बच्चों की रात की कहानियाँ(Bedtime kids stories) Hindi Kids Stories for night

आज की हमारी बच्चों की रात की कहानियाँ या bed time kids stories मे हम आपके लिए मजेदार कहानी लेकर आये है जो कि जीवन मे दूसरो के प्रति दया, सहानूभूति की सीख देती है। बच्चो की रात की कहानियाँ मे हम दया की पुंजी नामक कहानी पेश कर रहे है जो आप सभी को बेहद पसन्द आयेगी!

बच्चों की रात की कहानियाँबच्चों की रात की कहानियाँ(Bedtime kids stories)
Hindi Kids Stories for night   

दया की पुंजीः-

एक समय की बात है विजय नगर नाम का एक कस्बे मे दो मित्र रहते थे। रामू और राजू दोनो बचपन के जिगरी मित्र थे। समय के अनुसार दोनो जवान हो गये और दोनो का जीवन आन्नद से बीत रहा था।

एक दिन आसमान मे गहरे बादल छाये हुए थे धीरे धीरे मौसम और भी सुहावना हो गया। दोनो के मन मे आया कि क्यों ना बगीचे मे घुमने जाये जिस बगीचें मे वह बचपन मे अक्सर खेलने आते थे और बचपन की यादों को ताजा किया जाया।

रामू और राजू दोनो ने खाने पीने और ऐशों आराम की सभी सामग्री लेकर बगीचे की ओर चल दिये। वहाँ उन्होने मौसम का खूब आन्नद लिया। जब दोनो घर की ओर वापसी करने लगे तो उनके मन मे आया कि क्यों ना पास वाले जंगल मे चल कर खूब सारे फल तोड लिया जाये और घर जाकर परिवार के साथ आन्नद से खायें।

इस तरह का विचार करके रामू और राजू पास वाले जंगल मे चले गये और वहाँ उन्होने खूब सारे फल तोडे और जब अपना थैला भरकर घर की ओर रवाना होने लगे तो उन्होने जंगल मे एक मोरनी के कराहने की आवाज सुनी वह शायद बहुत मुसीबत मे थी।

Read more also:-

उसकी आवाज सुन कर दोनो उसकी ओर दौडे उन्होने देखा कि मोरनी बुरी तरह से जख्मी है शायद किसी जंगली जानवर ने उस पर हमला कर दिया हो। मोरनी की हालत बहुत ज्यादा खराब थी वह दोनो उसे बचाना चाहते थे मगर मोरनी का अन्तिम समय आ गया था और उसने आखिरी साँस के साथ ही दम तोड दिया।

मोरनी मरते वक्त उन दोनो को बडी उम्मीद भरी नजरों से देख रही थी क्यों कि हाल ही मे उसने दो अण्डे दिये थे।

रामू और राजू की नजर उन अण्डो पर पडी तो वह समझ गये कि मोरनी शायद उन्हे उसके अण्डों की रखवाली सौंपना चाहती थी मगर बेजूबान जानवर की बातों को समझना इन्सान के बस की बात नही थी मगर रामू सब समझ गया।

राजू थोडा लालची किस्म का व्यक्ति था उसके मन मे लालच जागा और  बोला- मोरनी के अण्डे कितने सुन्दर है क्यो ना हम दोनो इसे ले चले और इसे अपनी मुर्गी के अण्डों के साथ रख देंगे। जब यह बडे हो जायेंगे तो आचार्य जी से इन्हे नाचने की कला प्रशिक्षण दिलायेंगे और इन्हे नचा कर खूब सारा पैसा कमायेंगे

मगर रामू के मन मे दया जागी और वह बोला की राजू तेरी बात सही है मगर पहले हमे इस मोरनी के बच्चे के बारे मे सोचना होगा क्या वास्तव मे हम इसका पालन पोषण कर सकेंगे कहीं हमारे कारण इसका जीवन तो खराब नही हो जायेगा। मगर राजू को पता था अगर वह अण्डों को वहीं छोड़ गया तो जंगली जानवर उसे खा जायेंगे।

आखिर मे जब कोई रास्ता नजर नही आया तो रामू ने राजू की बात मान ली और मोरनी के अण्डों को दोनो अपने अपने घर ले गये। राजू और रामू दोनो ने मोरनी के अण्डों को अपनी मुर्गियों के अण्डों के साथ रख दिया।

