्ली तो नही आते। मेरी जान का वहाँ जोखिम तो नही है।

भोलू की बात सुनकर मोलू उसे रोक नही पाया मगर भोलू ने मोलू से अपनी मित्रता के नाते कहा- मेरे दोस्त मै तो चाहता हूँ कि तू भी यह जोखिम भरा जीवन छोडकर मेरे साथ गाँव चल। वहाँ जो भी मिलेगा हम दोनो दोस्त मिलजुल कर खाकर अपना जीवनयापन कर लेंगे।

मगर मोलू ने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया और मुँह लटकाये उसकी बातें सुनता रहा क्यों कि वह जानता था कि भोलू जो कह रहा है वह सही है और वह उसे रोकना भी नही चाहता था क्यों कि भोलू गाँव के जीवन से सन्तुष्ट था।

बच्चों के लिए शिक्षाप्रद कहानियाँ  का यही संदेश है कि जीवन की सुरक्षा और शांति, ऐशोआराम से कहीं ज्यादा कीमती होती है।

मगर मोलू उसके साथ गाँव नही जा सकता था क्योंकि उसे ऐशोआराम की जिन्दगी और रोजाना नये नये स्वादिष्ट और लजीज पकवान खाने की आदत लग चुकी थी। मोलू सिर्फ मुँह लटकाये खडा रहा और देखते ही देखते भोलू अपने गाँव के लिए रवाना हो गया।

सीख:
इंसान को जितना मिल रहा है, उसी में संतुष्ट रहना चाहिए क्योंकि ज्यादा लालच इंसान को अक्सर पतन की ओर ले जाता है। बच्चों के लिए शिक्षाप्रद कहानियाँ बार-बार बच्चों को यही सिखाती हैं।

निष्कर्ष:
इस कहानी में हमने देखा कि कैसे बच्चों की साधारण कहानियों में बड़ी गहरी सीख छुपी होती है। ऐसी बच्चों के लिए शिक्षाप्रद कहानियाँ न सिर्फ मनोरंजन करती हैं, बल्कि बच्चों को ज़िंदगी की सच्ची समझ भी देती हैं।

पाठकों से निवेदन:

अगर आपको यह प्रेरणादायक कहानी पसंद आई हो तो कृपया इसे शेयर करें और कमेंट करके बताएं कि आपको इसमें क्या सीख मिली। ऐसी और भी बच्चों के लिए शिक्षाप्रद कहानियाँ पढ़ने के लिए जुड़े रहिए www.motivationdad.com

धन्यवाद!

इस शिक्षाप्रद कहानी को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। आशा है, यह बच्चों के लिए शिक्षाप्रद कहानियाँ की खोज को सफल बनाएगी।



 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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