राजू रोजाना सुबह होते ही अण्डों को उठाकर देखता कभी उसे हिलाता और कभी उलटा सीधा करके देखता उसे शक था कि मोरनी के अण्डे से बच्चा निकलेगा भी या नही और इस प्रकार बार बार अण्डे को हिलाने के कारण राजू के पास वाला मोरनी का अण्डा खराब हो गया।

राजू की उम्मीद पर पानी फिर गया और उधर रामू भी हर सुबह मोरनी के अण्डे को देखने आता मगर वह उसे बिना छूए दूर से ही देखता और चला जाता उसे पूरा विश्वास था कि एक दिन इसमे से खूबसूरत सा बच्चा निकलेगा।

कुछ दिन बाद वैसा ही हुआ मोरनी के अण्डे से एक सुन्दर सा बच्चा निकला और रामू ने उसे बडे ही प्यार से पाला जब वह थोडा बडा हो गया तो उसे अहसास हुआ कि रामू ने शायद ठीक ही कहा था कि हमे इसे इसकी प्रतिभा निखारने के लिए आचार्य जी के पास नृत्य कला का प्रशिक्षण के लिए भेजना चाहिए।

उसने मोर को आचार्य जी से अच्छी नृत्य कला का प्रशिक्षण दिलवाया क्यों कि मोर का जीवन बिना नृत्य के अधूरा था। जब उसने अच्छी नृत्य कला हांसिल कर ली तो रामू उसकी प्रतिभा को निखारने के लिए उसे शहर के कोने कोने मे हर मंच पर उसका प्रदर्शन करवाता।

अब कुछ ही समय मे मोर पूरे शहर मे चर्चा मे आ गया उसकी ख्याति दिन ब दिन बढ रही थी। एक दिन बडे थियेटर मे उसका प्रदर्शन था जब मोर ने अपना नृत्य दिखाया तो पूरा थियेटर झूम उठा उसने सभी के दिलो को जीत लिया। पूरे थियेटर मे तालियों के गूंज की आवाज सुनाई दे रही थी।

मोर की ऐसी सफलता से रामू भी बहुत खुश था मगर वहीं पास मे बैठा उसका दोस्त राजू उदास बैठा पूरे माहौल को देख रहा था। उसे रामू से थोडी ईष्र्या भी हो रही थी और अपनी गलती पर पछतावा भी हो रहा था।

राजू की नजर जब उस पर पडी तो वह बोला- मेरे दोस्त अगर उस दिन तुम थोडा सा संयम और ईश्वर पर विश्वास रख लेते तो आज हमारे दोनो मोर साथ मे नृत्य का कौशल दिखा रहे होते मगर तुमने मोर पर दया नही दिखाई बल्कि तुम्हारे मन मे उससे नृत्य करवा कर कमाने का लालच जाग गया और तुममे संयम और विश्वास की कमी थी इसी कारण मोरनी का अण्डा नष्ट हो गया।

मगर मैने उस मोरनी के आँखों मे अपने बच्चे के प्रति मेरे लिए उम्मीद देखी इसीलिए मैने उसके बच्चे को अपनी संतान की तरह पाला और उसने भी मुझे अपने पिता के भाँति प्यार और सम्मान दिया और आज नाम और ख्याति भी कमा रहा है और मेरा सिर फर्क से ऊँचा कर रहा है।

राजू को सारी बात समझ मे आ गयी और अब वह भी मोर की नृत्यकला को देखकर जोर जोर से तालियाँ बजाने लगा।

सीखः- दया, संयम और विश्वास की पूंजी जिसके पास है उसका भगवान भी साथ देता है मगर लालची व्यक्ति अपने लालच मे स्वयं का ही नुकसान कर बैठता हैं।

आज की इस पोस्ट में हमने  बच्चों की रात की कहानियाँ या bed time kids stories में दया की पुंजी नामक प्रेरणादायक कहानियाँ पढ़ी आपको हमारी कहानी कैसी लगी ये हमें कमेन्ट में जरुर बताये share और follow करना ना भूले ताकि लेखक की कलम को बढ़ावा मिल सके। ऐसी मजेदार कहानियाँ पढने के लिए motivationdad.com से जुड़े रहे।

कहानी को पूरा पढने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद !!!!!

more related post:-

 

 

 

 


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